रांची: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रबंधन के द्वारा आए दिन कई दिशा निर्देश दिए जाते हैं, ताकि रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को परेशानियों का सामना ना करना पड़े, लेकिन फिर भी मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.
धरातल पर नहीं दिख रहा रिम्स निदेशक का निर्देशः पिछले दिनों रिम्स के निदेशक ने निर्देश दिया था कि अब इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को बाहर से दवा खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. निदेशक ने पदाधकारियों को स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि इमरजेंसी में तैनात कोई भी चिकित्सक मरीजों को बाहर से दवा खरीदने के लिए कहेंगे तो उनके ऊपर कार्रवाई की जाएगी. वहीं जारी किए गए निर्देश में यह भी कहा गया था कि यदि कोई आवश्यक दवा रिम्स के स्टोर में नहीं रहे तो उसके लिए सीएमओ और नर्सिंग स्टाफ से लिखित अनुमति के बाद ही मरीज बाहर से दवा खरीद सकते हैं, लेकिन कागजों पर जारी किया गया निर्देश धरातल पर नहीं दिख रहा है. क्योंकि आज भी कई मरीजों को दवा के लिए बाहर भटकना पड़ रहा है.
रिम्स में भर्ती मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाइयां इस संबंध में रिम्स के आईसीयू में भर्ती एक मरीज के परिजन मनु कुमार ने बताया कि कई ऐसी दवा हैं जो रिम्स के स्टोर में उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए उन्हें मजबूरी में कई दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन हजारों रुपए की दवा उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ती है, क्योंकि रिम्स अस्पताल में दवाएं फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं.वहीं रिम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती गढ़वा जिले से आये एक मरीज के परिजन मुख्तार अंसारी ने कहा कि कई दवाइयां तो अस्पताल में मिल जाती हैं, लेकिन कुछ दवा के लिए अस्पताल के बाहर जाना पड़ता है.
अनुपलब्ध दवाओं को जल्द मुहैया कराने का हो रहा प्रयासः वहीं मरीजों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत ने जब रिम्स के चिकित्सक सह स्टोर कीपर डॉ राकेश रंजन से बात कि तो उन्होंने बताया कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए सारी दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं. रिम्स इमरजेंसी में फिलहाल 40 प्रकार की सभी इमरजेंसी दवाएं उपलब्ध हैं. जो दवाई उपलब्ध नहीं है उसे भी जल्द से जल्द लाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि मरीजों को दवा के लिए अस्पताल से बाहर ना जाना पड़े.
गौरतलब है कि निदेशक के निर्देश के बाद इमरजेंसी में दवा उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी कि कब तक रिम्स के मरीजों को अस्पताल में ही सारी दवा मिल पाती हैं.