रांची: झारखंड के चाईबासा में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में सीआरपीएफ 60 बटालियन के हेड कांस्टेबल सुशांत कुमार वीरगति को प्राप्त हुए हैं. चाईबासा में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में सुशांत कुमार को सीने में गोली लग गई थी. उन्हें आनन-फानन में एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया, लेकिन अत्यधिक खून बहने की वजह से सुशांत को डॉक्टर बचा नहीं पाए.
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बम निरोधक दस्ते के सदस्य थे सुशांत: ओडिशा के क्योंझर जिला के आनंदपुर के रहने वाले शाहिद सुशांत कुमार खांटीया साल 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. वह सीआरपीएफ के 60 बटालियन के बीडीएस टीम में शामिल थे. सुशांत के पिता का नाम अतुल खूंटिया है. सीआरपीएफ में रहते हुए सुशांत में कई बेहतरीन ऑपरेशन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया था. नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी बमों को निष्क्रिय करने में सुशांत को महारत हासिल थी.
मंगलवार और बुधवार को भी बीडीएस टीम के साथ मिलकर सीआरपीएफ और कोबरा जवानों ने नक्सलियों को काफी भारी नुकसान पहुंचाया था. गुरुवार को सुरक्षाबलों ने एक करोड़ के इनामी सेंट्रल कमेटी के मेंबर मिसिर बेसरा के बंकर तक को ध्वस्त कर दिया था. शुक्रवार को इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए सीआरपीएफ और जिला बल के जवान सर्च ऑपरेशन में लगे हुए थे तभी घात लगाकर नक्सलियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में सुशांत कुमार और मुन्ना लाल यादव को गोली लग गई. दोनों घायलों को आनन-फानन में इलाज के लिए रांची लाया गया लेकिन इलाज के दौरान सुशांत कुमार की मौत हो गई.
अभियान जारी रहेगा: झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर ने बताया कि सारंडा में नक्सलियों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया जा रहा है, इसी दौरान पुलिस के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई है, जिसमें हमारे जांबाज जवान सुशांत कुमार और मुन्ना घायल हुए थे. दुख की बात यह है कि इस मुठभेड़ में सुशांत कुमार शहीद हो गए हैं. आईजी अभियान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सुशांत कुमार की शहादत बेकार नहीं जाएगी, सारंडा में अभियान अभी भी जारी है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक नक्सलियों का वहां से सफाई नहीं हो जाता है.
रिम्स में पोस्टमार्टम: नक्सली हमले में शहीद हुए हेड कांस्टेबल सुशांत कुमार का पार्थिव शरीर रांची के रिम्स अस्पताल में लाया गया है. पोस्टमार्टम के बाद उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी और फिर उनके पार्थिव शरीर को ओडिशा स्थित उनके गृह जिला भेजा जाएगा.