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अफसरों का है राजनीति से प्रेम पुराना, 2019 के विधानसभा चुनाव में भी कई अधिकारी आजमाएंगे अपनी किस्मत - राजनीति में आईएएस और आईपीएस

झारखंड में अधिकारियों का सक्रिय राजनीति में आने का दौर पुराना है. इसी क्रम में झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में भी भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अधिकारी अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं.

Many officers are going to fight in jharkhand assembly election 2019, officers going to fight in  jharkhand assembly election 2019
अजय कुमार
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Published : Nov 26, 2019, 6:33 PM IST

रांची: अधिकारियों का चुनावी दंगल में किस्मत आजमाना पुरानी परंपरा रही है. झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौर में इस परंपरा को और मजबूती मिली है. झारखंड में इस विधानसभा चुनाव में कई अधिकारियों ने अफसरगिरी छोड़ नेता का चोला अपनाया है. अधिकारियों को अपनी वर्दी से जितना प्यार है, वही मोहब्बत उनमें नेताओं के खादी चोले से भी नजर आता है.

देखें पूरी खबर


अजय कुमार भी रह चुके हैं अधिकारी
राज्य गठन के बाद से पन्ने पलट कर देखें तो प्रदेश के कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाई है. फिलहाल आप के वरिष्ठ नेता अजय कुमार की बात करें या फिर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की तरफ दोनों ने ही वर्दी के बाद खादी पहनी है और उसके प्रति उनका प्यार साफ नजर आता है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में बढ़ा सियासी तापमान, पीएम मोदी ने पलामू में भरी हुंकार, कहा- डबल इंजन की सरकार से हुआ विकास


सांसद बने हैं झारखंड कैडर के आईपीएस
झारखंड पुलिस में एडीजी रहे कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने 2005 में बाकायदा वीआरएस लेकर लोहरदगा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा उसके बाद वहां से सांसद भी बने. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मंत्री भी बनाया. वहीं, अजय कुमार 2011 में जमशेदपुर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेवीएम के टिकट से जीतकर संसद पहुंचे. हालांकि उन्हें और उरांव को दोबारा संसद जाने का मौका नहीं मिला बावजूद इसके दोनों सक्रिय राजनीति में हैं.


2014 और 2019 में भी अधिकारी उतरे चुनावी दंगल में
2014 में भी कई अधिकारियों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी. प्रदेश के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम बीजेपी के टिकट से पलामू संसदीय सीट से चुनाव लड़े और जीते तो वहीं बीडी राम दोबारा 2019 में भी बीजेपी के प्रत्याशी बने और अभी पलामू से सांसद हैं. साथ ही प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बनी पार्टी की मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष भी बनाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग, नक्सली हमले की वजह से उठी मांग


और भी हैं चुनावी मैदान में
वहीं, झापा के टिकट से सिमडेगा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रदेश पुलिस में एडीजी रहे रेजी डुंगडुंग भी खादी पहनने को इच्छुक हैं. उनके अलावा प्रदेश पुलिस में आईजी रहे लक्ष्मण प्रसाद सिंह राजधनवार से बीजेपी के प्रत्याशी हैं.


आईएएस अधिकारी भी आजमा रहे हैं किस्मत
आईपीएस अधिकारियों के अलावा राज्य में वरिष्ठ पदों पर रहे पूर्व सीनियर अधिकारी ज्योति भ्रमर तुबिद चाईबासा विधानसभा सीट से दोबारा भाग्य आजमा रहे हैं हालांकि, कांग्रेस ने भी पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को पलामू से मैदान में उतारा था लेकिन पलामू सीट गठबंधन के तहत राजद के खाते में चली गई. इस वजह से राजीव कुमार चुनाव नहीं लड़ पाए.


जो उतर नहीं पाए सक्रिय राजनीति में
इस विधानसभा चुनाव में कुछ और अधिकारी भी खादी पहनने के मूड में थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. बीजेपी में शामिल हुए राज्य के पूर्व डीजीपी डीके पांडे और अरुण उरांव भी चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाना चाह रेह थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. हालांकि अरुण उरांव को बीजेपी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया है.


राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी हैं इस कतार में
भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह कई राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी राजनीति में सक्रिय भूमिका में हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की बात करें तो लोहरदगा विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सुखदेव भगत झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं. वहीं, गोमिया विधानसभा सीट से 2018 में हुए उपचुनाव में लड़ने वाले लंबोदर महतो 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू के दोबारा प्रत्याशी बने हैं, वह भी झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं.

रांची: अधिकारियों का चुनावी दंगल में किस्मत आजमाना पुरानी परंपरा रही है. झारखंड में विधानसभा चुनाव के दौर में इस परंपरा को और मजबूती मिली है. झारखंड में इस विधानसभा चुनाव में कई अधिकारियों ने अफसरगिरी छोड़ नेता का चोला अपनाया है. अधिकारियों को अपनी वर्दी से जितना प्यार है, वही मोहब्बत उनमें नेताओं के खादी चोले से भी नजर आता है.

देखें पूरी खबर


अजय कुमार भी रह चुके हैं अधिकारी
राज्य गठन के बाद से पन्ने पलट कर देखें तो प्रदेश के कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाई है. फिलहाल आप के वरिष्ठ नेता अजय कुमार की बात करें या फिर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की तरफ दोनों ने ही वर्दी के बाद खादी पहनी है और उसके प्रति उनका प्यार साफ नजर आता है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में बढ़ा सियासी तापमान, पीएम मोदी ने पलामू में भरी हुंकार, कहा- डबल इंजन की सरकार से हुआ विकास


सांसद बने हैं झारखंड कैडर के आईपीएस
झारखंड पुलिस में एडीजी रहे कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने 2005 में बाकायदा वीआरएस लेकर लोहरदगा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा उसके बाद वहां से सांसद भी बने. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मंत्री भी बनाया. वहीं, अजय कुमार 2011 में जमशेदपुर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेवीएम के टिकट से जीतकर संसद पहुंचे. हालांकि उन्हें और उरांव को दोबारा संसद जाने का मौका नहीं मिला बावजूद इसके दोनों सक्रिय राजनीति में हैं.


2014 और 2019 में भी अधिकारी उतरे चुनावी दंगल में
2014 में भी कई अधिकारियों ने चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी. प्रदेश के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम बीजेपी के टिकट से पलामू संसदीय सीट से चुनाव लड़े और जीते तो वहीं बीडी राम दोबारा 2019 में भी बीजेपी के प्रत्याशी बने और अभी पलामू से सांसद हैं. साथ ही प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बनी पार्टी की मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष भी बनाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में पुलिस रेंडमाइजेशन की छूट की मांग, नक्सली हमले की वजह से उठी मांग


और भी हैं चुनावी मैदान में
वहीं, झापा के टिकट से सिमडेगा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रदेश पुलिस में एडीजी रहे रेजी डुंगडुंग भी खादी पहनने को इच्छुक हैं. उनके अलावा प्रदेश पुलिस में आईजी रहे लक्ष्मण प्रसाद सिंह राजधनवार से बीजेपी के प्रत्याशी हैं.


आईएएस अधिकारी भी आजमा रहे हैं किस्मत
आईपीएस अधिकारियों के अलावा राज्य में वरिष्ठ पदों पर रहे पूर्व सीनियर अधिकारी ज्योति भ्रमर तुबिद चाईबासा विधानसभा सीट से दोबारा भाग्य आजमा रहे हैं हालांकि, कांग्रेस ने भी पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को पलामू से मैदान में उतारा था लेकिन पलामू सीट गठबंधन के तहत राजद के खाते में चली गई. इस वजह से राजीव कुमार चुनाव नहीं लड़ पाए.


जो उतर नहीं पाए सक्रिय राजनीति में
इस विधानसभा चुनाव में कुछ और अधिकारी भी खादी पहनने के मूड में थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. बीजेपी में शामिल हुए राज्य के पूर्व डीजीपी डीके पांडे और अरुण उरांव भी चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाना चाह रेह थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला. हालांकि अरुण उरांव को बीजेपी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया है.


राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी हैं इस कतार में
भारतीय प्रशासनिक सेवा की तरह कई राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी राजनीति में सक्रिय भूमिका में हैं. राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की बात करें तो लोहरदगा विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सुखदेव भगत झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं. वहीं, गोमिया विधानसभा सीट से 2018 में हुए उपचुनाव में लड़ने वाले लंबोदर महतो 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू के दोबारा प्रत्याशी बने हैं, वह भी झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं.

Intro:फ़ाइल वीडियो में जेबी तुबिद, वीडी राम और अजय कुमार का विसुअल है। जबकि अरुण उरांव का बाइट लाइव व्यू से गया है, arun krain khadi स्लग से

रांची। झारखंड के अधिकारियों को अपनी वर्दी के बाद खादी से बहुत प्यार है। यह प्यार तब और भी उमड़ जाता है जब प्रदेश में चुनाव का मौसम शुरू होता है। राज्य गठन के बाद से पन्ने पलट कर देखें तो प्रदेश के कई अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने चुनावी दंगल में अपनी किस्मत आजमाई है। फिलहाल आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय कुमार की बात करें या फिर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की तरफ देखें। दोनों ने वर्दी के बाद खादी पहनी और अभी भी उसके प्रति उनका प्यार साफ नजर आता है।

सांसद बने हैं झारखण्ड कैडर के आईपीएस
झारखंड पुलिस में एडीजी रहे कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने 2005 में बाकायदा वीआरएस लेकर लोहरदगा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा उसके बाद वहां से सांसद भी बने।


Body:साथ ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मंत्री भी बनाया। वहीं अजय कुमार 2011 में जमशेदपुर संसदीय सीट के लिए हुए उपचुनाव में झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि उन्हें और उरांव को दोबारा संसद जाने का मौका नहीं मिला बावजूद इसके दोनों सक्रिय राजनीति में हैं।

2014 और 2019 में भी अधिकारी उतरे चुनावी दंगल में
2014 में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब प्रदेश के पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम बीजेपी के टिकट से पलामू संसदीय सीट से चुनाव लड़े और जीते। बीडी राम दोबारा 2019 में भी बीजेपी के प्रत्याशी बने और अभी पलामू से सांसद हैं। साथ ही प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बनी पार्टी की मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष भी बनाए गए हैं।

और भी है चुनावी मैदान में
वहीं झारखंड पार्टी के टिकट से सिमडेगा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रदेश पुलिस में एडीजी रहे रेज़ी डुंगडुंग खादी पहनने को इच्छुक हैं। उनके अलावा प्रदेश पुलिस में आईजी रहे लक्ष्मण प्रसाद सिंह राजधनवार से बीजेपी के प्रत्याशी हैं।

आईएएस अधिकारी भी आजमा रहे हैं किस्मत
आईपीएस अधिकारियों के अलावा राज्य में वरिष्ठ पदों पर रहे पूर्व सीनियर अधिकारी ज्योति भ्रमर तुबिद चाईबासा विधानसभा सीट से दोबारा भाग्य आजमा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने भी पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को पलामू से मैदान में उतारा था लेकिन योग्यता शर्तें पूरी नहीं करने की स्थिति में उन्हें वापस लौटना पड़ा और कांग्रेस ने को पलामू से दूसरा प्रत्याशी देना पड़ा।


Conclusion:हालांकि कुछ और अधिकारी भी खादी पहनने के मूड में थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। बीजेपी में शामिल हुए राज्य के पूर्व डीजीपी डी के पांडे और अरुण उरांव को भी खादी पहनने का शौक था लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला।

हालांकि अरुण उरांव को बीजेपी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाकर संगठन में एकोमोडेट करने की कोशिश की है।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी हैं इस कतार में
उसी तरह राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की बात करें तो लोहरदगा विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक सुखदेव भगत झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं। वहीं गोमिया विधानसभा सीट से 2018 में हुए उपचुनाव लड़ने वाले लंबोदर महतो 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू के दोबारा प्रत्याशी बने हैं। वह भी झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं।
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