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कबाड़ हो सकता है हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती का बड़ा जुगाड़: महेश पोद्दार - रिसायकलिंग ऑफ शिप्स एक्ट 2019

राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने गुडगांव में आयोजित मेटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया #MRAI के 7वें कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने "रेस्पोंसिबल रीसाइक्लिंग फॉर नेशन बिल्डिंग" पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि भारत की रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री अर्थव्यवस्था में फिलहाल 12 लाख करोड़ रुपए का वैल्यू एडिशन करती है.

Mahesh Poddar addresses Material Recycling Association of India held in Gurgaon
सभा में अतिथि
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Published : Feb 8, 2020, 9:37 PM IST

रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि कबाड़ हमारे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का बहुत बड़ा जुगाड़ हो सकता है. फिलहाल हमारे देश में केवल 5.5 मिलियन टन यानि कुल प्लास्टिक वेस्ट के 60% की ही रीसाइक्लिंग करते हैं. हमें ऐसे उपाय करने होंगे ताकि बाकी 40% प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग की जा सके.

Mahesh Poddar addresses Material Recycling Association of India held in Gurgaon
MRAI के 7वें कांफ्रेंस

इसी तरह लौह धातुओं का केवल 40-45% ही रीसायकल हो पाता है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम पैदा होने वाले कचरे को 100% रीसायकल करें. पोद्दार गुडगांव में आयोजित मेटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया #MRAI के 7वें कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, विषय था -"रेस्पोंसिबल रीसाइक्लिंग फॉर नेशन बिल्डिंग".

Mahesh Poddar addresses Material Recycling Association of India held in Gurgaon
दीप प्रजव्लित करते अतिथि

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पोद्दार ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में हड़प्पा संस्कृति की चर्चा के क्रम में "पोद्दार" का जिक्र किया, उन्हें धातु को कोष में परिवर्तित करने वाला बताया. 21वीं सदी में हम सभी पोद्दार बन सकते हैं, कचरे को रीसायकल कर देश के राजस्व में वृद्धि कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत की रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री अर्थव्यवस्था में फिलहाल 12 लाख करोड़ रुपए का वैल्यू एडिशन करती है. इसका अर्थ है कि यह भारत के कुल जीडीपी में लगभग 5% का योगदान करता है, 50 मिलियन से अधिक रोजगार उत्पन्न करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 23% से अधिक की कमी करता है. रीसाइक्लिंग से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को रोजगार मिलता है, जो ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में हैं.

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पोद्दार ने कहा कि हमारे आसपास कचरा चुनने वाले या छोटे स्तर पर उसका कारोबार करने वाले कबाड़ी होते हैं, जिनका हमें आभारी होना चाहिए. ये अलग बात है कि हम उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया करते हैं. वस्तुतः ये रीसाइक्लिंग सीरीज के सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं. इसके बाद स्थानीय निकायों की भूमिका होती है, जिनपर विभिन्न प्रकार के कचरें को रीसायकल करने का दायित्व होता है. इस महत्वपूर्ण सीरीज की सबसे ऊपरी कड़ी एमआरएआई जैसे कुछ निकाय हैं, जो भारत में रीसाइक्लिंग के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, उसका प्रसार करते हैं.

ये भी देखें- रघुवर सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात इंजीनियरों का तबादला, कुछ गए वेटिंग फॉर पोस्टिंग पर

अपने संबोधन में पोद्दार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक निकाय की आवश्यकता बताई जो वेस्ट मैनेजमेंट और रीसाइक्लिंग के संबंध में केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को नीति, कार्यक्रमों, लक्ष्यों और संचालन के संबंध में सलाह और परामर्श दे सके और वर्तमान विधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा कर सके. पोद्दार ने इस तरह के किसी निकाय की स्थापना का प्रस्ताव करते हुए “नेशनल काउंसिल फॉर वेस्ट मैनेजमेंट बिल 2020” शीर्षक से सदन में एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया है.

पोद्दार ने जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया को रिसायकलिंग ऑफ शिप्स एक्ट, 2019 के लिए धन्यवाद भी दिया. भारत 33% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ जहाज पुनर्चक्रण उद्योग का वैश्विक केंद्र है और इस वजह से इस अधिनियम की लंबे समय से आवश्यकता थी. इस अधिनियम के पारित होने के साथ भारत अब हांगकांग कन्वेंशन का अनुसरण करेगा जो जहाजों के डिजाइन, निर्माण, संचालन और तैयारी से संबंधित पहलुओं का अनुपालन करता है ताकि जहाजों के सुरक्षित और पर्यावरणीय ध्वनि पुनर्चक्रण की सुविधा हो सके.

रांची: राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि कबाड़ हमारे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का बहुत बड़ा जुगाड़ हो सकता है. फिलहाल हमारे देश में केवल 5.5 मिलियन टन यानि कुल प्लास्टिक वेस्ट के 60% की ही रीसाइक्लिंग करते हैं. हमें ऐसे उपाय करने होंगे ताकि बाकी 40% प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग की जा सके.

Mahesh Poddar addresses Material Recycling Association of India held in Gurgaon
MRAI के 7वें कांफ्रेंस

इसी तरह लौह धातुओं का केवल 40-45% ही रीसायकल हो पाता है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम पैदा होने वाले कचरे को 100% रीसायकल करें. पोद्दार गुडगांव में आयोजित मेटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया #MRAI के 7वें कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, विषय था -"रेस्पोंसिबल रीसाइक्लिंग फॉर नेशन बिल्डिंग".

Mahesh Poddar addresses Material Recycling Association of India held in Gurgaon
दीप प्रजव्लित करते अतिथि

ये भी देखें- योग से भगाएं परीक्षा की टेंशन, ऐसे फटाफट याद करें आंसर, मिलेंगे बेहतर नंबर

पोद्दार ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में हड़प्पा संस्कृति की चर्चा के क्रम में "पोद्दार" का जिक्र किया, उन्हें धातु को कोष में परिवर्तित करने वाला बताया. 21वीं सदी में हम सभी पोद्दार बन सकते हैं, कचरे को रीसायकल कर देश के राजस्व में वृद्धि कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत की रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री अर्थव्यवस्था में फिलहाल 12 लाख करोड़ रुपए का वैल्यू एडिशन करती है. इसका अर्थ है कि यह भारत के कुल जीडीपी में लगभग 5% का योगदान करता है, 50 मिलियन से अधिक रोजगार उत्पन्न करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 23% से अधिक की कमी करता है. रीसाइक्लिंग से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को रोजगार मिलता है, जो ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में हैं.

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पोद्दार ने कहा कि हमारे आसपास कचरा चुनने वाले या छोटे स्तर पर उसका कारोबार करने वाले कबाड़ी होते हैं, जिनका हमें आभारी होना चाहिए. ये अलग बात है कि हम उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया करते हैं. वस्तुतः ये रीसाइक्लिंग सीरीज के सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं. इसके बाद स्थानीय निकायों की भूमिका होती है, जिनपर विभिन्न प्रकार के कचरें को रीसायकल करने का दायित्व होता है. इस महत्वपूर्ण सीरीज की सबसे ऊपरी कड़ी एमआरएआई जैसे कुछ निकाय हैं, जो भारत में रीसाइक्लिंग के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, उसका प्रसार करते हैं.

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अपने संबोधन में पोद्दार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक निकाय की आवश्यकता बताई जो वेस्ट मैनेजमेंट और रीसाइक्लिंग के संबंध में केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को नीति, कार्यक्रमों, लक्ष्यों और संचालन के संबंध में सलाह और परामर्श दे सके और वर्तमान विधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा कर सके. पोद्दार ने इस तरह के किसी निकाय की स्थापना का प्रस्ताव करते हुए “नेशनल काउंसिल फॉर वेस्ट मैनेजमेंट बिल 2020” शीर्षक से सदन में एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया है.

पोद्दार ने जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया को रिसायकलिंग ऑफ शिप्स एक्ट, 2019 के लिए धन्यवाद भी दिया. भारत 33% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ जहाज पुनर्चक्रण उद्योग का वैश्विक केंद्र है और इस वजह से इस अधिनियम की लंबे समय से आवश्यकता थी. इस अधिनियम के पारित होने के साथ भारत अब हांगकांग कन्वेंशन का अनुसरण करेगा जो जहाजों के डिजाइन, निर्माण, संचालन और तैयारी से संबंधित पहलुओं का अनुपालन करता है ताकि जहाजों के सुरक्षित और पर्यावरणीय ध्वनि पुनर्चक्रण की सुविधा हो सके.

Intro:

रांची। सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि कबाड़ हमारे देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का बहुत बड़ा जुगाड़ हो सकता है। फिलहाल हमारे देश में केवल 5.5 मिलियन टन यानि कुल प्लास्टिक वेस्ट के 60% की ही रीसाइक्लिंग करते हैं। हमें ऐसे उपाय करने होंगे ताकि बाकी 40% प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग की जा सके। इसी तरह, लौह धातुओं का केवल 40-45% ही रीसायकल हो पाता है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम पैदा होने वाले कचरे को 100%रीसायकल करें। पोद्दार गुडगांव में आयोजित मेटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया #MRAIके 7 वें कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे, विषय था -"रेस्पोंसिबल रीसाइक्लिंग फॉर नेशन बिल्डिंग"।
पोद्दार ने कहा कि वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में हड़प्पा संस्कृति की चर्चा के क्रम में "पोद्दार" का जिक्र किया, उन्हें धातु को कोष में परिवर्तित करनेवाला बताया| 21 वीं सदी में हम सभी पोद्दार बन सकते हैं, कचरे को रीसायकल कर देश के राजस्व में वृद्धि कर सकते हैं।
Body:उन्होंने कहा कि भारत की रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री अर्थव्यवस्था में फिलहाल 12 लाख करोड़ रुपये का वैल्यू एडिशन करती है|इसका अर्थ है कि यह भारत के कुल जीडीपी में लगभग 5% का योगदान करता है, 50 मिलियन से अधिक रोजगार उत्पन्न करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 23% से अधिक की कमी करता है|रीसाइक्लिंग से समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को रोजगार मिलता है जो ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में हैं।
पोद्दार ने कहा कि हमारे आसपास कचरा चुननेवाले या छोटे स्तर पर उसका कारोबार करनेवाले कबाड़ी होते हैं, जिनका हमें आभारी होना चाहिए। ये अलग बात है कि हम उन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया करते हैं। वस्तुतः ये रीसाइक्लिंग सीरिज के सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता हैं। इसके बाद, स्थानीय निकायों की भूमिका होती है जिनपर विभिन्न प्रकार के कचरे को रीसायकल करने का दायित्व होता है। इस महत्वपूर्ण सीरिज की सबसे उपरी कड़ी एमआरएआई जैसे कुछ निकाय हैं, जो भारत में रीसाइक्लिंग के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देते हैं, उसका प्रसार करते हैं।
अपने संबोधन में पोद्दार ने राष्ट्रीय स्तर पर एक निकाय की आवश्यकता बतायी जो जो वेस्ट मैनेजमेंट और रीसाइक्लिंग के सम्बन्ध में केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को नीति, कार्यक्रमों, लक्ष्यों और संचालन के संबंध में सलाह और परामर्श दे सके और वर्तमान विधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा कर सके। पोद्दार ने इस तरह के किसी निकाय की स्थापना का प्रस्ताव करते हुए “नेशनल काउंसिल फॉर वेस्ट मैनेजमेंट बिल 2020” शीर्षक से सदन में एक प्राइवेट मेम्बर बिल भी पेश किया है।
पोद्दार ने जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया को रिसायकलिंग ऑफ़ शिप्स एक्ट, 2019 के लिए धन्यवाद भी दिया। भारत 33% से अधिक की हिस्सेदारी के साथ जहाज पुनर्चक्रण उद्योग का वैश्विक केंद्र है और इस वजह से इस अधिनियम की लंबे समय से आवश्यकता थी। इस अधिनियम के पारित होने के साथ भारत अब हांगकांग कन्वेंशन का अनुसरण करेगा जो जहाजों के डिजाइन, निर्माण, संचालन और तैयारी से संबंधित पहलुओं का अनुपालन करता है ताकि जहाजों के सुरक्षित और पर्यावरणीय ध्वनि पुनर्चक्रण की सुविधा हो सके।Conclusion:
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