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मजदूर विरोधी कानूनों के विरोध में 1 अप्रैल से पूरे देश में रथ यात्रा निकालेगी इंटक: केएन त्रिपाठी - श्रम कानून मजदूर विरोधी

दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में इंटक के राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई. इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने कहा कि इंटक मौजूदा मजदूर विरोधी कानूनों को लेकर पूरे देश में रथ यात्रा निकालेगी, कई ऐसे मसले हैं जिनपर सरकार को बदलाव करने पड़ेंगे, तीनों कृषि कानून और तीनों श्रम कानून मजदूर विरोधी हैं.

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इंटक की बैठक
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Published : Jan 19, 2021, 7:32 PM IST

नई दिल्ली: इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में हुई, जिसकी अध्यक्षता इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह झारखंड सरकार के पूर्व श्रममंत्री केएन त्रिपाठी ने की. बैठक में भारत यात्रा का प्रस्ताव पारित किया गया है.

जानकारी देते केएन त्रिपाठी

केएन त्रिपाठी ने कहा कि इंटक मौजूदा मजदूर विरोधी कानूनों को लेकर पूरे देश में रथ यात्रा निकालेगी, कई ऐसे मसले हैं जिनपर सरकार को बदलाव करने पड़ेंगे, तीनों कृषि कानून और तीनों श्रम कानून मजदूर विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 47 श्रम कानूनों को हटाकर 4 लेबर कोड़ लाया है, उसमें मजदूरों के हित की बात को हटा दिया गया है, जिसके चलते देश में उद्योगपति, व्यवसायी और अन्य लोग मजदूरों के साथ तानाशाही रवैया अपनाने लगेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार असंगठित मजदूरों का डायरेक्ट रिकॉर्ड रखे और 60 साल से ऊपर उम्र वालों के खाते में 5000 प्रति महीना पेंशन दें, क्योंकि जो 60 साल से ऊपर हैं, जो विकलांग हैं, विधवा या जो वृद्ध कृषक मजदूर हैं वे अपने जीविकोपार्जन में अक्षम हैं. केएन त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे कई कानून हैं, जहां सरकार ने मजदूरों के अधिकारों को हटा दिया है, अतः सरकार से मांग है कि पार्लियामेंट में उसमें संशोधन करके उन चीजों को समाहित करें, यदि सरकार यह नहीं करती है और 1 अप्रैल 2021 से इसे लागू करती है तो उसके बाद हम देशव्यापी आंदोलन करेंगे.

इसे भी पढे़ं: वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की केंद्र सरकार से मांग, केंद्रीय सहायता राशि में करें बढ़ोतरी

किसानों और मजदूरों के हित की मांग

बैठक के दौरान इंटक कार्यसमिति ने शत प्रतिशत एफडीआई का विरोध, किसान हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग, लॉकडाउन के दौरान भारत सरकार और अधीनस्थ एजेंसी के ओर से दुर्व्यवहार, कार्यमुक्त किए गए श्रमिकों/कर्मियों की फिर से नियुक्ति, कार्यरत कर्मियों/मजदूरों को खनन औद्योगिक कंपनी अधिनियम के तहत समय-समय पर भारत सरकार/राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप मानेदेय और ससमय पदोन्नति देने, सभी क्षेत्रों में कार्यरत महिला कर्मियों/ श्रमिकों को सरकार के मानदंड के अनुरूप सुविधा मुहैया कराने, उनके साथ किए जाने वाले मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से मुक्त कराने पर परिचर्चा की.

नई दिल्ली: इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक दिल्ली के कांस्टीट्यूशनल क्लब में हुई, जिसकी अध्यक्षता इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह झारखंड सरकार के पूर्व श्रममंत्री केएन त्रिपाठी ने की. बैठक में भारत यात्रा का प्रस्ताव पारित किया गया है.

जानकारी देते केएन त्रिपाठी

केएन त्रिपाठी ने कहा कि इंटक मौजूदा मजदूर विरोधी कानूनों को लेकर पूरे देश में रथ यात्रा निकालेगी, कई ऐसे मसले हैं जिनपर सरकार को बदलाव करने पड़ेंगे, तीनों कृषि कानून और तीनों श्रम कानून मजदूर विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 47 श्रम कानूनों को हटाकर 4 लेबर कोड़ लाया है, उसमें मजदूरों के हित की बात को हटा दिया गया है, जिसके चलते देश में उद्योगपति, व्यवसायी और अन्य लोग मजदूरों के साथ तानाशाही रवैया अपनाने लगेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार असंगठित मजदूरों का डायरेक्ट रिकॉर्ड रखे और 60 साल से ऊपर उम्र वालों के खाते में 5000 प्रति महीना पेंशन दें, क्योंकि जो 60 साल से ऊपर हैं, जो विकलांग हैं, विधवा या जो वृद्ध कृषक मजदूर हैं वे अपने जीविकोपार्जन में अक्षम हैं. केएन त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे कई कानून हैं, जहां सरकार ने मजदूरों के अधिकारों को हटा दिया है, अतः सरकार से मांग है कि पार्लियामेंट में उसमें संशोधन करके उन चीजों को समाहित करें, यदि सरकार यह नहीं करती है और 1 अप्रैल 2021 से इसे लागू करती है तो उसके बाद हम देशव्यापी आंदोलन करेंगे.

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किसानों और मजदूरों के हित की मांग

बैठक के दौरान इंटक कार्यसमिति ने शत प्रतिशत एफडीआई का विरोध, किसान हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग, लॉकडाउन के दौरान भारत सरकार और अधीनस्थ एजेंसी के ओर से दुर्व्यवहार, कार्यमुक्त किए गए श्रमिकों/कर्मियों की फिर से नियुक्ति, कार्यरत कर्मियों/मजदूरों को खनन औद्योगिक कंपनी अधिनियम के तहत समय-समय पर भारत सरकार/राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुरूप मानेदेय और ससमय पदोन्नति देने, सभी क्षेत्रों में कार्यरत महिला कर्मियों/ श्रमिकों को सरकार के मानदंड के अनुरूप सुविधा मुहैया कराने, उनके साथ किए जाने वाले मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से मुक्त कराने पर परिचर्चा की.

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