रांची: एनआईए ने स्टेन स्वामी के स्ट्रॉ और सिपर जब्त किए जाने के दावे को झूठ करार दिया है. एनआईए ने इस मामले में कहा है कि रांची में स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी आठ अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद नौ अक्टूबर को उनके खिलाफ मुंबई के एनआईए कोर्ट में चार्जशीट कर उन्हें जेल भेज दिया गया था. तब से वह तलोजा जेल में है.
एनआईए ने नहीं मांगा वक्त
6 नवंबर को एनआईए की मुंबई कोर्ट में स्टेन स्वामी ने अपने जब्त स्ट्रॉ और सिपर को मांगा था. एनआईए का दावा है कि स्टेन स्वामी ने गलत दावा किया है कि उनके स्ट्रॉ और सिपर को एजेंसी ने जब्त किया है. एनआईए ने कहा है कि स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में हुई थी, तब भी जब्त सूची में स्ट्रॉ और सिपर का जिक्र नहीं था. एनआईए ने उन खबरों को भी गलत बताते हुए कहा है कि स्टेन स्वामी की याचिका पर जवाबी दाखिल करने के लिए एनआईए ने 20 दिनों का वक्त मांगा है. एनआईए ने कहा है कि मुंबई कोर्ट ने स्टेन स्वामी की याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट को इस संबंध में एनआईए ने अपना जवाब भी 26 नवंबर को दायर कर दिया था. भीमा कोरगांव हिंसा के आरोपी स्टेन स्वामी मुंबई की जेल में हैं. ऐसे में स्ट्रॉ और सिपर की मांग उन्हें जेल प्रशासन से करनी चाहिए. जेल ऑथोरिटी महाराष्ट्र सरकार के प्रशासन के अधीन आते हैं.
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एनआईए ने फिर स्टेन स्वामी को बताया माओवादी
ताजा प्रेस बयान में भी एनआईए ने स्टेन स्वामी को माओवादी बताया है. एनआईए ने कहा है कि स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी से महाराष्ट्र में माओवादियों को झटका लगा है. स्टेन स्वामी माओवादियों की अग्रणी संस्था पीपीएससी के कंवेनर रहे हैं. उनके पास से कई माओवादी डॉक्यूमेंट जब्त किए जाने का भी दावा एजेंसी ने किया है. स्टेन स्वामी बीते कई दशकों से झारखंड में आदिवासियों के हक की आवाज उठाते रहे हैं. बता दें कि गलत मामलों में आदिवासियों को जेल भेजे जाने से जुड़े मामलों में वह मुखर भी रहे हैं. एनआईए ने उन्हें रांची के बगईचा स्थित आवास से गिरफ्तार किया था.