रांची: झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के विधायक अमित कुमार मंडल (MLA Amit Kumar Mandal) ने सरकार से पूछा कि जब राज्य में 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based Domicile Policy) लागू ही नहीं हुई है तो फिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खतियानी जोहार यात्रा कर लोगों को कैसे कह रहे हैं कि उन्होंने राज्य में 1932 लागू कर दिया है. उन्होंने विधि विभाग की एक संचिका का हवाला देते हुए कहा कि विभाग खुद कह रहा है कि यह विधेयक नियम संगत नहीं है. विधि विभाग ने इस बाबत कार्मिक विभाग को अपना मंतव्य भी दिया है. इस सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि माननीय सदस्य कहां से ऐसा डॉक्यूमेंट लेकर आए हैं. स्पीकर के कहने पर संबंधित कागजात को आसन को मुहैया कराया गया. इसपर सदन में सरकार को जवाब देना है.
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संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि यहां के आदिवासी-मूलवासी के हित में झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 को विधानसभा से पारित कराया गया था. इसको भाजपा का भी समर्थन मिला था. लेकिन दुर्भाग्यवश नियोजन नियमावली हाई कोर्ट में रद्द हो गई. इसी वजह से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता और नियोजन को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरु की गयी थी. ताकि स्थानीय को मजबूत कवच दिया जा सके. इसी वजह से 20 दिसंबर को एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था ताकि संबंधित विधेयक को केंद्र को भिजवाया जा सके.
अमित कुमार मंडल के सवाल: क्या विधानसभा से पारित 1932 खतियान आधारित स्थानीयता विधेयक लागू हो गया है. क्या यह बात सही है कि राज्य सरकार द्वारा समय सीमा निर्धारित नहीं करने की स्थिति में नई नियुक्तियों में 1932 खतियान धारियों को प्राथमिकता का लाभ नहीं मिल पाएगा ? क्या यह बात सही है कि 9वीं अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव के पूर्व विधेयक को राज्यपाल के अनुमोदन पश्चात राष्ट्रपति और केंद्र सरकार व दोनों से पास करने की वैधानिक प्रक्रिया पूर्ण करने जैसी संवैधानिक प्रक्रियाओं से गुजरना होगा जिसमें राज्य सरकार द्वारा कोई समय सीमा निर्धारित की गई है. इसपर सरकार का जवाब है कि संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही यह व्यवस्था झारखंड में प्रभावी होगी.