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विश्व जल दिवस के मौके पर रांची में संगोष्ठी का आयोजन, वाटर हार्वेस्टिंग पर दिया गया जोर - विश्व जल दिवस

विश्व जल दिवस के मौके पर रांची में विधायक सरयू राय की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान विधायक सरयू राय ने बताया कि राज्य गठन के समय राजधानी में 50 से अधिक तालाब हुआ करते थे, लेकिन अब वह सभी तालाब और जलाशय लुप्त हो चुके हैं.

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एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Mar 23, 2021, 9:59 AM IST

रांची: राज्य में लुप्त हो रहे विभिन्न जलश्रोत, जलाशय, डैम और बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सोमवार को विश्व जल दिवस के मौके पर राजधानी के पुराने विधानसभा के रशियन हॉस्टल में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को स्वयंसेवी संस्थान युगांतर भारती, सिविल सोसायटी और दामोदर बचाओ आंदोलन की ओर से आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक सरयू राय ने की थी.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- खूंटीः जल संरक्षण की दिशा में ग्रामीणों ने उठाया बड़ा कदम, बनाया 26 बोरी बांध


जलस्रोत लगातार हो रहे विलुप्त

दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष व विधायक सरयू राय ने बताया कि हर वर्ष विश्व जल दिवस के मौके पर हम लोग पानी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गणमान्य व्यक्तियों या फिर प्रख्यात पर्यावरणविद को बुलाते थे, लेकिन इस वर्ष हम ने स्थानीय नागरिकों के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसकी मुख्य वजह है कि राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिले में धीरे-धीरे जलस्रोत लगातार विलुप्त हो रहे हैं और जल संकट मंडरा रहा है.


राजधानी में 50 से अधिक तालाब

विधायक सरयू राय ने बताया कि राज्य गठन के समय राजधानी में 50 से अधिक तालाब हुआ करते थे, लेकिन अब वह सभी तालाब और जलाशय लुप्त हो चुके हैं. हरमू नदी पर भी 100 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद भी उसकी स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है. सरयू राय ने बताया कि आज की तारीख में जिस स्थान पर नया विधानसभा बनाया गया है, वहां पर भी जल का स्रोत हुआ करता था, लेकिन विधानसभा भवन बनने से वह जलस्रोत बंद हो गया है. इसके अलावा नए विधानसभा में पानी की भी व्यवस्था नहीं है. उन्होंने बताया कि नया विधानसभा बाहर से देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह कुएं के भीतर बनाया गया हो.

इसे भी पढ़ें- विश्व जल दिवस पर आरयू में हुआ विशेष सेमिनार, भूगर्भ शास्त्रियों ने झारखंड के जल स्तर पर जताई चिंता



मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग

कार्यक्रम समाप्ति के बाद विधायक ने बताया कि इस बार के संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि जल संरक्षण और जल स्रोतों को बचाने वाले संगठन अब वैसे सरकारी कार्यालयों को चिंहित कर सरकार को जानकारी देंगे, जहां पर की वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है. अगर सरकार खुद नियमों का पालन करेगी तो राज्य की जनता सरकार के कायदे कानून को देखकर अपने आप नियमों का पालन करने लगेगी और सभी मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा होगी, जिससे जल संरक्षण हो पाएगा. क्योंकि अब जरूरत है सरकार खुद वाटर हार्वेस्टिंग पर काम करके दिखाएं न कि आम आदमी पर नियम कानून थोपे.

सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग

वहीं कार्यक्रम में मौजूद सिविल सोसायटी के सदस्य रवि प्रकाश ने बताया कि विश्व जल दिवस के मौके पर संस्था की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि रांची को केंद्रित कर पूरे राज्य में कार्य कर रहे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को मजबूत कराई जाए, ताकि जल संरक्षण हो सके. हमारी आने वाले पीढ़ी को जल संकट से न जूझना पड़े.

रांची: राज्य में लुप्त हो रहे विभिन्न जलश्रोत, जलाशय, डैम और बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सोमवार को विश्व जल दिवस के मौके पर राजधानी के पुराने विधानसभा के रशियन हॉस्टल में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को स्वयंसेवी संस्थान युगांतर भारती, सिविल सोसायटी और दामोदर बचाओ आंदोलन की ओर से आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक सरयू राय ने की थी.

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जलस्रोत लगातार हो रहे विलुप्त

दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष व विधायक सरयू राय ने बताया कि हर वर्ष विश्व जल दिवस के मौके पर हम लोग पानी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गणमान्य व्यक्तियों या फिर प्रख्यात पर्यावरणविद को बुलाते थे, लेकिन इस वर्ष हम ने स्थानीय नागरिकों के साथ इस कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसकी मुख्य वजह है कि राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न जिले में धीरे-धीरे जलस्रोत लगातार विलुप्त हो रहे हैं और जल संकट मंडरा रहा है.


राजधानी में 50 से अधिक तालाब

विधायक सरयू राय ने बताया कि राज्य गठन के समय राजधानी में 50 से अधिक तालाब हुआ करते थे, लेकिन अब वह सभी तालाब और जलाशय लुप्त हो चुके हैं. हरमू नदी पर भी 100 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद भी उसकी स्थिति बेहतर नहीं हो पाई है. सरयू राय ने बताया कि आज की तारीख में जिस स्थान पर नया विधानसभा बनाया गया है, वहां पर भी जल का स्रोत हुआ करता था, लेकिन विधानसभा भवन बनने से वह जलस्रोत बंद हो गया है. इसके अलावा नए विधानसभा में पानी की भी व्यवस्था नहीं है. उन्होंने बताया कि नया विधानसभा बाहर से देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह कुएं के भीतर बनाया गया हो.

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मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग

कार्यक्रम समाप्ति के बाद विधायक ने बताया कि इस बार के संगोष्ठी में यह निर्णय लिया गया कि जल संरक्षण और जल स्रोतों को बचाने वाले संगठन अब वैसे सरकारी कार्यालयों को चिंहित कर सरकार को जानकारी देंगे, जहां पर की वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं है. अगर सरकार खुद नियमों का पालन करेगी तो राज्य की जनता सरकार के कायदे कानून को देखकर अपने आप नियमों का पालन करने लगेगी और सभी मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा होगी, जिससे जल संरक्षण हो पाएगा. क्योंकि अब जरूरत है सरकार खुद वाटर हार्वेस्टिंग पर काम करके दिखाएं न कि आम आदमी पर नियम कानून थोपे.

सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग

वहीं कार्यक्रम में मौजूद सिविल सोसायटी के सदस्य रवि प्रकाश ने बताया कि विश्व जल दिवस के मौके पर संस्था की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि रांची को केंद्रित कर पूरे राज्य में कार्य कर रहे सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था को मजबूत कराई जाए, ताकि जल संरक्षण हो सके. हमारी आने वाले पीढ़ी को जल संकट से न जूझना पड़े.

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