ETV Bharat / state

भुखमरी की कगार पर मीना बाजार और मेला व्यवसाय से जुड़े लोग, व्यापारियों को लाखों का नुकसान - रांची में मेला व्यसायी के सामने आर्थिक समस्या

लॉकडाउन के कारण सभी वर्ग के सामने आर्थिक समस्या है. इसी क्रम में रांची में मेला और मीना बाजार लगाने वाले लोग भी प्रभावित हुए हैं. उनके सामने भी भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है. मार्च में अन्य राज्यों से मेला लगाने राजधानी पहुंचे व्यवसायी मेहनत मजदूरी कर किसी तरह से अपनी आजीविका चला रहे हैं.

meena bazaar and mela businessmen
मीना बाजार और मेला व्यवसाय
author img

By

Published : Oct 25, 2020, 2:20 PM IST

Updated : Oct 25, 2020, 2:25 PM IST

रांचीः कोरोना महामारी के के कारण लगभग हर व्यवसाय से जुड़े लोग आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में मेला और मीना बाजार लगाने वाले व्यवसाय भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले कई महीनों से मेला बंद होने से इससे जुड़े सभी लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मजदूरों के सामने पैसे की तंगी तो है ही, इनके बड़े-बड़े झूले भी खुले मैदान में खराब हो रहे है. दुर्गा पूजा के दौरान भी देश भर में कहीं भी मीना बाजार या मेला का आयोजन नहीं किया गया. पिछले 7 महीने से अधिक समय से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. इसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोग आज भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं.

देखें पूरी खबर
दुर्गोत्सव में भी नहीं लगा मेलाव्यवसाइयों ने बताया कि कई महीनों से मेला बंद होने के बाद भी सेटअप का किराया झूला मालिकों को देना पड़ रहा है. कहीं खुले मैदान में लाखों की लागत से लगाए गए झूले खराब हो रहे हैं तो कहीं मशीनें खराब हो रहीं हैं. एक जगह से दूसरी जगह जाकर मेला और मीना बाजार लगाने वाले इन व्यवसायियों पर कोरोना वायरस कहर बरपा दिया है. इसके कारण इनकी माली हालत इन दिनों काफी खराब हो गई है. इनके साथ जुड़कर काम करने वाले मजदूर झूला सेटअप के इर्द-गिर्द मजदूरी करने को विवश हैं. दुर्गोत्सव के दौरान भी देश के किसी भी कोने में मेला और मीना बाजार का आयोजन नहीं हो रहा है. ऐसा ही नजारा पिछले 7 महीने से देखने को मिल रहा है. मार्च महीने के बाद से ही कोरोना वायरस का प्रकोप देश भर में जारी है. इस वजह से इस व्यवसाय से जुड़े मजदूर कर्मचारी और मालिक भी काफी परेशान है.दोल मेला के लिए आए थे दूसरे राज्यों के व्यवसायीछत्तीसगढ़, गुजरात जैसे राज्यों से ऐसे व्यवसायी देश के विभिन्न जगह पर जाते हैं और मेला-मीना बाजार लगाते हैं. इस वर्ष भी मार्च महीने के वक्त गुजरात और छत्तीसगढ़ से मेला, मीना बाजार का सेटअप लेकर झारखंड की राजधानी रांची कई व्यवसायी पहुंचे थे. ओडिशा से भी व्यवसायी रांची पहुंचे हैं. इन्होंने दोल मेला के दौरान मीना बाजार का सेटअप लगाया. इसके बाद लॉकडाउन लग गया. लॉकडाउन के बाद से ही तमाम लोग रांची में ही सेटअप के साथ फंस कर रह गए हैं. अब यह लोग आस-पास के क्षेत्रों में मजदूरी कर गुजर बसर कर रहे हैं. सेटअप पूरी तरह खराब हो रहा है. करोड़ों का नुकसान इन व्यवसायियों को हो रहा है. उड़ीसा से पहुंचे मीना बाजार लगाने वाले कर्मचारी का कहना है कि रांची के टाटीसिल्वे में यह सेटअप लगा ही रहा था कि लॉकडाउन लग गया. मेला शुरू ही होने वाला था कि देश में हाहाकार मच गया और तब से लेकर अब तक मेला लगाने के लिए यह सेटअप पूरी तरह सड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट में 2 नवंबर से फिजिकल कोर्ट होगी शुरू, रजिस्ट्रार जनरल ने नोटिस जारी कर अधिवक्ताओं से मांगा चॉइस

रांची में फंसा मेले का सामान
सिर्फ एक शहर में ही 50 लाख रुपये से अधिक का घाटा अब तक हो चुका है. पूरे देश में तो सभी मेले वालों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. मेला मालिकों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न वर्गों को राहत दी है, लेकिन मेला वालों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां तक की दर्द को सुनने के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है. रांची के टाटीसिल्वे के इस ग्राउंड में लगे मेला और मीना बाजार से जुड़े सामान भी अब धीरे-धीरे खराब हो रहे है. इस बाजार में काम करने के लिए 70 से अधिक कर्मचारी रांची पहुंचे थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से सब कुछ धरा का धरा रह गया. इनकी आजीविका भी छिन गई. कुछ लोग लौट गए तो कुछ लोग मेहनत मजदूरी कर और मीना बाजार के सामानों की रखवाली में जुटे हैं. हालांकि मालिक की ओर से इन्हें कुछ पैसे दिए जा रहे हैं जो नाकाफी है.

भारतीय प्रदर्शनी उद्योग के आंकड़े
आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय प्रदर्शनी उद्योग संघ के अनुसार कोरोना की वजह से मेला प्रदर्शनी उद्योग को करीब 3,570 करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान है. आईईआइए के अनुसार हर साल 550 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित होते हैं और उद्योग का कुल आकार 23,800 करोड़ रुपये है. इस उद्योग के जरिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापारिक लेन-देन होता हैं. यह करीब 1.20 लाख लोगों को रोजगार भी देता है.

मेलों में आज अजीब सी वीरानी
किसी भी पर्व त्यौहार में रौनक बढ़ाने के लिए मीना बाजार और मेला का आयोजन भारतीय परंपराओं में से एक है. इस दौरान काफी लोगों का हुजूम उमड़ता था. मनोरंजन के केंद्र मेलों में आज अजीब सी वीरानी छाई हुई है. मेला मालिक परेशान हैं. झूले वाले चिंतित हैं. कोरोना के कारण यह साल पूरा खराब हो गया है और अगर मेला शुरू भी हुआ तो लोग इतने डरे हुए हैं कि लोग आने से भी कतराएंगे. फिर भी उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इन व्यवसायियों के हित में जल्द से जल्द कुछ निर्णय जरूर लेगा.

रांचीः कोरोना महामारी के के कारण लगभग हर व्यवसाय से जुड़े लोग आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में मेला और मीना बाजार लगाने वाले व्यवसाय भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले कई महीनों से मेला बंद होने से इससे जुड़े सभी लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मजदूरों के सामने पैसे की तंगी तो है ही, इनके बड़े-बड़े झूले भी खुले मैदान में खराब हो रहे है. दुर्गा पूजा के दौरान भी देश भर में कहीं भी मीना बाजार या मेला का आयोजन नहीं किया गया. पिछले 7 महीने से अधिक समय से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. इसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोग आज भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं.

देखें पूरी खबर
दुर्गोत्सव में भी नहीं लगा मेलाव्यवसाइयों ने बताया कि कई महीनों से मेला बंद होने के बाद भी सेटअप का किराया झूला मालिकों को देना पड़ रहा है. कहीं खुले मैदान में लाखों की लागत से लगाए गए झूले खराब हो रहे हैं तो कहीं मशीनें खराब हो रहीं हैं. एक जगह से दूसरी जगह जाकर मेला और मीना बाजार लगाने वाले इन व्यवसायियों पर कोरोना वायरस कहर बरपा दिया है. इसके कारण इनकी माली हालत इन दिनों काफी खराब हो गई है. इनके साथ जुड़कर काम करने वाले मजदूर झूला सेटअप के इर्द-गिर्द मजदूरी करने को विवश हैं. दुर्गोत्सव के दौरान भी देश के किसी भी कोने में मेला और मीना बाजार का आयोजन नहीं हो रहा है. ऐसा ही नजारा पिछले 7 महीने से देखने को मिल रहा है. मार्च महीने के बाद से ही कोरोना वायरस का प्रकोप देश भर में जारी है. इस वजह से इस व्यवसाय से जुड़े मजदूर कर्मचारी और मालिक भी काफी परेशान है.दोल मेला के लिए आए थे दूसरे राज्यों के व्यवसायीछत्तीसगढ़, गुजरात जैसे राज्यों से ऐसे व्यवसायी देश के विभिन्न जगह पर जाते हैं और मेला-मीना बाजार लगाते हैं. इस वर्ष भी मार्च महीने के वक्त गुजरात और छत्तीसगढ़ से मेला, मीना बाजार का सेटअप लेकर झारखंड की राजधानी रांची कई व्यवसायी पहुंचे थे. ओडिशा से भी व्यवसायी रांची पहुंचे हैं. इन्होंने दोल मेला के दौरान मीना बाजार का सेटअप लगाया. इसके बाद लॉकडाउन लग गया. लॉकडाउन के बाद से ही तमाम लोग रांची में ही सेटअप के साथ फंस कर रह गए हैं. अब यह लोग आस-पास के क्षेत्रों में मजदूरी कर गुजर बसर कर रहे हैं. सेटअप पूरी तरह खराब हो रहा है. करोड़ों का नुकसान इन व्यवसायियों को हो रहा है. उड़ीसा से पहुंचे मीना बाजार लगाने वाले कर्मचारी का कहना है कि रांची के टाटीसिल्वे में यह सेटअप लगा ही रहा था कि लॉकडाउन लग गया. मेला शुरू ही होने वाला था कि देश में हाहाकार मच गया और तब से लेकर अब तक मेला लगाने के लिए यह सेटअप पूरी तरह सड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट में 2 नवंबर से फिजिकल कोर्ट होगी शुरू, रजिस्ट्रार जनरल ने नोटिस जारी कर अधिवक्ताओं से मांगा चॉइस

रांची में फंसा मेले का सामान
सिर्फ एक शहर में ही 50 लाख रुपये से अधिक का घाटा अब तक हो चुका है. पूरे देश में तो सभी मेले वालों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. मेला मालिकों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न वर्गों को राहत दी है, लेकिन मेला वालों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां तक की दर्द को सुनने के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है. रांची के टाटीसिल्वे के इस ग्राउंड में लगे मेला और मीना बाजार से जुड़े सामान भी अब धीरे-धीरे खराब हो रहे है. इस बाजार में काम करने के लिए 70 से अधिक कर्मचारी रांची पहुंचे थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से सब कुछ धरा का धरा रह गया. इनकी आजीविका भी छिन गई. कुछ लोग लौट गए तो कुछ लोग मेहनत मजदूरी कर और मीना बाजार के सामानों की रखवाली में जुटे हैं. हालांकि मालिक की ओर से इन्हें कुछ पैसे दिए जा रहे हैं जो नाकाफी है.

भारतीय प्रदर्शनी उद्योग के आंकड़े
आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय प्रदर्शनी उद्योग संघ के अनुसार कोरोना की वजह से मेला प्रदर्शनी उद्योग को करीब 3,570 करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान है. आईईआइए के अनुसार हर साल 550 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित होते हैं और उद्योग का कुल आकार 23,800 करोड़ रुपये है. इस उद्योग के जरिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापारिक लेन-देन होता हैं. यह करीब 1.20 लाख लोगों को रोजगार भी देता है.

मेलों में आज अजीब सी वीरानी
किसी भी पर्व त्यौहार में रौनक बढ़ाने के लिए मीना बाजार और मेला का आयोजन भारतीय परंपराओं में से एक है. इस दौरान काफी लोगों का हुजूम उमड़ता था. मनोरंजन के केंद्र मेलों में आज अजीब सी वीरानी छाई हुई है. मेला मालिक परेशान हैं. झूले वाले चिंतित हैं. कोरोना के कारण यह साल पूरा खराब हो गया है और अगर मेला शुरू भी हुआ तो लोग इतने डरे हुए हैं कि लोग आने से भी कतराएंगे. फिर भी उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इन व्यवसायियों के हित में जल्द से जल्द कुछ निर्णय जरूर लेगा.

Last Updated : Oct 25, 2020, 2:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.