रांची: झारखंड के गढ़वा में सरकारी योजना के लिए जमा राशि को पलामू के विशेष भू अर्जन खाते से 12.60 करोड़ रुपए की निकासी का मामला नया नहीं है. झारखंड सीआईडी इस मामले में जांच पूरी कर मास्टरमाइंड समेत अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. सीआईडी ने पूरे मामले में पैसे वापसी की कोशिशें तेज कर दी हैं.
बैंक अधिकारियों की मदद ली सीआईडी ने
पूरे मामले की जांच कर रही सीआईडी की टीम ने जांच के क्रम में बैंक अधिकारियों की मदद ली थी. इन पैसों में 8.40 करोड़ रुपए शीतल कंस्ट्रक्शन नाम की कंपनी में ट्रांसफर हुए थे.
सीआईडी के जांच अधिकारी ने पैसे की वापसी के लिए शीतल कंस्ट्रक्शन को नोटिस भी जारी किया है. दरअसल साल 2010 में पलामू के तत्कालीन डीसी शांतनु अग्रहरि ने भू अर्जन के खाते से पैसे की निकासी का मामला पकड़ा था, तब पलामू पुलिस ने इस मामले में नाजिर रामशंकर सिंह को जेल भी भेजा था.
हालांकि जब सीआईडी ने मामले की जांच शुरू की तब बड़े गिरोह की भूमिका सामने आई. इसी गिरोह ने लातेहार के आईटीडीए खाते से 9 करोड़ ,16 हजार 700 रुपये की निकासी की थी.
10 से अधिक खाते में ट्रांसफर किए गए थे पैसे
सीआईडी जांच में कई तथ्य सामने आए हैं ,जिसमें पलामू के विशेष भू अर्जन और लातेहार के आईटीडीए खाते से पैसे को फर्जी तरीके से अलग-अलग 10 से अधिक बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था.
सीआईडी द्वारा आईटीडीए के खातों में पैसे की वापसी करा ली गई है ,जबकि पलामू भू-अर्जन के खातों के पैसे की वापसी का प्रयास किया जा रहा है.
सीआईडी में जांच में पाया है कि साल 2018 में खातों से पैसे की निकासी के बाद एक ही दिन में कई अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया था.
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इन्हीं पैसों में सर्वाधिक रकम पुणे की शीतल कंस्ट्रक्शन के खाते में ट्रांसफर की गई थी. बाकी पैसे चंदू भाई पटेल और राउरकेला के एक बैंक खाते में ट्रांसफर हुए थे.
मास्टरमाइंड सहित छह हो चुके हैं गिरफ्तार
सीआईडी ने इस मामले में नकली चेक पर हस्ताक्षर करने वाले निर्भय कुमार उर्फ विवेक को पिछले साल दिसंबर महीने में जमुई से गिरफ्तार कर लिया था.
सीआईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि दोनों ही सरकारी खातों से पैसे की निकासी फर्जी आरटीजीएस एप्लीकेशन और फर्जी चेक के जरिए की गई थी.
जिन फर्जी चेक और फर्जी आरटीजीएस फॉर्म का इस्तेमाल फर्जी निकासी के लिए किया गया था. उस पर निर्भय ने ही हस्ताक्षर किए थे.
सीआईडी पूछताछ में निर्भय ने बताया था कि जिस खाते से पैसे की निकासी की जानी होती थी उसका ओरिजिनल कैंसिल चेक ,समेत अन्य जानकारी नालंदा से मास्टरमाइंड जमुई भेज देता था .
इसके बाद फर्जी चेक और फर्जी आरटीजीएस फॉर्म तैयार कर उसे पूरी तरह से सीलकर नालंदा भेजा जाता था. इसके बाद गिरोह के बाकी सदस्य उसके जरिए पैसे की निकासी कर लेते थे.
अलग-अलग शहरों में भेजे जाते थे पैसे
मिली जानकारी के अनुसार पैसों को निकालने के बाद उन्हें नागपुर ,जमशेदपुर, पलामू समेत अन्य जिले में रहने वाले साइबर अपराधियों के खाते में भेजे जाते थे. सीआईडी ने तकरीबन 90 लाख रुपए राजकुमार तिवारी और मनीष पांडे के खाते से जब्त किए हैं.