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कोरा साबित हुई झारखंड सरकार की कई घोषणाएं, लोगों को नहीं मिल रहा इसका लाभ

हेमंत सरकार ने वित्तीय बजट 2020 में झारखंड के लोगों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन इनमें से कुछ ही योजनाएं धरातल पर उतर पाई हैं. ज्यादातर योजनाएं कोरा साबित हो रही हैं, जिससे लोगों में निराशा है.

Many announcements of Jharkhand government proved to be blank
कोरा साबित हुई झारखंड सरकार की कई घोषणाएं
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Published : Feb 16, 2021, 4:40 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 9:22 PM IST

रांची: 3 मार्च 2020 को हेमंत सोरेन के सरकार ने पहला बजट पेश किया था. उस दौरान एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा की गई थी. इसके अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों के मानदेय में भी वृद्धि करने की योजना थी. डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने पर बात हुई थी, लेकिन इन योजनाओं को हेमंत सरकार अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है.

देखें स्पेशल खबर

ये भी पढ़ें-रांची: 3 मार्च को बजट पेश करेगी हेमंत सरकार, कांग्रेस का दावा- हर चेहरे पर आएगी खुशी

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा

हेमंत सोरेन सरकार के पहले वित्तीय बजट 2020 में झारखंड के लोगों के लिए कई लोकलुभावन घोषणाओं का ऐलान किया गया था. छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ देने के लिए उच्च तकनीकी शिक्षा मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना के लिए 41 करोड़ का अतिरिक्त व्यय करने का निर्णय लिया गया था. मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों के मानदेय में 500 रुपये की वृद्धि भी करने की घोषणा की गई थी. कहा गया था कि 15 सौ रुपये की जगह उन्हें 2 हजार रुपये का मानदेय अब मिलने लगेगा. इसके साथ ही डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने की बात भी हुई थी.

छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा

बजट में हेमंत सरकार ने एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा की थी. बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी युवाओं से की गई थी. कहा गया था कि स्नातक पास बेरोजगारों को 5 हजार रुपये और स्नातकोत्तर पास बेरोजगारों को 7 हजार रुपये दिए जाएंगे, लेकिन बजट के दौरान किए गए घोषणाएं भी कोरा ही साबित हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें-सांसद जयंत सिन्हा ने बजट को लेकर की चर्चा, कहा-वैक्सीन के लिए केंद्र सरकार ने 35 हजार करोड़ दिए

मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना

मार्च 2020 को पेश किए गए पहले बजट में हेमंत सरकार की ओर से जो प्रावधान किए गए थे और उनसे जुड़ी घोषणाओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की है. इस पड़ताल के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने इन योजनाओं से लाभ लेने वाले कई लोगों से बातचीत की है. इस दौरान हमारी टीम ने यह जानने की कोशिश की है कि हेमंत सरकार की ओर से एक साल पहले जो घोषणाएं की गई थी और जो प्रावधान और योजनाएं चलाए जाने की बात कही जा रही है क्या वह योजनाएं धरातल पर उतारी जा सकी है. या फिर कोरा ही साबित हो रही है. मामले को लेकर सबसे पहले मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों से बातचीत की इस दौरान उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें 1500 रुपये ही मिल रहे हैं. वह भी सही समय पर नहीं दिया जा रहा है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने की भी बात हुई थी. इस योजना से संबंधित लोगों से भी हमारी टीम ने बातचीत की. उन्होंने भी कहा यह योजना भी फिलहाल शुरू नहीं है और ना ही इसके बारे में किसी को कुछ जानकारी है.

विद्यार्थियों में आक्रोश

इस योजना से लाभ पाने वाले विद्यार्थी तो मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना क्या है, यह भी नहीं जानते हैं. कई विद्यार्थी कहते हैं कि मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना का नाम वो पहली बार सुन रहे हैं. वहीं, युवाओं को दी जाने वाली छात्रवृत्ति और बेरोजगारी भत्ता भी अब तक ख्याली पुलाव ही है. इस योजना को लेकर भी हेमंत सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई है. विद्यार्थी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं और जो योजनाएं इनके लिए लागू की जानी थी, वह भी लागू नहीं होने पर इन विद्यार्थियों में काफी आक्रोश भी देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें-हेमंत सरकार ने किसान को दिया तोहफा, कोल्ड स्टोरेज मिलने से किसान में खुशी की लहर

मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू किए जाने की बात

राज्य सरकार में वित्तीय साल 2020-21 के बजट में छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ देने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके लिए मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू किए जाने की बात कही गई थी. सभी विद्यार्थियों को मुफ्त तकनीकी शिक्षा देने की घोषणा भी हुई थी. मिड डे मील बनाने वाली रसोइयों का पूरा ख्याल रखने की बात कही गई थी. उनके मानदेय में 500 रुपये की बढ़ोतरी को लेकर सहमति बन चुकी थी. कहा गया था कि उन्हें प्रतिमाह 2 हजार मानदेय दिया जाएगा. बजट में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कई घोषणाएं की गई थी, लेकिन यह तमाम योजनाएं ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है.

रांची: 3 मार्च 2020 को हेमंत सोरेन के सरकार ने पहला बजट पेश किया था. उस दौरान एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा की गई थी. इसके अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों के मानदेय में भी वृद्धि करने की योजना थी. डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने पर बात हुई थी, लेकिन इन योजनाओं को हेमंत सरकार अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई है.

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डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा

हेमंत सोरेन सरकार के पहले वित्तीय बजट 2020 में झारखंड के लोगों के लिए कई लोकलुभावन घोषणाओं का ऐलान किया गया था. छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ देने के लिए उच्च तकनीकी शिक्षा मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना के लिए 41 करोड़ का अतिरिक्त व्यय करने का निर्णय लिया गया था. मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों के मानदेय में 500 रुपये की वृद्धि भी करने की घोषणा की गई थी. कहा गया था कि 15 सौ रुपये की जगह उन्हें 2 हजार रुपये का मानदेय अब मिलने लगेगा. इसके साथ ही डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने की बात भी हुई थी.

छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा

बजट में हेमंत सरकार ने एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की घोषणा की थी. बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी युवाओं से की गई थी. कहा गया था कि स्नातक पास बेरोजगारों को 5 हजार रुपये और स्नातकोत्तर पास बेरोजगारों को 7 हजार रुपये दिए जाएंगे, लेकिन बजट के दौरान किए गए घोषणाएं भी कोरा ही साबित हो रहे हैं.

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मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना

मार्च 2020 को पेश किए गए पहले बजट में हेमंत सरकार की ओर से जो प्रावधान किए गए थे और उनसे जुड़ी घोषणाओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की है. इस पड़ताल के दौरान ईटीवी भारत की टीम ने इन योजनाओं से लाभ लेने वाले कई लोगों से बातचीत की है. इस दौरान हमारी टीम ने यह जानने की कोशिश की है कि हेमंत सरकार की ओर से एक साल पहले जो घोषणाएं की गई थी और जो प्रावधान और योजनाएं चलाए जाने की बात कही जा रही है क्या वह योजनाएं धरातल पर उतारी जा सकी है. या फिर कोरा ही साबित हो रही है. मामले को लेकर सबसे पहले मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों से बातचीत की इस दौरान उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें 1500 रुपये ही मिल रहे हैं. वह भी सही समय पर नहीं दिया जा रहा है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना शुरू करने की भी बात हुई थी. इस योजना से संबंधित लोगों से भी हमारी टीम ने बातचीत की. उन्होंने भी कहा यह योजना भी फिलहाल शुरू नहीं है और ना ही इसके बारे में किसी को कुछ जानकारी है.

विद्यार्थियों में आक्रोश

इस योजना से लाभ पाने वाले विद्यार्थी तो मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना क्या है, यह भी नहीं जानते हैं. कई विद्यार्थी कहते हैं कि मुख्यमंत्री डिजिटल प्रोत्साहन योजना का नाम वो पहली बार सुन रहे हैं. वहीं, युवाओं को दी जाने वाली छात्रवृत्ति और बेरोजगारी भत्ता भी अब तक ख्याली पुलाव ही है. इस योजना को लेकर भी हेमंत सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई है. विद्यार्थी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं और जो योजनाएं इनके लिए लागू की जानी थी, वह भी लागू नहीं होने पर इन विद्यार्थियों में काफी आक्रोश भी देखा जा रहा है.

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मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू किए जाने की बात

राज्य सरकार में वित्तीय साल 2020-21 के बजट में छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ देने का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके लिए मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू किए जाने की बात कही गई थी. सभी विद्यार्थियों को मुफ्त तकनीकी शिक्षा देने की घोषणा भी हुई थी. मिड डे मील बनाने वाली रसोइयों का पूरा ख्याल रखने की बात कही गई थी. उनके मानदेय में 500 रुपये की बढ़ोतरी को लेकर सहमति बन चुकी थी. कहा गया था कि उन्हें प्रतिमाह 2 हजार मानदेय दिया जाएगा. बजट में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कई घोषणाएं की गई थी, लेकिन यह तमाम योजनाएं ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है.

Last Updated : Feb 16, 2021, 9:22 PM IST
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