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मिड डे मील संचालन में कई परेशानियां, रसोइयाओं को नहीं मिला है 5 महीने से मानदेय - रसोइया को मानदेय नहीं

एक तरफ जहां झारखंड के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों को मध्याह्न भोजन योजना के लिए राशि अब तक सरकार की ओर से मुहैया नहीं कराई गई है. वहीं दूसरी ओर मध्याह्न भोजन बनाने वाली कर्मचारियों और रसोइया को भी लगभग 5 महीने से मानदेय नहीं मिला है. जिसके कारण कई परेशानियां हो रही है.

No honorarium to cook making mid day meal in Jharkhand
No honorarium to cook making mid day meal in Jharkhand
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Published : Apr 5, 2022, 10:36 PM IST

Updated : Apr 5, 2022, 11:06 PM IST

रांची: एक तरफ जहां शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो हमेशा ही बयान देते रहे हैं कि राज्य के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर डेवेलोप करेंगे. सभी परेशानियों को वह खुद अपने स्तर पर दूर करेंगे. जगरनाथ महतो कहते हैं जब तक जगरनाथ महतो रहेंगे तब तक स्कूली शिक्षा में समस्याएं नहीं होगी. लेकिन यहां मामला उलट है. इन दिनों झारखंड के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों को मध्याह्न भोजन योजना के लिए राशि तक नहीं मिल रही है.

ये भी पढ़ें- उधार के पैसों पर नौनिहालों का निवाला! समिति के खाते में 6 महीने से है जीरो बैलेंस, जानिए पूरा मामला

अप्रैल महीने में भी उधार के समान से ही मिड डे मील बनाने की तैयारी चल रही है. दुकानदारों, फल सब्जी वालों से भी क्रेडिट पर स्कूल प्रबंधक सामान लेने की तैयारी में है. तो दूसरी और मिड डे मील बनाने वाले कर्मचारियों और रसोइयों को 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. इससे कई परेशानियों का सामना ऐसे कर्मचारियों को करना पड़ रहा है. मामले को लेकर संबंधित शिक्षा पदाधिकारी कुछ भी कहने से गुरेज कर रहे हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री का लगातार ऐसे मामलों पर बयान आ रहे हैं. इसके बावजूद व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है.

देखें पूरी खबर

राज्य सरकार ने मार्च की राशि की भुगतान पिछले माह के अंत में मिड डे मील व्यवस्थित करने को लेकर की थी. यह राशि शिक्षकों ने दुकानदार को उपलब्ध करा दी थी. दुकानों में दाल, मसाला, तेल की राशि का भुगतान करना पड़ता है. सरकार ने स्कूलों को मॉर्निंग कर दिया है. ऐसे में नियमित रूप से बच्चों को मिड डे मील देना अनिवार्य है. स्टॉक में मिड डे मील का राशन है. उसका उपयोग हो रहा है. लेकिन आने वाले समय में इस ओर कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. मध्याह्न भोजन पकाने वाले रसोइयों को उनका मानदेय समय पर नहीं मिलने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.


ये भी पढ़ें- केंद्र ने भेजी मिड डे मील की राशि, खर्च नहीं कर पा रही है झारखंड सरकार


मामला काफी गंभीर है. एक तरफ राज्य सरकार स्कूली शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात करती है. तो दूसरी और समस्याएं सामने है. मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग को उचित कदम उठाना होगा. नहीं तो सरकारी स्कूलों में मिड डे मील संचालित करना स्कूल प्रबंधकों के लिए परेशानी भरा होगा.

रांची: एक तरफ जहां शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो हमेशा ही बयान देते रहे हैं कि राज्य के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर डेवेलोप करेंगे. सभी परेशानियों को वह खुद अपने स्तर पर दूर करेंगे. जगरनाथ महतो कहते हैं जब तक जगरनाथ महतो रहेंगे तब तक स्कूली शिक्षा में समस्याएं नहीं होगी. लेकिन यहां मामला उलट है. इन दिनों झारखंड के सरकारी प्रारंभिक स्कूलों को मध्याह्न भोजन योजना के लिए राशि तक नहीं मिल रही है.

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अप्रैल महीने में भी उधार के समान से ही मिड डे मील बनाने की तैयारी चल रही है. दुकानदारों, फल सब्जी वालों से भी क्रेडिट पर स्कूल प्रबंधक सामान लेने की तैयारी में है. तो दूसरी और मिड डे मील बनाने वाले कर्मचारियों और रसोइयों को 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. इससे कई परेशानियों का सामना ऐसे कर्मचारियों को करना पड़ रहा है. मामले को लेकर संबंधित शिक्षा पदाधिकारी कुछ भी कहने से गुरेज कर रहे हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री का लगातार ऐसे मामलों पर बयान आ रहे हैं. इसके बावजूद व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रहा है.

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राज्य सरकार ने मार्च की राशि की भुगतान पिछले माह के अंत में मिड डे मील व्यवस्थित करने को लेकर की थी. यह राशि शिक्षकों ने दुकानदार को उपलब्ध करा दी थी. दुकानों में दाल, मसाला, तेल की राशि का भुगतान करना पड़ता है. सरकार ने स्कूलों को मॉर्निंग कर दिया है. ऐसे में नियमित रूप से बच्चों को मिड डे मील देना अनिवार्य है. स्टॉक में मिड डे मील का राशन है. उसका उपयोग हो रहा है. लेकिन आने वाले समय में इस ओर कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. मध्याह्न भोजन पकाने वाले रसोइयों को उनका मानदेय समय पर नहीं मिलने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.


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मामला काफी गंभीर है. एक तरफ राज्य सरकार स्कूली शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात करती है. तो दूसरी और समस्याएं सामने है. मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा विभाग को उचित कदम उठाना होगा. नहीं तो सरकारी स्कूलों में मिड डे मील संचालित करना स्कूल प्रबंधकों के लिए परेशानी भरा होगा.

Last Updated : Apr 5, 2022, 11:06 PM IST
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