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अब 'SAANS' के जरिए बचेगी नौनिहालों की सांस, जानिए इसके फायदे

झारखंड में नौनिहालों को निमोनिया से बचाने के लिए एनएचएम ने सभी जिलों के सिविल सर्जन को पत्र लिखकर SAANS कार्यक्रम की तैयारियों को पूरा करने का निर्देश दिया है. इस कार्यक्रम से कोरोना की तीसरी लहर में भी बच्चों की जान बचाने में मदद मिलेगी.

breath for pneumonia
निमोनिया के लिए सांस
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Published : Jul 16, 2021, 10:42 AM IST

रांची: झारखंड में नौनिहालों को निमोनिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिले के सिविल सर्जन को पत्र भेजकर SAANS (Social Awareness & Action to Neutralise Pneumonia Successfully) की तैयारियां करने को कहा है.

ये भी पढ़ें- Corona: तीसरी लहर को लेकर झारखंड में तैयारी तेज, अस्पतालों में तैयार होंगे PICU और HDU बेड

एनएचएम का सिविल सर्जन को पत्र

एनएचएम (National Health Mission) झारखंड के अभियान निदेशक की ओर से जारी सिविल सर्जन को लिखे विभागीय पत्र में कहा गया है कि निमोनिया की शीघ्र पहचान और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2019 में यह कार्यक्रम शुरू किया है. जिसे अब धरातल पर उतारा जाएगा. पत्र में 3 साल से कम उम्र के बच्चों की निमोनिया से होने वाली मौत के आंकड़े को साल 2025 तक कम करने के लक्ष्य के बारे में भी बताया गया है.

SAANS की मुख्य बातें

  • राज्य और जिलास्तर पर स्किल लैब स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए 04 पीडियाट्रिक पुतले, 04 नेबुलाइजर, 04 सबबुटामोल इन्हेलर, 04 पल्स ऑक्सीमिटर, 02 ऑक्सीजन हुड, 04 नेजल प्रोनग्स, 04 suctions Catheter मुख्य संसाधन होंगे.
  • प्रत्येक प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (Community Health Officer) ये सुनिश्चत करेंगे कि 05 साल से कम उम्र के बच्चों में जल्द से जल्द निमोनिया की पहचान हो और उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाए.
  • सहिया और एएनएम दिसंबर से फरवरी तक सामुदायिक स्तर पर निमोनिया से संबंधित जागरुकता और आईईसी कार्यक्रम सुनिश्चित करेंगे
  • सभी प्रखंडों और जिला स्वास्थ्य संस्थानों में निमोनिया प्रबंधन और उपचार की सभी दवा (Amoxicillin tab, syrup, जेंटामाइसिन इंजेक्शन एंपीसिलीन इंजेक्शन) उपकरणों में पल्स ऑक्सीमीटर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

सीएचओ को बनाया गया नोडल अधिकारी

SAANS के पूरे अभियान के लिए कम्युनिटी स्वास्थ्य अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है. जो निमोनिया से बचाव के सभी उपाय को सुनिश्चत कराने के साथ-साथ स्वास्थ्य मुख्यालय को भी प्रस्तावित फॉर्मेट में जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

तीसरी लहर में मिलेगी मदद

बच्चों में निमोनिया बेहद घातक और जानलेवा साबित होता है. ऐसे में निमोनिया को लेकर SAANS से न सिर्फ सामान्य निमोनिया के केस में नौनिहालों की जान बचाई जा सकेगी बल्कि कोरोना संक्रमण के समय भी अगर बच्चे संक्रमित होते हैं तो उस समय भी उनके जीवन को बचाने में मदद मिलेगी.

बच्चों की मौत में आएगी कमी

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में निमोनिया 5 साल के कम आयु के बच्चों में रोग और मौत का मुख्य कारण है. इससे 15 फीसदी बच्चों की मौत राज्य में हरेक साल होती है. ऐसे में 17 जून 2021 से न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन को टीकाकरण अभियान में शामिल करने के बाद अब SAANS अभियान से निमोनिया से बच्चों को बचाने में मदद मिलेगी.

रांची: झारखंड में नौनिहालों को निमोनिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिले के सिविल सर्जन को पत्र भेजकर SAANS (Social Awareness & Action to Neutralise Pneumonia Successfully) की तैयारियां करने को कहा है.

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एनएचएम का सिविल सर्जन को पत्र

एनएचएम (National Health Mission) झारखंड के अभियान निदेशक की ओर से जारी सिविल सर्जन को लिखे विभागीय पत्र में कहा गया है कि निमोनिया की शीघ्र पहचान और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने नवंबर 2019 में यह कार्यक्रम शुरू किया है. जिसे अब धरातल पर उतारा जाएगा. पत्र में 3 साल से कम उम्र के बच्चों की निमोनिया से होने वाली मौत के आंकड़े को साल 2025 तक कम करने के लक्ष्य के बारे में भी बताया गया है.

SAANS की मुख्य बातें

  • राज्य और जिलास्तर पर स्किल लैब स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए 04 पीडियाट्रिक पुतले, 04 नेबुलाइजर, 04 सबबुटामोल इन्हेलर, 04 पल्स ऑक्सीमिटर, 02 ऑक्सीजन हुड, 04 नेजल प्रोनग्स, 04 suctions Catheter मुख्य संसाधन होंगे.
  • प्रत्येक प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (Community Health Officer) ये सुनिश्चत करेंगे कि 05 साल से कम उम्र के बच्चों में जल्द से जल्द निमोनिया की पहचान हो और उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाए.
  • सहिया और एएनएम दिसंबर से फरवरी तक सामुदायिक स्तर पर निमोनिया से संबंधित जागरुकता और आईईसी कार्यक्रम सुनिश्चित करेंगे
  • सभी प्रखंडों और जिला स्वास्थ्य संस्थानों में निमोनिया प्रबंधन और उपचार की सभी दवा (Amoxicillin tab, syrup, जेंटामाइसिन इंजेक्शन एंपीसिलीन इंजेक्शन) उपकरणों में पल्स ऑक्सीमीटर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.

सीएचओ को बनाया गया नोडल अधिकारी

SAANS के पूरे अभियान के लिए कम्युनिटी स्वास्थ्य अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है. जो निमोनिया से बचाव के सभी उपाय को सुनिश्चत कराने के साथ-साथ स्वास्थ्य मुख्यालय को भी प्रस्तावित फॉर्मेट में जानकारी उपलब्ध कराएंगे.

तीसरी लहर में मिलेगी मदद

बच्चों में निमोनिया बेहद घातक और जानलेवा साबित होता है. ऐसे में निमोनिया को लेकर SAANS से न सिर्फ सामान्य निमोनिया के केस में नौनिहालों की जान बचाई जा सकेगी बल्कि कोरोना संक्रमण के समय भी अगर बच्चे संक्रमित होते हैं तो उस समय भी उनके जीवन को बचाने में मदद मिलेगी.

बच्चों की मौत में आएगी कमी

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में निमोनिया 5 साल के कम आयु के बच्चों में रोग और मौत का मुख्य कारण है. इससे 15 फीसदी बच्चों की मौत राज्य में हरेक साल होती है. ऐसे में 17 जून 2021 से न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन को टीकाकरण अभियान में शामिल करने के बाद अब SAANS अभियान से निमोनिया से बच्चों को बचाने में मदद मिलेगी.

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