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दो साल तक डीजीपी बने रहेंगे नीरज सिन्हा, राज्य सरकार के गृह विभाग ने जारी किया आदेश - झारखंड न्यूज

11 फरवरी 2023 तक नीरज सिन्हा झारखंड के डीजीपी बने रहेंगे. राज्य सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है.

Neeraj Sinha DGP of Jharkhand
नीरज सिन्हा झारखंड डीजीपी
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Published : Jul 16, 2021, 7:14 PM IST

रांची: राज्य सरकार ने डीजीपी नीरज सिन्हा का कार्यकाल दो साल तय कर दिया है. राज्य सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 1987 बैच के अधिकारी नीरज सिन्हा का कार्यकाल उनके योगदान की तारीख से दो साल कर दिया है. राज्य सरकार के द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि नीरज सिन्हा को 11 फरवरी 2021 को डीजीपी बनाया गया था. इस तारीख से दो साल यानि 11 फरवरी 2023 तक नीरज सिन्हा डीजीपी पद पर बने रहेंगे.

ये भी पढ़ें- नीरज सिन्हा बने झारखंड के नए DGP, एमवी राव हटाए गए

क्यों राज्य सरकार ने लिया फैसला

राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक, यूपीएससी के द्वारा डीजीपी पद पर बहाली के लिए गठित इंपैनलमेंट समिति के द्वारा भेजे गए पैनल में नीरज सिन्हा का नाम था. इसी आधार पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के 2006 और 2018 के फैसलों के आलोक में दो साल का पदभार दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, 2019 में डीजीपी के लिए अनुशंसित पैनल में नीरज सिन्हा का नाम था. इसी पैनल के आधार पर उनका चयन राज्य सरकार ने किया था, जिसके बाद उन्हें 11 फरवरी को नियमित डीजीपी बनाया था. इससे पहले राज्य सरकार में डीजीपी का पद प्रभार पर एमवी राव को देकर चलाया जा रहा था. पैनल में एमवी राव का नाम नहीं था, जब उन्हें डीजीपी का प्रभार दिया गया था, तब वह वरीयता भी नहीं रखते थे.

ये भी पढ़ें- झारखंड के नए डीजीपी नीरज सिन्हा ने संभाला पदभार, कहा- अपराध और नक्सल वारदातों पर रोक लगाना है प्राथमिकता

अवमानना के मामले में कोर्ट में जवाब देगी सरकार

राज्य सरकार के द्वारा डीजीपी के पद से केएन चौबे को दो साल के पहले हटाए जाने को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर करेगी. जानकारी के मुताबिक, अवमानना के मामले में निजी व्यक्ति के द्वारा किए गए रिट को सरकार गलत मान रही. जानकारी के मुताबिक, किसी भी निजी व्यक्ति के द्वारा अवमानना संबंधी मामला रिट करने के लिए अटार्नी जनरल की अनुमति जरूरी होती है.

रांची: राज्य सरकार ने डीजीपी नीरज सिन्हा का कार्यकाल दो साल तय कर दिया है. राज्य सरकार के गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 1987 बैच के अधिकारी नीरज सिन्हा का कार्यकाल उनके योगदान की तारीख से दो साल कर दिया है. राज्य सरकार के द्वारा शुक्रवार को जारी अधिसूचना में बताया गया है कि नीरज सिन्हा को 11 फरवरी 2021 को डीजीपी बनाया गया था. इस तारीख से दो साल यानि 11 फरवरी 2023 तक नीरज सिन्हा डीजीपी पद पर बने रहेंगे.

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क्यों राज्य सरकार ने लिया फैसला

राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक, यूपीएससी के द्वारा डीजीपी पद पर बहाली के लिए गठित इंपैनलमेंट समिति के द्वारा भेजे गए पैनल में नीरज सिन्हा का नाम था. इसी आधार पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के 2006 और 2018 के फैसलों के आलोक में दो साल का पदभार दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, 2019 में डीजीपी के लिए अनुशंसित पैनल में नीरज सिन्हा का नाम था. इसी पैनल के आधार पर उनका चयन राज्य सरकार ने किया था, जिसके बाद उन्हें 11 फरवरी को नियमित डीजीपी बनाया था. इससे पहले राज्य सरकार में डीजीपी का पद प्रभार पर एमवी राव को देकर चलाया जा रहा था. पैनल में एमवी राव का नाम नहीं था, जब उन्हें डीजीपी का प्रभार दिया गया था, तब वह वरीयता भी नहीं रखते थे.

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अवमानना के मामले में कोर्ट में जवाब देगी सरकार

राज्य सरकार के द्वारा डीजीपी के पद से केएन चौबे को दो साल के पहले हटाए जाने को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में जवाब दायर करेगी. जानकारी के मुताबिक, अवमानना के मामले में निजी व्यक्ति के द्वारा किए गए रिट को सरकार गलत मान रही. जानकारी के मुताबिक, किसी भी निजी व्यक्ति के द्वारा अवमानना संबंधी मामला रिट करने के लिए अटार्नी जनरल की अनुमति जरूरी होती है.

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