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नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को नहीं मिली है अवधि विस्तार, भ्रामक खबरों पर सरकार ने जताई नाराजगी

नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को फिर से चालू किए जाने को लेकर भ्रामक खबरों पर झारखंड के सूचना और जमसंपर्क विभाग ने नाराजगी जताई है. विभाग का कहना है कि इस बंद करने का फैसला सरकार ने पहले ही ले लिया है और इसे फिर से चालू नहीं किया जाएगा.

Netarhat field firing range
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Published : Mar 17, 2023, 5:32 PM IST

रांची: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार को लेकर चल रही भ्रामक खबरों को राज्य सरकार ने खारिज करते हुए कहा है कि सरकार की इस तरह की कोई मंशा नहीं है. इस संबंध में मुख्यमंत्री के द्वारा नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को 2022 में ही अस्वीकृत कर दिया गया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद 1994 से चल रहे तोपाभ्यास बंद रहने और लंबी अवधि से हजारों ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए नेतरहाट फिल्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को राज सरकार ने 2022 में अस्वीकृत कर दिया गया था.

ये भी पढ़ें: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में राजभवन मार्च, पदयात्रा कर 200 लोग पहुंचे रांची

सोशल मीडिया में आ रही खबर निराधार: सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस संबंध में मीडिया और सोशल मीडिया में आ रही इस बात पर नाराजगी जताई गई है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द नहीं हुआ है. जबकि राज्य सरकार के पत्रांक 582 दिनांक 29-8- 2022 और पत्रांक 376 दिनांक 14-06-2022 में स्पष्ट उल्लेख है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के आदेश पर अस्वीकृत कर दी गई है. अब यहां राज्य सरकार के निर्णय के बाद किसी तरह का सैनिक अभ्यास नहीं किया जाएगा.

1964 में शुरू हुआ था नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का शुरुआत 1964 में हुई थी. इसके बाद तब के बिहार सरकार ने 1999 में इसे विस्तार दिया था. हालांकि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का लगातार विरोध हो रहा था. 2022 में लातेहार के करीब 39 राजस्व गांव के लोगों ने आम सभा के जरिए राज्यपाल और झारखंड सरकार को एक ज्ञापन देकर इसे बंद करने की मांग की थी.

जो ज्ञापन सौंपा गया था इसमें लोगों ने बताया था कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज लातेहार और गुमला जिले की पांचवी अनुसूची में आता है. इसलिए यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है. इस एक्ट के तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. यही वजह है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाकों के ग्राम प्रधानों ने गांव की सीमा के अंदर सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया था. इसके साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और नहीं बढ़ाने की मांग मुख्यमंत्री से की थी.

रांची: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार को लेकर चल रही भ्रामक खबरों को राज्य सरकार ने खारिज करते हुए कहा है कि सरकार की इस तरह की कोई मंशा नहीं है. इस संबंध में मुख्यमंत्री के द्वारा नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को 2022 में ही अस्वीकृत कर दिया गया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद 1994 से चल रहे तोपाभ्यास बंद रहने और लंबी अवधि से हजारों ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए नेतरहाट फिल्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को राज सरकार ने 2022 में अस्वीकृत कर दिया गया था.

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सोशल मीडिया में आ रही खबर निराधार: सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस संबंध में मीडिया और सोशल मीडिया में आ रही इस बात पर नाराजगी जताई गई है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द नहीं हुआ है. जबकि राज्य सरकार के पत्रांक 582 दिनांक 29-8- 2022 और पत्रांक 376 दिनांक 14-06-2022 में स्पष्ट उल्लेख है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को फिर से अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के आदेश पर अस्वीकृत कर दी गई है. अब यहां राज्य सरकार के निर्णय के बाद किसी तरह का सैनिक अभ्यास नहीं किया जाएगा.

1964 में शुरू हुआ था नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का शुरुआत 1964 में हुई थी. इसके बाद तब के बिहार सरकार ने 1999 में इसे विस्तार दिया था. हालांकि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का लगातार विरोध हो रहा था. 2022 में लातेहार के करीब 39 राजस्व गांव के लोगों ने आम सभा के जरिए राज्यपाल और झारखंड सरकार को एक ज्ञापन देकर इसे बंद करने की मांग की थी.

जो ज्ञापन सौंपा गया था इसमें लोगों ने बताया था कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज लातेहार और गुमला जिले की पांचवी अनुसूची में आता है. इसलिए यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है. इस एक्ट के तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. यही वजह है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाकों के ग्राम प्रधानों ने गांव की सीमा के अंदर सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया था. इसके साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और नहीं बढ़ाने की मांग मुख्यमंत्री से की थी.

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