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किस बात पर स्पीकर ने संसदीय कार्य मंत्री और विधायक दीपक बिरुवा को मीटिंग के लिए बुलाया - झारखंड बजट सत्र 2019

झारखंड विधानसभा में मोटरयान निरीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द किए जाने का मामला जोर शोर से उठाया गया. विधायक दीपक बिरुवा ने पूछा कि क्या यह बात सही है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 1 नवंबर 2016 को मोटरयान निरीक्षक के 18 पदों पर नियुक्ति के लिए 3 जनवरी 2017 और 8 जनवरी 2017 को लिखित परीक्षा ली थी.

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रवींद्र नाथ महतो
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Published : Mar 15, 2021, 7:25 PM IST

रांची: मोटरयान निरीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द किए जाने का मामला सदन में जोर-शोर से उठा. विधायक दीपक बिरुवा ने प्रश्नकाल के दौरान पूछा कि क्या यह बात सही है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 1 नवंबर 2016 को मोटरयान निरीक्षक के 18 पदों पर नियुक्ति के लिए 3 जनवरी 2017 और 8 जनवरी 2017 को लिखित परीक्षा ली थी. 25 मार्च 2017 को रिजल्ट भी प्रकाशित किया गया था, लेकिन 4 साल बीतने के बावजूद सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हुई. इसके जवाब में मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच में त्रुटि और अनियमितता पाए जाने के कारण 14 दिसंबर 2018 को पूरी प्रक्रिया को रद्द करते हुए 11 एमवीआई का दावा अमान्य कर दिया गया था.

इसे भी पढ़ें: मॉब लिंचिंग पर जमकर बरसे विधायक बिरंची नारायण, राज्य सरकार पर साधा निशाना

मंत्री के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए दीपक बिरुवा ने कहा कि प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान सिर्फ एक उम्मीदवार का कागजात गलत पाया गया था. आरटीआई से मिली जानकारी का भी हवाला दिया. विधायक ने कहा कि 11 एमवीआई सिलेक्ट कर लिए गए थे, फिर किस आधार पर चयन प्रक्रिया को रद्द किया गया. विधायक ने यह भी पूछा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के गलत फैसले के कारण राज्य में सिर्फ 2 एमवीआई स्थाई रूप से काम कर रहे हैं, जबकि शेष संविदा पर कार्यरत हैं. विधायक के तथ्यपरक सवाल के आलोक में स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने विभागीय मंत्री और विधायक को सभी कागजात के साथ उनके चेंबर में आने को कहा.

रांची: मोटरयान निरीक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रद्द किए जाने का मामला सदन में जोर-शोर से उठा. विधायक दीपक बिरुवा ने प्रश्नकाल के दौरान पूछा कि क्या यह बात सही है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 1 नवंबर 2016 को मोटरयान निरीक्षक के 18 पदों पर नियुक्ति के लिए 3 जनवरी 2017 और 8 जनवरी 2017 को लिखित परीक्षा ली थी. 25 मार्च 2017 को रिजल्ट भी प्रकाशित किया गया था, लेकिन 4 साल बीतने के बावजूद सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हुई. इसके जवाब में मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच में त्रुटि और अनियमितता पाए जाने के कारण 14 दिसंबर 2018 को पूरी प्रक्रिया को रद्द करते हुए 11 एमवीआई का दावा अमान्य कर दिया गया था.

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मंत्री के जवाब पर असंतोष व्यक्त करते हुए दीपक बिरुवा ने कहा कि प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान सिर्फ एक उम्मीदवार का कागजात गलत पाया गया था. आरटीआई से मिली जानकारी का भी हवाला दिया. विधायक ने कहा कि 11 एमवीआई सिलेक्ट कर लिए गए थे, फिर किस आधार पर चयन प्रक्रिया को रद्द किया गया. विधायक ने यह भी पूछा कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के गलत फैसले के कारण राज्य में सिर्फ 2 एमवीआई स्थाई रूप से काम कर रहे हैं, जबकि शेष संविदा पर कार्यरत हैं. विधायक के तथ्यपरक सवाल के आलोक में स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने विभागीय मंत्री और विधायक को सभी कागजात के साथ उनके चेंबर में आने को कहा.

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