रांची: झारखंड के मजदूरों की जो स्थिति वर्तमान में है वही स्थिति आज से एक दशक पहले भी थी. दूसरे शब्दों में कहें तो दशकों से मजदूरों की माली हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है. वैसे तो मजदूरों के लिए झारखंड में सरकारी योजना काफी है. योजनाओं को लेकर मजदूरों में जागरुकता नहीं है. जानकारी के अभाव में मजदूर अपना हक नहीं ले पा रहे हैं.
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रांची के विभिन्न चौक चौराहों पर सुबह से ही शहरी मजदूर काम की तलाश में खड़े हो जाते हैं. कई मजदूरों को काम मिलता है तो कई मजदूर बिना काम के ही निराश होकर घर लौटने को मजबूर होते हैं. हालांकि झारखंड सरकार की तरफ से कई योजनाओं का लाभ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को देने की बात कही गयी है. लेकिन सभी योजनाओं के लाभ कागजों पर ही रह गए धरातल पर कुछ भी उतरता नहीं दिख रहा है.
मजदूरों को नहीं है सरकारी योजनाओं की जानकारी: ईटीवी भारत की टीम ने जब कई मजदूरों से बात की तो पता चला कि मजदूरों को सरकारी योजनाओं के कोई जानकारी नहीं है. वहीं मजदूरों को मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का भी लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है. इस योजना के तहत सरकारी स्तर पर मजदूरों को साल में 100 दिनों तक काम देने की बात कही गयी थी. लेकिन शहरी क्षेत्रों के मजदूर महीने में ज्यादा दिन बिना काम के ही घर पर रहने को मजबूर होते हैं. काम का इंतजार कर रहे मजदूर देव नाथ महतो, धराधर महतो, मंजू देवी ने बताया कि लेबर कार्ड या किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें वर्षों से नहीं मिल रहा है.
मजदूरों को सरकारी लाभ लेने के लिए किन-किन दस्तावेज की जरूरत: लेबर कार्ड बनाने के लिए असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को अपना पैन कार्ड, आधार कार्ड, मजदूर का राशन कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बैंक खाता संख्या, पासपोर्ट साइज फोटो सहित अन्य महत्वपूर्ण कागजात जमा करवाने होते हैं. जिसके बाद मजदूर का लेबर कार्ड बन पाता है और उन्हें विभिन्न तरह की सुविधाएं दी जाती है. लेकिन दुर्भाग्य है कि राजधानी के मजदूरों को इन सब बातों की जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि किसी के तरफ से उन्हें इस तरह की सुविधाओं के बारे में नहीं बताया जाता है.
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मजदूरों को योजनाओं की नहीं मिल रही जानकारी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता से बात की. इसको लेकर उन्होंने कहा कि मजदूरों की सुविधा को लेकर सरकार संवेदनशील और गंभीर है. प्रचार-प्रसार के माध्यम से मजदूरों को जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है, जो भी सुविधाएं हैं वह मुहैया कराने की प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जहां ये योजनाएं नहीं पहुंच रहे हैं वैसे मजदूरों को भी चिन्हित कर सरकार रजिस्ट्रेशन कराने का काम कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा मजदूर सरकारी योजनाओं का लाभ ले सके.
सरकारी योजना के तहत क्या क्या लाभ: शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों के लिए लेबर कार्ड की सुविधा प्रदान की गयी है. इसके अंतर्गत गरीब मजदूरों को एक हजार रुपये प्रति वर्ष प्रोत्साहन राशि दी जाती है. वहीं उनके कार्य के हिसाब से औजार खरीदने के लिए ढाई हजार रुपए डीबीटी के तहत उनके खाते में डाले जाते हैं. लेबर कार्ड बनने के बाद मजदूरों को एक वर्ष बाद साइकिल खरीदने के लिए 3500 रुपए उनके खाते में दिए जाते हैं. इसके अलावा रजिस्ट्रेशन कराए हुए मजदूरों के बच्चे को पांच हजार से पचास हजार रुपये तक पढ़ने के लिए स्टाइपेंड के रूप में दिया जाता है. लेबर कार्ड बनने के 5 साल बाद मजदूरों को सरकारी स्तर पर दो बेटियों की विवाह के लिए 50-50 हजार रुपये देने की भी सुविधा राज्य सरकार की तरफ से दी गयी है. मजदूरों को काम के दौरान अगर आकस्मिक मृत्यु हो जाती है तो सरकारी बीमा योजना के तहत उसे 5 लाख देने की भी सुविधा सरकार की तरफ से दी गयी है.