रांची: सेवा स्थायीकरण सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत मनरेगाकर्मियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने विधानसभा चुनाव 2019 के दौरान किए गए वादों की याद दिलाते हुए अब तक मांगे नहीं पूरी होने पर नाराजगी जताई है.मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है और इसके विरोध में 22 अक्टूबर को ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का आवास घेरने का अल्टीमेटम दिया है.
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मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जॉन पीटर बागे की ओर से मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि कई बार मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की गई मगर अब तक एक बार भी समय नहीं मिला. राज्य मेंं करीब 5 हजार मनरेगाकर्मी हैं जो संविदा पर कार्यरत हैं.लंबे समय से ये अपनी सेवा को स्थायी करने की मांग करते रहे हैं. पिछले वर्ष राज्य भर के मनरेगाकर्मी 27 जुलाई से 10 सितंबर तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे थे. सरकार के प्रतिनिधियों और महासंघ के बीच वार्ता के बाद हड़ताल वापस लिया गया था. बाद में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ वार्ता हुई जिसमें मानदेय बढ़ाने के साथ कई सुविधाओं को देने का आश्वासन दिया गया था. 27 अगस्त को ग्रामीण विकास सचिव और मनरेगा आयुक्त के नेतृत्व में मनरेगाकर्मियों की बैठक हुई. इसके बावजूद कोई परिणाम नहीं निकला.
- सेवा स्थायीकरण
- मृत मनरेगा कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी और 50 लाख आर्थिक सहायता
- सभी मनरेगाकर्मियों को शून्य ब्याज पर 10 लाख तक ऋण की व्यवस्था
- राज्य के कई जिलों में छोटी छोटी बातों के लिए मनरेगाकर्मियों को बिना वजह बर्खास्त किया गया है इसके लिए अपीलीय समयसीमा का प्रावधान
- EPF, बीमा, बिना वजह बर्खास्तगी रोकी जाय, मनरेगाकर्मियों को वित्तीय शक्ति दी जाए