रांची: पिछले कई वर्षों से मुख्यालय से लेकर अंचल कार्यालयों में प्रोग्रामर और कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर अनुबंध के तहत कार्यरत कर्मियों को हटाने का मामला सदन में जोर-शोर से उठा. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान सरकार से पूछा कि क्या यह बात सही है, कि वर्तमान में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, झारखंड द्वारा टेंडर निर्गत कर बाहरी एजेंसी के माध्यम से प्रोग्रामर और कंप्यूटर ऑपरेटर की बहाली की जा रही है. इस सवाल को सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने भी गंभीर बताते हुए सरकार से स्पष्ट जवाब की मांग की.
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संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार गंभीर है और इसके लिए समिति भी बनी है, लेकिन अनुबंध पर रखने से पहले सेवा शर्त रखी जाती है और उसी आधार पर कार्रवाई हो रही है. मंत्री के इस जवाब पर विधायक प्रदीप यादव, विनोद सिंह, भानु प्रताप शाही और रणधीर सिंह ने आपत्ति जताई. भानु प्रताप शाही ने कहा कि गढ़वा जिले में तो कंप्यूटर ऑपरेटरों को हटा दिया गया है, जिन लोगों ने 10 साल तक सेवा दी है, उन्हें ऐसे मुकाम पर लाकर छोड़ना अच्छा नहीं है.
विधायक सीपी सिंह की मांग
सीपी सिंह ने स्पीकर से मांग की कि आसन की तरफ से सरकार को निर्देशित किया जाए, कि समिति की अनुशंसा आने तक किसी भी अनुबंध कर्मी को नहीं हटाया जाए. इसपर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वह सिर्फ मूल प्रश्न का ही जवाब देने में सक्षम हैं, क्योंकि इसमें अन्य विभागों का भी जवाब मांगा जा रहा है. इस मसले को लेकर सदर में काफी देर तक सवाल-जवाब का दौर चलता रहा. प्रदीप यादव ने कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटरों को भी क्राइटेरिया पूरी करने के बाद ही रखा गया था, 10 साल तक सेवा करने वाले लोगों को इस तरीके से हटाना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन होगा, बाद में स्पीकर के हस्तक्षेप के बाद तय हुआ कि इस पर आगे की कार्यवाही में मंत्री विस्तार से सरकार का जवाब देंगे.