रांची: ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पहले पेयजल की समस्या को लेकर मंत्री मिथिलेश ठाकुर लगातार गंभीर दिख रहे हैं. वे जगह-जगह दौरा कर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त कराने में जुट गए हैं. इसी क्रम में मंगलवार को मंत्री ने रुक्का गांव स्थित गेतलसूत डैम का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने अधिकारियों को कई दिशा-निर्देश भी दिए.
मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा कि गर्मी के मौसम में रांची वासियों को पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस संबंध में वो विभाग के सभी अधिकारियों से बातचीत कर खामियों को दुरुस्त करने की दिशा में पहल कर रहे हैं. इसको लेकर मंत्री ने मंगलवार को रुक्का स्थित गेतलसूत डैम का निरीक्षण किया. जहां उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली और पेयजल आपूर्ति को दुरुस्त करने के लिए कई दिशा-निर्देश भी दिए. निरीक्षण के दौरान मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि आए दिन गर्मियों में पेयजल की समस्या देखी जाती है. इसी को लेकर सभी डैमों का निरीक्षण किया जा रहा है, ताकि लोगों को आने वाले दिनों में पानी के लिए परेशानी न हो.
अवैध कनेक्शन को कराना होगा वैध
इस दौरान पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री ने रांची नगर निगम के अधिकारियों से बातचीत की. उन्होंने नगर निगम की ओर से दिए गए पानी कनेक्शन को लेकर कहा कि राज्य सरकार के पास पानी की कमी नहीं है, लेकिन सिर्फ अव्यवस्थित तरीके से वितरण के कारण लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. शहर में कई अवैध कनेक्शन वाले लोग हैं, जो सरकारी पाइप का दुरुपयोग कर पानी की सप्लाई में समस्या पैदा कर रहे हैं. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि ऐसे अवैध कनेक्शन वाले लोगों पर नगर निगम के माध्यम से कार्रवाई की जाएगी. साथ ही जो लोग गलत तरीके से पानी का कनेक्शन लिए हैं, उनके कनेक्शन भी वैध किये जाएंगे, ताकि डैम का पानी लोगों के घरों तक सही तरीके से पहुंच सके.
सिकिदिरी थर्मल पावर पर CM से करेंगे बात
बिजली उत्पादन के लिए सिकिदिरी थर्मल पावर में उपयोग होने वाले पानी पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि सिकिदिरी थर्मल पावर में जितना पानी एक दिन में उपयोग किया जाता है, उतना पानी पूरी रांची के लोग 30 दिन में उपयोग करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि सिकिदिरी थर्मल पावर की ओर से इतना पानी उपयोग करने के बावजूद उस हिसाब से बिजली उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इसीलिए इसको लेकर मुख्यमंत्री से बात की जाएगी, क्योंकि ऊर्जा मंत्रालय उन्हीं के पास है और फिर जो भी विचार निकलेगा उस पर निर्णय लिया जाएगा.