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झारखंड में मानसून में अच्छी बारिश का पूर्वानुमान, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी खेतों में मेड़बंदी सलाह

झारखंड में मानसून में अच्छी बारिश का मौसम विभाग का पूर्वानुमान है. इसको लेकर कृषि विभाग ने खेतों की मेड़बंदी कर वर्षाजल को खेतों में रोकने की सलाह दी है. इसको लेकर पर्यावरणविदों ने कहा कि वर्षाजल से ग्राउंड वाटर रिचार्ज की व्यवस्था हो सकती है.

Meteorological Department forecast of good rain due to monsoon in Jharkhand
रांची
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Published : Jun 24, 2022, 4:55 PM IST

रांचीः झारखंड में मानसून प्रवेश करने के बाद से हर दिन अच्छी बारिश राज्य के कई इलाकों में हो रही है. रांची मौसम विज्ञान केंद्र (Ranchi Meteorological Center) ने अगले तीन दिनों तक अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है. जिससे इस बार प्रदेश में अच्छी खेती होने के आसार हैं. इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने कई प्रकार की सलाह किसानों को दी है.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand Weather Updates: मानसून को लेकर आगामी 5 दिनों में राज्य में भारी बारिश की चेतावनी

कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने राज्य के किसानों को सलाह दी है कि मानसून की प्रारंभिक बारिश के जल को खेतों में रोकने के लिए अपने अपने खेतों की मेड़बंदी किसान जरूर करें ताकि वर्षा जल जमीन के अंदर तक जाएं और नमी कई दिनों तक बनी रहे. समेति के निदेशक और वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ सुभाष सिंह ने किसानों से सबसे पहले खेतों की मेड़बंदी करने के साथ साथ धान के लिए खेतों में बिचड़ा लगाने का काम निश्चित रूप से शुरू करने की सलाह दी है. वहीं मोटे अनाज, दलहन, मड़ूआ, मिलेट की बिजाई भी किसान शुरू कर दें ताकि ज्यादा से ज्यादा पैदावार लिया जा सके.

देखें पूरी खबर
राज्य में 28 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल का है लक्ष्यः इस वर्ष झारखंड कृषि विभाग ने राज्य में 28.27 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ की फसल उगाने के लक्ष्य रखा है. जिसमें 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल, 6.12 लाख हेक्टेयर में दलहन, 3.12 लाख हेक्टेयर में मक्का, 60 हजार हेक्टेयर में तिलहन और 42 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

वर्षा जल से ग्राउंड वाटर रिचार्ज की व्यवस्था हो-पर्यावरणविदः रांची विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ नीतिश प्रियदर्शी ने कहा कि मानसून की बारिश शुरू हो गयी है. लेकिन आज की तारीख में भी वर्षा जल का पानी बिना ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किए बह जाता है. यही वजह है कि कांके जैसे इलाके में जहां हजार फीट नीचे तक पानी नहीं मिलता. वहीं अब जनवरी महीने में ही जलस्तर काफी नीचे चला जाता है, पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. लेकिन कैसे भूगर्भ जल का स्तर बनाये रखा जाए इसके लिए गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरों में आंगन,नाली को कच्चा रखें, घर के आस पास के इलाकों में सबल से पांच से छह फुट गहरा छेद कर दें ताकि वर्षा जल जमीन के अंदर जा सके. डॉ. नितीश प्रियदर्शी ने कहा कि छोटे नदियों में चेकडैम बनाकर वर्षाजल को रोकने की जरूरत है.

रांचीः झारखंड में मानसून प्रवेश करने के बाद से हर दिन अच्छी बारिश राज्य के कई इलाकों में हो रही है. रांची मौसम विज्ञान केंद्र (Ranchi Meteorological Center) ने अगले तीन दिनों तक अच्छी बारिश का अनुमान लगाया है. जिससे इस बार प्रदेश में अच्छी खेती होने के आसार हैं. इसको लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने कई प्रकार की सलाह किसानों को दी है.

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कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने राज्य के किसानों को सलाह दी है कि मानसून की प्रारंभिक बारिश के जल को खेतों में रोकने के लिए अपने अपने खेतों की मेड़बंदी किसान जरूर करें ताकि वर्षा जल जमीन के अंदर तक जाएं और नमी कई दिनों तक बनी रहे. समेति के निदेशक और वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ सुभाष सिंह ने किसानों से सबसे पहले खेतों की मेड़बंदी करने के साथ साथ धान के लिए खेतों में बिचड़ा लगाने का काम निश्चित रूप से शुरू करने की सलाह दी है. वहीं मोटे अनाज, दलहन, मड़ूआ, मिलेट की बिजाई भी किसान शुरू कर दें ताकि ज्यादा से ज्यादा पैदावार लिया जा सके.

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राज्य में 28 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल का है लक्ष्यः इस वर्ष झारखंड कृषि विभाग ने राज्य में 28.27 लाख हेक्टेयर जमीन पर खरीफ की फसल उगाने के लक्ष्य रखा है. जिसमें 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल, 6.12 लाख हेक्टेयर में दलहन, 3.12 लाख हेक्टेयर में मक्का, 60 हजार हेक्टेयर में तिलहन और 42 हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

वर्षा जल से ग्राउंड वाटर रिचार्ज की व्यवस्था हो-पर्यावरणविदः रांची विश्वविद्यालय में भूगर्भ विज्ञान के प्रोफेसर और पर्यावरणविद डॉ नीतिश प्रियदर्शी ने कहा कि मानसून की बारिश शुरू हो गयी है. लेकिन आज की तारीख में भी वर्षा जल का पानी बिना ग्राउंड वाटर को रिचार्ज किए बह जाता है. यही वजह है कि कांके जैसे इलाके में जहां हजार फीट नीचे तक पानी नहीं मिलता. वहीं अब जनवरी महीने में ही जलस्तर काफी नीचे चला जाता है, पानी के लिए हाहाकार मच जाता है. लेकिन कैसे भूगर्भ जल का स्तर बनाये रखा जाए इसके लिए गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरों में आंगन,नाली को कच्चा रखें, घर के आस पास के इलाकों में सबल से पांच से छह फुट गहरा छेद कर दें ताकि वर्षा जल जमीन के अंदर जा सके. डॉ. नितीश प्रियदर्शी ने कहा कि छोटे नदियों में चेकडैम बनाकर वर्षाजल को रोकने की जरूरत है.

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