रांची: झालसा के निर्देश पर डालसा की ओर से शनिवार को रांची सिविल कोर्ट न्यायिक परिषद में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अमृता अल्पेश सोनी ने कहा कि वह किन्नर, सेक्स वर्कर और वैसे लोग जिसे समाज तिरस्कार की भावना से देखता है, उनके साथ मिलकर काम करती हैं, जिससे उन्हें समाज में सम्मान मिले और उन्हें भी आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशस्त हो. वह ट्राई इंडिया एनजीओ में स्वास्थ्य निदेशक के रूप में कार्यरत हैं.
ये भी पढ़ें-फिजिकल कोर्ट शुरू करने की मांग, 6 जनवरी को धरना देंगे रांची सिविल कोर्ट के वकील
किन्नरों को भी समाज में मिलेगा सम्मान
अमृता अल्पेश सोनी ने कहा कि काफी मशक्कत और संघर्ष के बाद वह अपने मुकाम तक पहुंची हैं. वे किन्नर हैं, इसलिए समाज उन्हें घृणा की दृष्टि से देखता है. झारखंड के सभी व्यवहार न्यायालयों में आयोजित होने वाले लोक अदालत और राष्ट्रीय लोक अदालत में अगर किन्नर के लिए एक बैंच गठित हो तो किन्नरों को भी समाज में सम्मान मिलेगा. उन्हें भी लोग सम्मान की दृष्टि से देखेंगे. ट्रांसजेंडरों को भी समाज में एक सामान सम्मान मिलना चाहिए.
लोक अदालत में ट्रांसजेंडर के लिए बेंच गठित
रांची के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी ने कहा कि कोरोना काल में माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर व्यवहार न्यायालय रांची में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया है, ताकि वादकारी अपने वादों को निपटा सके. इस वर्चुअल माध्यम से आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में वादकारी वर्चुअल माध्यम से अपने वादों को सहजतापूर्वक निबटा सकते हैं. लोक अदालत में ट्रांसजेंडर के लिए बेंच गठित की गयी है, जिससे उनको भी समाज में सम्मान मिले. यह काबिल-ए-तारीफ है. उन्होंने कहा कि अमृता अल्पेश सोनी अपने जीवन में काफी संघर्ष कर अपने मुकाम पर पहुंची हैं. वे किन्नर समाज को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए प्रेरणा-श्रोत का काम कर रही हैं.
ये भी पढ़ें-फिजिकल कोर्ट शुरू करने की मांग, 6 जनवरी को धरना देंगे रांची सिविल कोर्ट के वकील
18 बैंचों का गठन
डालसा सचिव अभिषेक कुमार ने कहा कि वर्चुअल माध्यम से आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के सफल आयोजन के लिए कुल 47 बैंचों का गठन किया गया है, जिसमें न्यायिक पदाधिकारियों के लिए कुल 29 और एक्जीक्यूटिव ऑफिसर के लिए कुल 18 बैंचों का गठन किया गया है. शनिवार को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में पक्षकार अधिक से अधिक संख्या में अपने मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में सूचीबद्ध कराकर सस्ता और सुलभ न्याय प्राप्त कर सकते हैं.
2427 लंबित मामलों का निस्तारण
शनिवार को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 2471 वादों का निष्पादन किया गया और 1 करोड़, 18 लाख, 33 हजार, 1 सौ रुपये का निष्पादन विभिन्न वादों में किया गया. बिजली के मामलों का निष्पादन बेंच नंबर 2 की ओर से किया गया, जिसमें कुल 90 वाद निष्पादित हुए. प्री-लिटिगेशन के कुल 44 मामले और 2427 लंबित मामलों का निस्तारण भी किया गया. निष्पादित मामलों में आपराधिक सुलहनीय मामले, ट्रैफिक, उत्पाद, वन, मापतौल, रेलवे और बैंकिंग प्रमुख है.
ये भी पढ़ें-रांची व्यवहार न्यायालय में ऑनलाइन तरीके से होगा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, 10 हजार मामलों का चयन
राष्ट्रीय लोक अदालत में 20 वर्ष पुराना मामला सुलझा
राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित होने वाले मामलों में एक मामला प्रमुख हैं, जिसमें वादी पवन कुमार गुप्ता ने अपने पिता स्व. आनंद स्वरूप गुप्ता और छोटे भाई सुशील कुमार गुप्ता के विरुद्ध पारिवारिक वाद 511/2000 दिनांक 05.09.2000 को माननीय न्यायालय में दायर किया था, जिसमें उन्होंने अपने पिता और भाई के विरुद्ध वादी के मां की ओर से दिए गए ज्वेलरी और रुपए गबन करने का आरोप और समान नहीं लौटाने का आरोप लगाते हुए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 193, 406, 420 और 34 के तहत माननीय न्यायालय में वाद दायर किया था, जिसमें न्यायालय की ओर से अभियुक्त के विरुद्ध 09.10.2004 को दंड प्रकिया की धारा 406 के तहत संज्ञान लिया गया. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच हुए विवाद का निबटारा कर 20 वर्ष पुराने वाद को निरस्त के लिए वादी के अधिवक्ता कौशल कुमार ने राष्ट्रीय लोक अदालत के समक्ष वाद को निबटाने की प्रार्थना की, जिसे राष्ट्रीय लोक अदालत की खंडपीठ ने निबटारा करते हुए वाद को समाप्त कर दिया.
बीमा कंपनी की ओर से राशि बढ़ाने पर सहमति
झारखंड हाई कोर्ट में मुआवजे की राशि बढ़ाने को लेकर पिछले 10 साल से लंबित 4 मामलों का राष्ट्रीय लोक अदालत में निष्पादन हुआ. इसमें बीमा कंपनी की ओर से राशि बढ़ाने पर सहमति के बाद अदालत ने मुआवजा राशि से अतिरिक्त राशि भुगतान का निर्देश दिया. अदालत ने बीमा कंपनियों को 30 दिनों के अंदर ट्रिब्यूनल कोर्ट में अतिरिक्त राशि जमा करने का निर्देश दिया है. पीड़ित परिवार उचित प्रमाण-पत्र दिखाकर मुआवजा राशि प्राप्त कर सकते हैं. शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर वाहन दुर्घटना, श्रम न्यायालय, आपराधिक समेत अन्य मामलों की वर्चुअल सुनवाई हुई.
ये भी पढ़ें-झारखंड में शनिवार को होगा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, झालसा ने तैयारी की पूरी
पीड़ित परिवारों को निचली अदालत से मिल चुकी थी मुआवजा राशि
अधिवक्ता अरविंद कुमार लाल ने बताया कि पीड़ित परिवारों को निचली अदालत से मुआवजा राशि मिल चुकी थी, लेकिन इन्होंने इस राशि को बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. मेरुन देवी, शीला देवी, सुरती, विनोद, मसोमात शहीदन और अजमेरन देवी लातेहार में बस से जा रहे थे. बस पलट गइ थी. इनलोगों के परिजनों को 1.50 से 1.75 लाख का मुआवजा मिला था. शनिवार को लोक अदालत में सुनवाई के बाद इन्हें 1.30 लाख अतिरिक्त मुआवजा राशि देने का आदेश दिया गया.
1.75 लाख रुपए अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश
अधिवक्ता ने बताया कि पुष्पा देवी के पति की खूंटी जिले में बाइक दुर्घटना में मौत हो गई थी. ट्रिब्यूनल कोर्ट से फैसला होने के बाद भी बीमा कंपनी पैसा नहीं दे रही थी. ट्रिब्यूनल कोर्ट से 4 लाख मुआवजा देने का आदेश हुआ था, इसके बाद इन्होंने ब्याज के साथ अतिरिक्त 2.25 लाख रुपए मुआवजा देने का आग्रह किया है. मीरा देवी के बच्चे की मौत पर मुआवजा के तौर पर 1.50 लाख रुपए मिले थे. यह राशि वर्ष 2011 में मिली थी. लोक अदालत में 1.75 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने का आदेश दिया है. वहीं, वीणा सिन्हा भूमि विकास बैंक में मैनेजर थी. 2005 में दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी. इन्हें 2.50 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने को लेकर सहमति बनी.
10,542 प्री लिटिगेशन के मामले का निष्पादन
हाई कोर्ट सहित राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में लोक अदालत में 15,765 मामलों का निपटारा किया गया. लोगों के बीच 24 करोड़ 96 लाख 35 हजार 395 रुपए का बंटवारा किया गया. 10,542 प्री लिटिगेशन के मामले का निष्पादन किया गया. वहीं 5,223 पेंडिंग मामलों का निष्पादन किया गया. लोक अदालत में सर्विस मैटर को सूचीबद्ध किया गया था. इसमें प्रमोशन, वेतन, सिविल, फौजदारी, इंश्योरेंस, सड़क दुर्घटना और अन्य मामलों का निपटारा किया गया, जिसमें अधिकांश इंश्योरेंस के मामले का निपटारा किया गया है. कई मामलों को कोर्ट पहुंचने के पहले ही सुलझा दिया गया.