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रांची में खूनी जबड़ों का आतंक, प्रतिदिन 250 लोग हो रहे शिकार, स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज इंजेक्शन का अभाव

रांची में हर महीने कुत्ते के काटने के 10 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं. हर दिन 250 से 300 लोग एंटी रेबीज टीका लेने पहुंचते हैं. लेकिन, टीके की समुचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है. दूरदराज से लोगों को टीका लेने के लिए सदर अस्पताल ही आना पड़ता है.

cases of dog byte in Ranchi
रांची में लोगों को काट रहे आवारा कुत्ते
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Published : Mar 29, 2021, 5:48 PM IST

Updated : Mar 29, 2021, 10:48 PM IST

रांची: राजधानी रांची में खूनी जबड़ों का आतंक है. लोग आए दिन सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं. कुत्ते लोगों को काट लेते हैं और इससे आम लोगों काफी परेशानी हो रही है. आवारा कुत्तों के काटने के बाद लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लेना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों को छोड़ दें तो इंजेक्शन की व्यवस्था सिर्फ सदर अस्पताल में है. रांची के दूरदराज से लोगों को सदर अस्पताल आना पड़ता है. स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज इंजेक्शन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सदर अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने पहुंचे मरीज बताते हैं कि अन्य अस्पतालों में इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं होने से काफी परेशानी होती है. स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. इससे लोगों का किराया भी बचेगा और समय भी. साथ ही परेशानी भी कम होगी. एक तरफ कुत्तों के काटने के केस लगातार बढ़ रहे हैं वहीं अस्पताल में व्यवस्था काफी लचर है.

यह भी पढ़ें: गर्मी के दस्तक देते ही लोहरदगा में गहराया जलसंकट, मार्च में ही सूख गई कोयल और शंख नदी

हर दिन 250-300 लोग पहुंचते हैं टीका लेने

सदर अस्पताल के डॉग बाइट डिपार्टमेंट में टीका लगाने वाली सिस्टर बताती हैं हर दिन 250 से 300 लोग टीका लेने के लिए सदर अस्पताल पहुंचते हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होने की वजह से काफी दिक्कत होती है. कई बाग डॉग बाइट सेंटर पर लंबी लाइन लग जाती है और लोग काफी परेशान हो जाते हैं. बता दें कि आवारा कुत्तों को काटने के बाद एंटी रेबीज का टीका जरूरी है. अगर समय पर इसका टीका नहीं लिया जाए तो आदमी की जान भी जा सकती है.

हर महीने 10 हजार से ज्यादा केस

आंकड़ों को देखें को हर महीने राजधानी में करीब 10 हजार लोग कुत्ते के काटने से घायल हो रहे हैं और उन्हें एंटी रेबीज का टीका लेना पड़ रहा है. एंटी रेबीज का टीका लेने के लिए निजी अस्पतालों में मरीज को 1200-1500 का खर्च लगता है. गरीबों के लिए सरकारी व्यवस्था ही एकमात्र सहारा है और इसकी लचर हालत किसी से छिपी नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और बड़े अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके की व्यवस्था कराई गई है लेकिन, लचर व्यवस्था के कारण मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका नहीं मिल पाता है. इसी वजह से उन्हें मजबूरन सदर अस्पताल आना पड़ता है. कई बार सदर अस्पताल में भी दवा उपलब्ध नहीं हो पाता है.

आवारा कुत्तों के नसबंदी की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के कारण से डॉग बाइट के मामले भी शहर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इससे लोगों को काफी परेशानी होती है. लोगों का कहना है कि ज्यादातर घटनाएं रात में होती है. कई बार कुत्ते पीछे पड़ जाते हैं. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ विभाग और नगर निगम के अधिकारी इस पर ठोस कदम उठाएं ताकि राजधानीवासियों को कोई दिक्कत न हो.

रांची: राजधानी रांची में खूनी जबड़ों का आतंक है. लोग आए दिन सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं. कुत्ते लोगों को काट लेते हैं और इससे आम लोगों काफी परेशानी हो रही है. आवारा कुत्तों के काटने के बाद लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लेना पड़ता है. प्राइवेट अस्पतालों को छोड़ दें तो इंजेक्शन की व्यवस्था सिर्फ सदर अस्पताल में है. रांची के दूरदराज से लोगों को सदर अस्पताल आना पड़ता है. स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी रेबीज इंजेक्शन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सदर अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन लेने पहुंचे मरीज बताते हैं कि अन्य अस्पतालों में इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं होने से काफी परेशानी होती है. स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. इससे लोगों का किराया भी बचेगा और समय भी. साथ ही परेशानी भी कम होगी. एक तरफ कुत्तों के काटने के केस लगातार बढ़ रहे हैं वहीं अस्पताल में व्यवस्था काफी लचर है.

यह भी पढ़ें: गर्मी के दस्तक देते ही लोहरदगा में गहराया जलसंकट, मार्च में ही सूख गई कोयल और शंख नदी

हर दिन 250-300 लोग पहुंचते हैं टीका लेने

सदर अस्पताल के डॉग बाइट डिपार्टमेंट में टीका लगाने वाली सिस्टर बताती हैं हर दिन 250 से 300 लोग टीका लेने के लिए सदर अस्पताल पहुंचते हैं. स्वास्थ्य व्यवस्था लचर होने की वजह से काफी दिक्कत होती है. कई बाग डॉग बाइट सेंटर पर लंबी लाइन लग जाती है और लोग काफी परेशान हो जाते हैं. बता दें कि आवारा कुत्तों को काटने के बाद एंटी रेबीज का टीका जरूरी है. अगर समय पर इसका टीका नहीं लिया जाए तो आदमी की जान भी जा सकती है.

हर महीने 10 हजार से ज्यादा केस

आंकड़ों को देखें को हर महीने राजधानी में करीब 10 हजार लोग कुत्ते के काटने से घायल हो रहे हैं और उन्हें एंटी रेबीज का टीका लेना पड़ रहा है. एंटी रेबीज का टीका लेने के लिए निजी अस्पतालों में मरीज को 1200-1500 का खर्च लगता है. गरीबों के लिए सरकारी व्यवस्था ही एकमात्र सहारा है और इसकी लचर हालत किसी से छिपी नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और बड़े अस्पतालों में एंटी रेबीज के टीके की व्यवस्था कराई गई है लेकिन, लचर व्यवस्था के कारण मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीका नहीं मिल पाता है. इसी वजह से उन्हें मजबूरन सदर अस्पताल आना पड़ता है. कई बार सदर अस्पताल में भी दवा उपलब्ध नहीं हो पाता है.

आवारा कुत्तों के नसबंदी की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है. निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या के कारण से डॉग बाइट के मामले भी शहर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इससे लोगों को काफी परेशानी होती है. लोगों का कहना है कि ज्यादातर घटनाएं रात में होती है. कई बार कुत्ते पीछे पड़ जाते हैं. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ विभाग और नगर निगम के अधिकारी इस पर ठोस कदम उठाएं ताकि राजधानीवासियों को कोई दिक्कत न हो.

Last Updated : Mar 29, 2021, 10:48 PM IST

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