रांचीः कोरोना महामारी के के कारण लगभग हर व्यवसाय से जुड़े लोग आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में मेला और मीना बाजार लगाने वाले व्यवसाय भी इससे अछूते नहीं हैं. पिछले कई महीनों से मेला बंद होने से इससे जुड़े सभी लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं. मजदूरों के सामने पैसे की तंगी तो है ही, इनके बड़े-बड़े झूले भी खुले मैदान में खराब हो रहे है. दुर्गा पूजा के दौरान भी देश भर में कहीं भी मीना बाजार या मेला का आयोजन नहीं किया गया. पिछले 7 महीने से अधिक समय से ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. इसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोग आज भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं.
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रांची में फंसा मेले का सामान
सिर्फ एक शहर में ही 50 लाख रुपये से अधिक का घाटा अब तक हो चुका है. पूरे देश में तो सभी मेले वालों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है. मेला मालिकों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार ने विभिन्न वर्गों को राहत दी है, लेकिन मेला वालों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यहां तक की दर्द को सुनने के लिए भी कोई आगे नहीं आ रहा है. रांची के टाटीसिल्वे के इस ग्राउंड में लगे मेला और मीना बाजार से जुड़े सामान भी अब धीरे-धीरे खराब हो रहे है. इस बाजार में काम करने के लिए 70 से अधिक कर्मचारी रांची पहुंचे थे, लेकिन अचानक लॉकडाउन की वजह से सब कुछ धरा का धरा रह गया. इनकी आजीविका भी छिन गई. कुछ लोग लौट गए तो कुछ लोग मेहनत मजदूरी कर और मीना बाजार के सामानों की रखवाली में जुटे हैं. हालांकि मालिक की ओर से इन्हें कुछ पैसे दिए जा रहे हैं जो नाकाफी है.
भारतीय प्रदर्शनी उद्योग के आंकड़े
आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय प्रदर्शनी उद्योग संघ के अनुसार कोरोना की वजह से मेला प्रदर्शनी उद्योग को करीब 3,570 करोड़ों रुपये के नुकसान का अनुमान है. आईईआइए के अनुसार हर साल 550 से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित होते हैं और उद्योग का कुल आकार 23,800 करोड़ रुपये है. इस उद्योग के जरिए तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापारिक लेन-देन होता हैं. यह करीब 1.20 लाख लोगों को रोजगार भी देता है.
मेलों में आज अजीब सी वीरानी
किसी भी पर्व त्यौहार में रौनक बढ़ाने के लिए मीना बाजार और मेला का आयोजन भारतीय परंपराओं में से एक है. इस दौरान काफी लोगों का हुजूम उमड़ता था. मनोरंजन के केंद्र मेलों में आज अजीब सी वीरानी छाई हुई है. मेला मालिक परेशान हैं. झूले वाले चिंतित हैं. कोरोना के कारण यह साल पूरा खराब हो गया है और अगर मेला शुरू भी हुआ तो लोग इतने डरे हुए हैं कि लोग आने से भी कतराएंगे. फिर भी उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इन व्यवसायियों के हित में जल्द से जल्द कुछ निर्णय जरूर लेगा.