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लोकसभा चुनाव 2024: झारखंड में भाजपा के कौन-कौन सांसद हैं सेफ जोन में, क्या है वजह - लोकसभा चुनाव 2024

लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में राजनीतिक दल जुट गए हैं. झारखंड भाजपा में इस बात की राजनीतिक चर्चा जोर पकड़ रही है कि कौन ऐसे नेता हैं जिनकी सीटें सुरक्षित हैं और उसकी वजह क्या है. एक रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2024, 7:16 PM IST

Updated : Jan 12, 2024, 7:55 PM IST

रांची: बेशक, लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होने में अभी थोड़ा वक्त है. लेकिन इससे पहले ही भाजपा के कई सांसदों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं. कई सांसदों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं इसबार उनका टिकट ना कट जाए. क्योंकि भाजपा एक्सपेरिमेंट करने वाली पार्टी कही जाती है. यहां नेताओं के कद से ज्यादा उनके परफॉर्मेंस और समीकरण को तवज्जो दिया जाता है. इसकी झलक 2019 के चुनाव में दिखी थी. तब पार्टी ने खुद को कद्दावर समझने वाले कई सीटिंग सांसदों को टिकट से बेदखल कर दिया था.

2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का सामना इंडी गठबंधन से होना है, लिहाजा, भाजपा बेहद संवेदनशीलता के साथ इस काम में जुटी हुई है. सभी सीटिंग सांसदों के परफॉर्मेंस के साथ-साथ मौजूदा समीकरण पर आंतरिक रुप से काम चल रहा है. अब सवाल है कि कौन कौन से सांसद सेफ जोन में माने जा रहे हैं.

सेफ जोन वाले भाजपा के सीटिंग सांसद: झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से 12 सीटों पर पिछले दो चुनावों से एनडीए का कब्जा रहा है. इस बार पार्टी क्लीन स्वीप के भरोसे के साथ समीकरण बिठाने में जुटी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल खूंटी में अर्जुन मुंडा, हजारीबाग में जयंत सिन्हा, गोड्डा में निशाकांत दूबे और कोडरमा में अन्नपूर्णा देवी. इन चार सांसदों में अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी तो केंद्र में मंत्री हैं.

निशिकांत दूबे ऐसे नेता हैं जो ना सिर्फ झारखंड की राजनीति का सोशल मीडिया के जरिए एजेंडा तय करते रहते हैं बल्कि दिल्ली में भी उनकी हनक दिखती है. रही बात जयंत सिन्हा की तो उनको हजारीबाग सीट विरासत में मिली है. कभी भाजपा के टॉप नेताओं में से एक रहे यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. रही बात अर्जुन मुंडा की तो 2019 में करीब 15 सौ वोट के सबसे कम अंतर से जीतने के बाद उनके सामने चुनौती जरुर दिख रही है लेकिन केंद्रीय नेता के तौर पर सक्रियता से उन्होंने खूंटी में अपनी पैठ मजबूत की है.

दुमका में सुनील सोरेन ने 2019 में झारखंड झामुमो के कद्दावर नेता शिबू सोरेन को हराया था. वह शिबू सोरेन के शिष्य भी रहे हैं. उनके दोबारा मैदान में उतरने की प्रबल संभावना है. इसके अलावा जमशेदपुर से विद्युत वरण महतो जो झामुमो से भाजपा में आकर जीत का पताका फहराया उनपर भी दोबारा आशीर्वाद की संभावना जतायी जा रही है. उनकी कुर्मी वोट बैंक में जबरदस्त पकड़ है. साथ ही झामुमो में लंबे समय तक जुड़े रहने की वजह से उन्होंने आदिवासी वोट बैंक पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है. शहर के परंपरागत भाजपा वोटरों का साथ स्वाभाविक है.

रांची: बेशक, लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होने में अभी थोड़ा वक्त है. लेकिन इससे पहले ही भाजपा के कई सांसदों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं. कई सांसदों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं इसबार उनका टिकट ना कट जाए. क्योंकि भाजपा एक्सपेरिमेंट करने वाली पार्टी कही जाती है. यहां नेताओं के कद से ज्यादा उनके परफॉर्मेंस और समीकरण को तवज्जो दिया जाता है. इसकी झलक 2019 के चुनाव में दिखी थी. तब पार्टी ने खुद को कद्दावर समझने वाले कई सीटिंग सांसदों को टिकट से बेदखल कर दिया था.

2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का सामना इंडी गठबंधन से होना है, लिहाजा, भाजपा बेहद संवेदनशीलता के साथ इस काम में जुटी हुई है. सभी सीटिंग सांसदों के परफॉर्मेंस के साथ-साथ मौजूदा समीकरण पर आंतरिक रुप से काम चल रहा है. अब सवाल है कि कौन कौन से सांसद सेफ जोन में माने जा रहे हैं.

सेफ जोन वाले भाजपा के सीटिंग सांसद: झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से 12 सीटों पर पिछले दो चुनावों से एनडीए का कब्जा रहा है. इस बार पार्टी क्लीन स्वीप के भरोसे के साथ समीकरण बिठाने में जुटी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल खूंटी में अर्जुन मुंडा, हजारीबाग में जयंत सिन्हा, गोड्डा में निशाकांत दूबे और कोडरमा में अन्नपूर्णा देवी. इन चार सांसदों में अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी तो केंद्र में मंत्री हैं.

निशिकांत दूबे ऐसे नेता हैं जो ना सिर्फ झारखंड की राजनीति का सोशल मीडिया के जरिए एजेंडा तय करते रहते हैं बल्कि दिल्ली में भी उनकी हनक दिखती है. रही बात जयंत सिन्हा की तो उनको हजारीबाग सीट विरासत में मिली है. कभी भाजपा के टॉप नेताओं में से एक रहे यशवंत सिन्हा ने हजारीबाग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. रही बात अर्जुन मुंडा की तो 2019 में करीब 15 सौ वोट के सबसे कम अंतर से जीतने के बाद उनके सामने चुनौती जरुर दिख रही है लेकिन केंद्रीय नेता के तौर पर सक्रियता से उन्होंने खूंटी में अपनी पैठ मजबूत की है.

दुमका में सुनील सोरेन ने 2019 में झारखंड झामुमो के कद्दावर नेता शिबू सोरेन को हराया था. वह शिबू सोरेन के शिष्य भी रहे हैं. उनके दोबारा मैदान में उतरने की प्रबल संभावना है. इसके अलावा जमशेदपुर से विद्युत वरण महतो जो झामुमो से भाजपा में आकर जीत का पताका फहराया उनपर भी दोबारा आशीर्वाद की संभावना जतायी जा रही है. उनकी कुर्मी वोट बैंक में जबरदस्त पकड़ है. साथ ही झामुमो में लंबे समय तक जुड़े रहने की वजह से उन्होंने आदिवासी वोट बैंक पर भी अपनी पकड़ मजबूत की है. शहर के परंपरागत भाजपा वोटरों का साथ स्वाभाविक है.

फिलहाल 14 में से 6 सीटों पर भाजपा के सीटिंग सांसदों के लिए गुडी गुडी नजर आ रहा है. अब सवाल है कि शेष 8 सीटों पर क्या वजह है कि डोलड्रम वाली स्थिति बनी हुई है. इस समीकरण से जुड़ी अलग से रिपोर्ट जल्द आपके सामने होगी.

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Last Updated : Jan 12, 2024, 7:55 PM IST
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