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Maharally in Ranchi: सरना धर्म कोड की मांग को लेकर रांची में महारैली, 40 आदिवासी संगठन हुए शामिल, पड़ोसी देशों से भी पहुंचे धर्मावलंबी - Ranchi News

सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासियों ने आंदोलन तेज कर दिया है. रविवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में 40 आदिवासी संगठनों ने मिलकर सरना धर्म कोड की मांग को लेकर महारैली निकाली. जिसमें झारखंड और पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ पड़ोसी देशों से भी सरना धर्मावलंबी जुटे थे.

Maharally in Ranchi
सरना धर्म कोड महारैली
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Published : Mar 12, 2023, 6:42 PM IST

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रांची: राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान की अनुषंगी सामाजिक संगठनों ने रविवार को मोरहाबादी मैदान में संयुक्त महारैली की. सरना धर्म कोड महारैली में वक्ताओं ने आदिवासियों के संवैधानिक, वैधानिक और प्राकृतिक अधिकारों की मांग बुलंद करते हुए कहा कि संविधान में आदिवासियों के लिए कई प्रावधान होने के बावजूद, उसका लाभ अबतक आदिवासियों को नहीं मिला सका है. रविवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासियों के ज्वलंत एवं संवैधानिक मसले को लेकर झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, बिहार और नेपाल सहित पड़ोसी देशों से भी सरना धर्मावलंबी पहुंचे.

ये भी पढ़ें: Aadi Mahotsav in Delhi: आदि महोत्सव पर जेएमएम का तंज, कहा- पहले सरना धर्म कोड लागू करे केंद्र

क्या है आदिवासी संगठनों की मुख्य मांगें: महारैली में शामिल हुए अलग-अलग संगठनों के नेताओं कहा कि जनगणना परिपत्र में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन एवं बौद्ध धर्म अधिसूचित है. आदिवासी देश के प्रथम नागरिक हैं, लेकिन अब तक इन्हें जनगणना प्रपत्र में कोई पहचान नहीं मिली है. इसलिए देश भर के आदिवासी भारत के जनगणना परिपत्र में अलग धर्म के रूप में सरना धर्म कोड की मांग करते हैं.

जैन से अधिक हैं सरना धर्म माननेवाले: सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि भारत में 100 से अधिक जनजाति समुदाय की धार्मिक आस्था सरना धर्म है. सन 2011 की जनगणना में आवंटित अन्य धर्म कॉलम में 80,00,000 लोग मिले, जिन्होंने अपना-अपना धर्म दर्ज किया. इन जनगणना के अनुसार देश के 29 राज्यों में 49.57 लाख लोगों ने अपना धर्म के जगह पर सरना धर्म दर्ज किया, जो कि जैन धर्म की संख्या से 44.51 लाख अधिक है. ऐसे में कोई वजह नहीं है कि भारत की जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड आवंटित नहीं किया जाए.

झारखंड विधानसभा ने सरना धर्म कोड बनाने का प्रस्ताव भेजा: वक्ताओं ने कहा कि झारखंड विधानसभा की ओर से सरना धर्म कोड बनाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जबकि ओडिशा और छत्तीसगढ़ से भी इस तरह के प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं. ऐसे में भारत सरकार से मांग है की जनगणना परिपत्र में अलग सरना धर्म कोड को शामिल किया जाए. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासी संगठन कॉमन सिविल कोड को देश में लागू करने के भारत सरकार के प्रयासों का वह विरोध करते हैं. देश में 700 से अधिक जनजाति समाज के अलग-अलग धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक अवस्थाएं और परंपरायें हैं. ऐसे में सरना धर्म को हिंदू धर्म के अंतर्गत बताना बिल्कुल गलत है.

राष्ट्रपति से भी मिलकर अपनी मांग रखेगा सरना धर्म रक्षा अभियान: सरना धर्म के गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आज की रैली के बाद अब छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की रैली की जाएगी. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिलकर सरना धर्म कोड की मांग की जाएगी,

महारैली में सरना धर्म कोड सहित 16 सूत्री मांग का किया गया जिक्र: मोरहाबादी मैदान में हुई सरना धर्म कोड महारैली में अलग सरना धर्म कोड की मांग के अलावा कॉमन सिविल कोड का विरोध, संविधान की धारा 244 के तहत पांचवी अनुसूची में शामिल क्षेत्र ऐसा कानून लागू करने, आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था को सुरक्षित रखने, आदिवासियों की जमीन को बाहरियों के अवैध कब्जा से बचाने, आदिवासी महिला के गैर आदिवासी पुरुष से शादी होने के बाद उसके आदिवासी स्टेटस का अधिकार समाप्त करने, वन पट्टा कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, पूर्व की सरकार में जमीनों के लिए बनाए गए लैंड बैंक के नियम को वापस लेने, केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट को हुबहू फिर से लागू करने, आदिवासियों का हिंदू और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाने, कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का विरोध, संविधान की धारा 275-1A के तहत आदिम जनजाति के लिए आवंटित राशि का उपयोग करने, राज्य में अनुबंध पर काम कर रहे लोगों में 80% के बाहरी हैं, इसलिए इनका नियमितीकरण रोकने, 2 लाख 44 हजार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के खाली पदों को भरने, शिक्षक के खाली पद को भरने, 21 वर्षों में SC-ST के बैकलॉग को भरने और पारसनाथ (मरांग बुरू) को प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सुरक्षित रखने की मांग की गई.

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रांची: राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान की अनुषंगी सामाजिक संगठनों ने रविवार को मोरहाबादी मैदान में संयुक्त महारैली की. सरना धर्म कोड महारैली में वक्ताओं ने आदिवासियों के संवैधानिक, वैधानिक और प्राकृतिक अधिकारों की मांग बुलंद करते हुए कहा कि संविधान में आदिवासियों के लिए कई प्रावधान होने के बावजूद, उसका लाभ अबतक आदिवासियों को नहीं मिला सका है. रविवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासियों के ज्वलंत एवं संवैधानिक मसले को लेकर झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, बिहार और नेपाल सहित पड़ोसी देशों से भी सरना धर्मावलंबी पहुंचे.

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क्या है आदिवासी संगठनों की मुख्य मांगें: महारैली में शामिल हुए अलग-अलग संगठनों के नेताओं कहा कि जनगणना परिपत्र में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन एवं बौद्ध धर्म अधिसूचित है. आदिवासी देश के प्रथम नागरिक हैं, लेकिन अब तक इन्हें जनगणना प्रपत्र में कोई पहचान नहीं मिली है. इसलिए देश भर के आदिवासी भारत के जनगणना परिपत्र में अलग धर्म के रूप में सरना धर्म कोड की मांग करते हैं.

जैन से अधिक हैं सरना धर्म माननेवाले: सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि भारत में 100 से अधिक जनजाति समुदाय की धार्मिक आस्था सरना धर्म है. सन 2011 की जनगणना में आवंटित अन्य धर्म कॉलम में 80,00,000 लोग मिले, जिन्होंने अपना-अपना धर्म दर्ज किया. इन जनगणना के अनुसार देश के 29 राज्यों में 49.57 लाख लोगों ने अपना धर्म के जगह पर सरना धर्म दर्ज किया, जो कि जैन धर्म की संख्या से 44.51 लाख अधिक है. ऐसे में कोई वजह नहीं है कि भारत की जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड आवंटित नहीं किया जाए.

झारखंड विधानसभा ने सरना धर्म कोड बनाने का प्रस्ताव भेजा: वक्ताओं ने कहा कि झारखंड विधानसभा की ओर से सरना धर्म कोड बनाने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जबकि ओडिशा और छत्तीसगढ़ से भी इस तरह के प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं. ऐसे में भारत सरकार से मांग है की जनगणना परिपत्र में अलग सरना धर्म कोड को शामिल किया जाए. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासी संगठन कॉमन सिविल कोड को देश में लागू करने के भारत सरकार के प्रयासों का वह विरोध करते हैं. देश में 700 से अधिक जनजाति समाज के अलग-अलग धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक अवस्थाएं और परंपरायें हैं. ऐसे में सरना धर्म को हिंदू धर्म के अंतर्गत बताना बिल्कुल गलत है.

राष्ट्रपति से भी मिलकर अपनी मांग रखेगा सरना धर्म रक्षा अभियान: सरना धर्म के गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आज की रैली के बाद अब छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की रैली की जाएगी. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मिलकर सरना धर्म कोड की मांग की जाएगी,

महारैली में सरना धर्म कोड सहित 16 सूत्री मांग का किया गया जिक्र: मोरहाबादी मैदान में हुई सरना धर्म कोड महारैली में अलग सरना धर्म कोड की मांग के अलावा कॉमन सिविल कोड का विरोध, संविधान की धारा 244 के तहत पांचवी अनुसूची में शामिल क्षेत्र ऐसा कानून लागू करने, आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था को सुरक्षित रखने, आदिवासियों की जमीन को बाहरियों के अवैध कब्जा से बचाने, आदिवासी महिला के गैर आदिवासी पुरुष से शादी होने के बाद उसके आदिवासी स्टेटस का अधिकार समाप्त करने, वन पट्टा कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, पूर्व की सरकार में जमीनों के लिए बनाए गए लैंड बैंक के नियम को वापस लेने, केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट को हुबहू फिर से लागू करने, आदिवासियों का हिंदू और ईसाई धर्मांतरण पर रोक लगाने, कुर्मी जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का विरोध, संविधान की धारा 275-1A के तहत आदिम जनजाति के लिए आवंटित राशि का उपयोग करने, राज्य में अनुबंध पर काम कर रहे लोगों में 80% के बाहरी हैं, इसलिए इनका नियमितीकरण रोकने, 2 लाख 44 हजार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के खाली पदों को भरने, शिक्षक के खाली पद को भरने, 21 वर्षों में SC-ST के बैकलॉग को भरने और पारसनाथ (मरांग बुरू) को प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सुरक्षित रखने की मांग की गई.

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