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नई शराब नीति पर विवाद: कोर्ट के आदेश आने तक नया लाइसेंस नहीं किया जाएगा जारी, उत्पाद विभाग का फैसला

झारखंड हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के आलोक में उत्पाद विभाग ने नये लाइसेंस जारी करने पर ब्रेक लगा दिया है. अब कोर्ट का फैसला आने के बाद ही नई शराब नीति के तहत लाइसेंस निर्गत की जाएगी.

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नई शराब नीति पर विवाद
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Published : Sep 29, 2021, 2:02 PM IST

रांचीः झारखंड में थोक शराब की बिक्री को लेकर नया लाइसेंस आवंटित नहीं किया जाएगा. यह निर्णय उत्पाद विभाग ने लिया है. झारखंड हाई कोर्ट में मदिरा का भंडारण एवं थोक बिक्री नियमावली 2021 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिसपर कोर्ट ने अंतरिम फैसला सुनाने तक निर्देश दिया कि जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आता है, तब तक नया लाइसेंस जारी नहीं करेंगे. कोर्ट के अंतरिम आदेश के आलोक में उत्पाद विभाग ने नया लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है.

यह भी पढ़ेंःशराब नीतिः झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच में होगी सुनवाई, नई नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका दायर


नये नियमावली से अब तक 50 करोड़ राजस्व प्राप्ति का दावा

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने राज्य में नई नियमावली के तहत शराब के थोक बिक्री के जो लाइसेंस जारी किये गए हैं, उससे अब तक 50 करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि राज्य में शराब के थोक बिक्री के लाइसेंस के लिए आवेदन 21 जून से 5 जुलाई तक आमंत्रित किये गए थे. निर्धारित अवधि में 39 आवेदन विभागीय ऑनलाइन पोर्टल से प्राप्त हुआ. इसमें 33 आवेदकों ने नियमानुसार और तय शर्त के अनुरूप आवेदन जमा किया और छह आवेदन को रद्द किया गया. विभागीय अधिकारी ने बताया कि अब तक 24 लाइसेंस जारी किया जा चुका है.


नई नीति से 3 हजार करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य
शराब की नई नीति बनाने के पीछे सरकार का मकसद तेजी से राजस्व में बढ़ोतरी करना है. शराब ही ऐसा सेक्टर है, जहां से राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. कोरोना लॉकडाउन के बावजूद 2020-21 में विभाग ने करीब 1800 करोड़ रुपये शराब बेचकर राजस्व प्राप्त किया था. राज्य सरकार को उम्मीद है कि नई नीति से 3000 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होगी. झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में पिछले वित्तीय वर्ष में 5400 करोड़ राजस्व संग्रह शराब की बिक्री से हुआ.

रांचीः झारखंड में थोक शराब की बिक्री को लेकर नया लाइसेंस आवंटित नहीं किया जाएगा. यह निर्णय उत्पाद विभाग ने लिया है. झारखंड हाई कोर्ट में मदिरा का भंडारण एवं थोक बिक्री नियमावली 2021 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है, जिसपर कोर्ट ने अंतरिम फैसला सुनाने तक निर्देश दिया कि जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आता है, तब तक नया लाइसेंस जारी नहीं करेंगे. कोर्ट के अंतरिम आदेश के आलोक में उत्पाद विभाग ने नया लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है.

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नये नियमावली से अब तक 50 करोड़ राजस्व प्राप्ति का दावा

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने राज्य में नई नियमावली के तहत शराब के थोक बिक्री के जो लाइसेंस जारी किये गए हैं, उससे अब तक 50 करोड़ से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि राज्य में शराब के थोक बिक्री के लाइसेंस के लिए आवेदन 21 जून से 5 जुलाई तक आमंत्रित किये गए थे. निर्धारित अवधि में 39 आवेदन विभागीय ऑनलाइन पोर्टल से प्राप्त हुआ. इसमें 33 आवेदकों ने नियमानुसार और तय शर्त के अनुरूप आवेदन जमा किया और छह आवेदन को रद्द किया गया. विभागीय अधिकारी ने बताया कि अब तक 24 लाइसेंस जारी किया जा चुका है.


नई नीति से 3 हजार करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य
शराब की नई नीति बनाने के पीछे सरकार का मकसद तेजी से राजस्व में बढ़ोतरी करना है. शराब ही ऐसा सेक्टर है, जहां से राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है. कोरोना लॉकडाउन के बावजूद 2020-21 में विभाग ने करीब 1800 करोड़ रुपये शराब बेचकर राजस्व प्राप्त किया था. राज्य सरकार को उम्मीद है कि नई नीति से 3000 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होगी. झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में पिछले वित्तीय वर्ष में 5400 करोड़ राजस्व संग्रह शराब की बिक्री से हुआ.

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