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कोरोना संक्रमित सिर्फ गंभीर मरीजों का अस्पताल में होगा इलाज, होम आइसोलेशन की नई गाइडलाइन जारी

पूरे देश समेत झारखंड में कोरोना का प्रकोप बढ़ते जा रहा है. झारखंड में कोरोना पॉजिटिव होने पर सामान्य लक्षण के बावजूद लोग अस्पतालों में भर्ती होना चाह रहे हैं. इसकी वजह से बेड को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.

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कोरोना का कहर
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Published : Apr 16, 2021, 4:17 PM IST

Updated : Apr 16, 2021, 4:28 PM IST

रांची: झारखंड में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है. कोरोना पॉजिटिव होने पर सामान्य लक्षण के बावजूद लोग अस्पतालों में भर्ती होना चाह रहे हैं. इसकी वजह से बेड को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान बचाई जा सके. स्वास्थ्य विभाग के सचिव केके सोन ने होम आइसोलेशन में इलाजरत संक्रमितों को समय पर चिकित्सीय परामर्श मिले और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके, इसे ध्यान में रखते हुए होम आइसोलेशन एडवाइजरी जारी की है. जिला उपायुक्तों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों को गाइडलाइन की कॉपी उपलब्ध करवाएं.

इसे भी पढे़ं: झारखंड में कोरोना हो सकता है और भी खतरनाक, झारखंड में यूके स्ट्रेन और डबल म्यूटेंट वायरस की पुष्टि ने बढ़ाई चिंता

किस तरह के मरीज रहेंगे होम आइसोलेशन में

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एडवाइजरी के मुताबिक वैसे सभी संक्रमित, जिनमें कोविड-19 का कोई लक्षण ना हो या फिर जो एसिंप्टोमेटिक हों, लेकिन वैसे मरीज जो एचआईवी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट या किसी गंभीर बीमारी से पहले से ग्रसित हों उन्हें होम आइसोलेशन में नहीं रहना है. एसिंप्टोमेटिक मरीजों को swaraksha.nic.in पोर्टल पर खुद को रजिस्टर कराना है, ताकि 104 टोल फ्री मेडिकल हेल्पलाइन से उनके स्वास्थ्य के स्टेटस की जानकारी ली जा सके. 60 साल से ज्यादा उम्र के वैसे लोग जो अलग-अलग तरह की बीमारियों से पहले से ग्रसित हैं, उन्हें डॉक्टरों द्वारा जांच के बाद ही होम आइसोलेशन में रहना है. होम आइसोलेशन में रहते हुए अगर कोई संक्रमित अगर क्वॉरेंटाइन गाइडलाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ एपिडेमिक एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई होगी.

मरीजों को मुहैया कराना होगा इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर

होम आइसोलेशन के मरीजों को इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर मुहैया कराना होगा. एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि अगर मरीज होम आइसोलेशन में है तो उसकी देखरेख करने वाले को कौन-कौन सी सावधानी बरतनी होगी. सबसे ज्यादा जरूरी होगा कि मरीज अलग कमरे में रहे और अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें. केयर करने वाला परिवार का सदस्य मरीज के पास मास्क लगाकर जाए. किसी भी हालत में संक्रमित मरीज घर के बुजुर्गों के सामने ना जाए.

इसे भी पढे़ं: कोरोना छीन रहा लोगों से जीने का हक, वेंटिलेटर की कमी ने ली लोहरदगा रेलवे स्टेशन मास्टर की जान

कब होगी अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत

अगर संक्रमित मरीजों को गंभीर खांसी हो और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, चेस्ट में दर्द महसूस हो रहा हो और ब्लड प्रेशर बढ़ा हो, ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन सैचुरेशन कम दिख रहा हो, बार-बार दवा खाने के बाद भी फीवर कम ना हो रहा हो, त्वचा के रंग में बदलाव दिख रहा हो, इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी. सबसे अहम बात है कि अगर किसी घर में कोई संक्रमित होम आइसोलेशन में है तो उस परिवार का कोई भी सदस्य घर से बाहर नहीं निकलेगा. उन्हें तभी घर से बाहर निकलने की छूट होगी जब सब की रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएगी.

रांची: झारखंड में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है. कोरोना पॉजिटिव होने पर सामान्य लक्षण के बावजूद लोग अस्पतालों में भर्ती होना चाह रहे हैं. इसकी वजह से बेड को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि अस्पतालों में सिर्फ गंभीर रोगियों को ही भर्ती किया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान बचाई जा सके. स्वास्थ्य विभाग के सचिव केके सोन ने होम आइसोलेशन में इलाजरत संक्रमितों को समय पर चिकित्सीय परामर्श मिले और उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा सके, इसे ध्यान में रखते हुए होम आइसोलेशन एडवाइजरी जारी की है. जिला उपायुक्तों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों को गाइडलाइन की कॉपी उपलब्ध करवाएं.

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किस तरह के मरीज रहेंगे होम आइसोलेशन में

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एडवाइजरी के मुताबिक वैसे सभी संक्रमित, जिनमें कोविड-19 का कोई लक्षण ना हो या फिर जो एसिंप्टोमेटिक हों, लेकिन वैसे मरीज जो एचआईवी, ऑर्गन ट्रांसप्लांट या किसी गंभीर बीमारी से पहले से ग्रसित हों उन्हें होम आइसोलेशन में नहीं रहना है. एसिंप्टोमेटिक मरीजों को swaraksha.nic.in पोर्टल पर खुद को रजिस्टर कराना है, ताकि 104 टोल फ्री मेडिकल हेल्पलाइन से उनके स्वास्थ्य के स्टेटस की जानकारी ली जा सके. 60 साल से ज्यादा उम्र के वैसे लोग जो अलग-अलग तरह की बीमारियों से पहले से ग्रसित हैं, उन्हें डॉक्टरों द्वारा जांच के बाद ही होम आइसोलेशन में रहना है. होम आइसोलेशन में रहते हुए अगर कोई संक्रमित अगर क्वॉरेंटाइन गाइडलाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ एपिडेमिक एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई होगी.

मरीजों को मुहैया कराना होगा इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर

होम आइसोलेशन के मरीजों को इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर मुहैया कराना होगा. एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि अगर मरीज होम आइसोलेशन में है तो उसकी देखरेख करने वाले को कौन-कौन सी सावधानी बरतनी होगी. सबसे ज्यादा जरूरी होगा कि मरीज अलग कमरे में रहे और अलग बाथरूम का इस्तेमाल करें. केयर करने वाला परिवार का सदस्य मरीज के पास मास्क लगाकर जाए. किसी भी हालत में संक्रमित मरीज घर के बुजुर्गों के सामने ना जाए.

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कब होगी अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत

अगर संक्रमित मरीजों को गंभीर खांसी हो और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, चेस्ट में दर्द महसूस हो रहा हो और ब्लड प्रेशर बढ़ा हो, ऑक्सीमीटर में ऑक्सीजन सैचुरेशन कम दिख रहा हो, बार-बार दवा खाने के बाद भी फीवर कम ना हो रहा हो, त्वचा के रंग में बदलाव दिख रहा हो, इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी. सबसे अहम बात है कि अगर किसी घर में कोई संक्रमित होम आइसोलेशन में है तो उस परिवार का कोई भी सदस्य घर से बाहर नहीं निकलेगा. उन्हें तभी घर से बाहर निकलने की छूट होगी जब सब की रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएगी.

Last Updated : Apr 16, 2021, 4:28 PM IST
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