रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव 2024 का रंग चढ़ने लगा है. भाजपा के सभी सीटिंग सांसद सक्रिय हो गये हैं. ज्यादातर सांसदों ने अपने अपने संसदीय क्षेत्र में डेरा डाल दिया है. लेकिन कई सांसद ऐसे हैं जिन्हें इस बात का डर सता रहा है कि पता नहीं इस बार उनपर पार्टी की कृपा बरसेगी या नहीं. क्योंकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जीत के बाद पार्टी ने जिस तरह से रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसी दिग्गजों को किनारे कर नये चेहरों को सामने लाया है, उससे साफ हो गया है कि एक्सपेरिमेंट का चैप्टर झारखंड में भी देखने को मिल सकता है.
किन सीटिंग सांसदों को लेकर है संशय: जानकारों के मुताबिक खूंटी में अर्जुन मुंडा, हजारीबाग में जयंत सिन्हा, गोड्डा में निशिकांत दूबे, कोडरमा में अन्नपूर्णा देवी, दुमका में सुनील सोरेन और जमशेदपुर में विद्युत वरण महतो सेफ जोन में नजर आ रहे हैं. इन छह सीटिंग सांसदों के अलावा झारखंड में भाजपा के पांच और सांसद हैं. इनमें पलामू में बीडी राम, धनबाद में पीएन सिंह, रांची में संजय सेठ, चतरा में सुनील कुमार सिंह और लोहरदगा में सुदर्शन भगत ऐसे सांसद हैं जिनके लिए दोबारा टिकट पाना आसान नहीं दिख रहा है. उम्र का तकाजा बीडी राम और पीएन सिंह के आड़े आ रहा है. यही वजह है कि पलामू में राजद के कद्दावर नेता रहे घूरन राम की सक्रियता बढ़ गई है. वहीं धनबाद में किसी नये चेहरे को जगह मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है.
रांची के सांसद संजय सेठ पर 2019 के चुनाव के वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की कृपा काम आई थी. उनको रामटहल चौधरी का टिकट काटकर दिया गया था. लेकिन चर्चा है कि भाजपा के लिए सबसे मुफीद मानी जाने वाली रांची सीट पर भीतरखाने कई दावेदार फिल्डिंग कर रहे हैं. जहां तक लोहरदगा के सुदर्शन भगत की बात है तो उन्हें पहली जीत के बाद केंद्र में मंत्री भी बनाया गया था लेकिन 2019 के बाद वह अलग थलग पड़ गये. उनके जीत का अंतर भी कम था. चर्चा है कि लोहरदगा में आशा लकड़ा रेस में हैं. वहीं कांग्रेस के एक कद्दावर नेता भी अपने पुत्र के लिए भाजपा की टिकट के लिए फिल्डिंग कर रहे हैं. रही बात चतरा की तो सुनील कुमार सिंह की उम्मीदवारी पर 2019 में ही ग्रहण लगता दिखा था. लेकिन शीर्ष नेताओं के आशीर्वाद से उन्हें दोबारा मौका मिल गया. उस सीट पर भी पार्टी के कई नेता नजरें गड़ाए बैठे हैं. करीब करीब तय माना जा रहा है कि गठबंधन के तहत गिरिडीह सीट फिर से आजसू के पास रहेगी.
अब रही बात चाईबासा की तो लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद कोई ऐसा नेता नहीं दिख रहा है जो करिश्मा दिखा पाए. इसलिए कांग्रेस की सीटिंग सांसद गीता कोड़ा को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. अंतिम सीट बचती है राजमहल की. यहां से झामुमो के विजय हांसदा सांसद हैं. इस सीट पर उनके कांग्रेसी पिता थॉमस हांसदा का दबदबा था. लिहाजा, विरासत में मिली सीट को विजय हांसदा ने झामुमो के तीर-धनुष से अपने लिए मुफीद बना लिया. लेकिन चर्चा है कि पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपना चुके बोरियो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम को भाजपा अपने पाले में लाने की कोशिश कर सकती है. क्योंकि इस सीट को जीतने के लिए भाजपा ने हेमलाल मुर्मू को भी आजमाया था, जो फेल साबित हुए थे.
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