रांची: झारखंड के चर्चित मैनहर्ट(Manhart) घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास(Raghubar Das) और शशिरंजन कुमार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है. एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से गुरुवार को रघुवर दास और शशि रंजन कुमार दोनों को एक साथ नोटिस भेजा गया है.
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मैनहर्ट को परामर्शी बनाए जाने पर उठा था सवाल
साल 2005 में राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम के निर्माण के लिए मैनहर्ट कंपनी को परामर्शी बनाया गया था. उस समय रघुवर दास राज्य के नगर विकास मंत्री थे. रघुवर दास के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहते सरयू राय ने मैनहर्ट को परामर्शी बनाए जाने पर सवाल उठाया था और कहा कि इस पूरे मामले में अनियमितता बरती गई.
पिछले साल 31 जुलाई को सरयू राय ने एसीबी में आवेदन देकर जांच की मांग की थी. एसीबी ने इस मामले में 5 नवंबर 2020 को प्रारंभिक जांच शुरू की थी. माना जा रहा है कि इस मामले में अब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बता दें कि दो अक्टूबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मैनहर्ट घोटाले की एसीबी जांच कराने का आदेश जारी किया था. वहीं एसीबी ने शशिरंजन कुमार को भी नोटिस जारी किया है. शशिरंजन वर्तमान में एडिशनल फाइनेंशियल एडवाइजर टैक्सटाइल डिपार्टमेंट, उद्योग भवन दिल्ली में कार्यरत हैं.
क्या है सरयू राय का आरोप ?
सरयू राय का आरोप है कि मैनहर्ट की नियुक्ति में नगर विकास मंत्री रहते हुए रघुवर दास ने गड़बड़ी की. एसीबी को 18 बिंदुओं पर जांच के लिए सरयू राय ने आवेदन दिया था. आवेदन में बताया गया था कि 2005 में मैनहर्ट को परामर्शी बनाने का अनुचित आदेश दिया गया. मैनहर्ट को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया. आरोप यह भी है कि काम सिंगापुर की असली मैनहर्ट को नहीं देकर भारत में इसी नाम से बनाई संस्था को दिया गया था.
सरयू राय ने कहा था कि रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया था. इस पर करीब 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. उस समय से अब तक रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का निर्माण नहीं हुआ. सरयू राय ने नगर निगम और मैनहर्ट के बीच समझौते को भी अनुचित बताया था.