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निसंतान दंपती के लिए आशा की किरण है ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र, आईवीएफ/फर्टिलिटी से से मिल रहा संतान सुख

रांची में निसंतान दंपत्ति के लिए ईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार का बेहतर विकल्प बनकर सामने आ रहा है. इसके तहत ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र ने आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार से मां बनने वाली महिलाओं की गोद भराई की रस्म हुई. इसका उद्देश्य आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ाना है.

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Published : Jan 13, 2021, 1:21 PM IST

babies shower ritual in ranchi
रांची में फर्टिलिटी उपचार से मां बनने वाली महिलाओं की गोद भराई रस्म

रांची: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार विकासशील देशों में हर चार दंपती में से एक दंपती बांझपन से प्रभावित है. भारत में लगभग तीन करोड़ दंपत्ति संतान सुख से वंचित हैं. उसमें भी मात्र एक प्रतिशत दंपती ही अपना इलाज कराने आगे आते हैं, बाकी लोग कम जागरूकता की वजह से आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार पर भरोसा नहीं करते.

देखें पूरी खबर

ऐसे ही निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति कराने के लिए रांची का ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र आगे आ रहा है और लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. इसी को लेकर ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र ने आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार से मां बनने वाली महिलाओं के साथ गोद भराई का रस्म मनाई, ताकि आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ सके.

पुरुषों में भी होती है कमी
इस मौके पर ओएसिस फर्टिलिटी की क्लीनिकल हेड और फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. सर्बजय सिंह ने कहा कि हमारा संस्थान दंपती के इलाज के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण रखता है. उपचार पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई दंपती लंबे समय तक माता-पिता नहीं बन पा रहे है तो उसके कई कारण हो सकते है, जैसे पुरुषों का शराब और तंबाकू का सेवन करना, मोटापा, खराब जीवनशैली और अच्छा भोजन नहीं होना.

इसे भी पढ़ें-बोकारोः शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के भाई को आजीवन कारावास की सजा

वहीं उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि बांझपन के लिए सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार हो सकते है, इसीलिए जब भी आईवीएफ/फर्टिलिटी केंद्र में अपना उपचार कराने पहुंचे तो पुरुष और महिला दोनों एक साथ जांच कराएं, क्योंकि संतान न होने के लिए सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार होते हैं.

ओएसिस प्रजनन केंद्र
इस मौके पर डॉ. सर्बजय सिंह ने कहा कि झारखंड में ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र नई तकनीक के साथ झारखंड के लोगों को बेहतर इलाज का भरोसा देता है. आगे भी झारखंड सहित आस-पास के राज्यों की ऐसी दंपती जो वर्षों से माता-पिता नहीं बन पा रहे है, उनके लिए ओएसिस प्रजनन केंद्र एक बेहतर विकल्प बनेगा.

रांची: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार विकासशील देशों में हर चार दंपती में से एक दंपती बांझपन से प्रभावित है. भारत में लगभग तीन करोड़ दंपत्ति संतान सुख से वंचित हैं. उसमें भी मात्र एक प्रतिशत दंपती ही अपना इलाज कराने आगे आते हैं, बाकी लोग कम जागरूकता की वजह से आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार पर भरोसा नहीं करते.

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ऐसे ही निसंतान दंपती को संतान प्राप्ति कराने के लिए रांची का ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र आगे आ रहा है और लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. इसी को लेकर ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र ने आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार से मां बनने वाली महिलाओं के साथ गोद भराई का रस्म मनाई, ताकि आईवीएफ/फर्टिलिटी उपचार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ सके.

पुरुषों में भी होती है कमी
इस मौके पर ओएसिस फर्टिलिटी की क्लीनिकल हेड और फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. सर्बजय सिंह ने कहा कि हमारा संस्थान दंपती के इलाज के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण रखता है. उपचार पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई दंपती लंबे समय तक माता-पिता नहीं बन पा रहे है तो उसके कई कारण हो सकते है, जैसे पुरुषों का शराब और तंबाकू का सेवन करना, मोटापा, खराब जीवनशैली और अच्छा भोजन नहीं होना.

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वहीं उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि बांझपन के लिए सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार हो सकते है, इसीलिए जब भी आईवीएफ/फर्टिलिटी केंद्र में अपना उपचार कराने पहुंचे तो पुरुष और महिला दोनों एक साथ जांच कराएं, क्योंकि संतान न होने के लिए सिर्फ महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार होते हैं.

ओएसिस प्रजनन केंद्र
इस मौके पर डॉ. सर्बजय सिंह ने कहा कि झारखंड में ओएसिस फर्टिलिटी केंद्र नई तकनीक के साथ झारखंड के लोगों को बेहतर इलाज का भरोसा देता है. आगे भी झारखंड सहित आस-पास के राज्यों की ऐसी दंपती जो वर्षों से माता-पिता नहीं बन पा रहे है, उनके लिए ओएसिस प्रजनन केंद्र एक बेहतर विकल्प बनेगा.

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