रांची: राजधानी रांची में जमीन को लेकर खून खराबा लगातार जारी है. मुख्यमंत्री गृह सचिव से लेकर डीजीपी तक जमीन माफिया पर नकेल कसने की हिदायत लगातार जारी कर रहे हैं. लेकिन उसका कोई फलाफल जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा है. आलम यह है कि राजधानी जैसी जगह पर आए दिन हत्या और जानलेवा हमले सिर्फ और सिर्फ जमीन विवाद में ही हो रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि कीमती जमीन के कारोबार में बड़ी संख्या में वाइट कॉलर वाले लोग शामिल हैं, जो भाड़े के हथियारों से न सिर्फ खून खराबा करवा रहे हैं बल्कि जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं. सुभाष मुंडा की हत्या से लेकर अवधेश यादव पर हुई गोलीबारी की घटनाएं इसकी ताकीद कर रही हैं.
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सफेदपोश बने चुनौती: माकपा नेता सुभाष मुंडा की हत्या के आरोप में शहर के बड़े जमीन कारोबारी छोटू मुंडा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा. जबकि छोटू मुंडा का कोई क्रिमिनल इतिहास नहीं था. वहीं जमीन कारोबारी अवधेश यादव पर दिनदहाड़े हमले का आरोपी भी चितरंजन है. चितरंजन का कभी कोई क्रिमिनल इतिहास नहीं है. लेकिन छोटू मुंडा और चितरंजन दोनों ने भाड़े के हथियारों के साथ मिलकर साजिश रची. छोटू की साजिश में सुभाष मुंडा मारे गए जबकि चितरंजन की साजिश की वजह से अवधेश यादव अस्पताल में जीवन और मौत के बीच जूझ रहे हैं. इसी तरह रांची के बड़े बिल्डर कमल भूषण और उनके अकाउंटेंट संजय सिंह की हत्या की गई. दोनों की हत्या जमीन को लेकर ही हुई. इस हत्याकांड को कमल भूषण के दामाद राहुल कुजूर के द्वारा अंजाम दिया गया, राहुल कुजूर का भी कोई क्रिमिनल इतिहास नहीं था.
दरअसल, जमीन के कारोबार में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जिनका क्रिमिनल हिस्ट्री ना के बराबर है लेकिन वे अपराधियों से साठ गांठ कर अपने कारोबार में रोड़ा बनने वाले लोगों को अपने रास्ते से हटवा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि कई बड़े-बड़े क्रिमिनल्स जो जेल से बाहर हैं वह भी जमीन के कारोबार में लिप्त हैं लेकिन हाल के दिनों में जो भी हत्याएं हुई हैं उनमें से किसी में भी उनका नाम सामने नहीं आया. लेकिन वैसे लोगों का नाम जरूर सामने आया जो सफेदपोश बन समाज में शानो-शौकत से जी रहे हैं.
आईवाश साबित हो रहा जमीन माफिया पर कार्रवाई: सुभाष मुंडा की हत्या के बाद सरकार हरकत में आई और बकायदा गृह सचिव और डीजीपी ने सभी थानेदारों तक को तलब कर जमीन के कारोबार से दूर रहने और जमीन माफिया पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. लेकिन जमीन माफिया पर कार्रवाई सिर्फ आईवाश ही साबित हो रही है. सरकार का आदेश था कि भू माफिया पर तड़ीपार और सीसीए लगाया जाए. लेकिन अधिकांश थानों के द्वारा सिर्फ शांति भंग की धारा 107 लगाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया.
अवधेश यादव पर हुई गोलीबारी मामले का मुख्य आरोपी चितरंजन राजधानी का बड़ा जमीन माफिया है लेकिन उसके खिलाफ सिर्फ 107 की धारा के तहत कार्रवाई की गई. सुभाष मुंडा की हत्या के बाद कई बिंदुओं पर आदेश जारी किए गए जिनमें प्रमुख आदेश थे कि अंचल अधिकारी और थाना प्रभारी प्रत्येक सप्ताह अंचल और थाना जाकर भू माफिया से जुड़े मामले और महत्वपूर्ण भूमि विवाद का निष्पादन सुनिश्चित करेंगे.
प्रत्येक थाना प्रभारी अपने-अपने थाना क्षेत्र में सक्रिय भू माफिया की सूची तैयार करेंगे जिनको उनके कृत के आधार पर सीसीए लगाने से लेकर अन्य कार्रवाई सुनिश्चित की जाए. जिस थाना क्षेत्र में जमीन को लेकर घटना होगी वहां के थाना प्रभारी पर कठोर कार्रवाई होगी. लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गए. शहर और ग्रामीण के कुछ थानेदारों ने तो भू माफिया की लिस्ट तैयार करने में बेहद संजीदगी दिखाई लेकिन कई ने इसे तत्परता से नहीं लिया. नतीजा सफेदपोश भू माफिया पुलिस के रडार पर आने से बच गए.
क्या कहते है रांची के एसएसपी: मामले को लेकर रांची के एसएसपी चंदन सिन्हा ने बताया कि जमीन के कारोबार में सफेदपोश लोगों की संलिप्तता को लेकर रांची पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है. एसएसपी के अनुसार सभी थाना प्रभारियों को उनके इलाके में सक्रिय जमीन कारोबारियों का सर्वे करने को कहा गया है. एसपी के अनुसार जो जमीन ब्रोकर सही तरीके से कम कर रहे हैं उनको पुलिस कभी परेशान नहीं करेगी. लेकिन जो जबरदस्ती जमीन कब्जा और फर्जी जमीन के कागजात के आधार पर जमीन की हेरा फेरी कर रहे हैं, उन्हें बख्शा भी नहीं जाएगा.
सर्वे में यह बात साफ हो जाएगी की कौन जमीन कारोबारी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त है या उनके संबंध अपराधियों से हैं. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. थाना स्तर पर वैसे सभी जमीन कारोबारी की सूची तैयार की जा रही है, जो कभी ना कभी किसी तरह से भी जमीन कब्जे में शामिल रहे हों या फिर फर्जी कागजात के आधार पर जमीन पर काम करने की कोशिश कर चुके हैं.