रांची: राजधानी रांची के धुर्वा स्थित बने एचईसी कारखाने को बचाने की मुहीम पिछले कई महीनों से जारी है. यहां काम करने वाले कर्मचारी और पदाधिकारी तो यह लड़ाई लड़ ही रहे हैं. अब इस कारखाने को बचाने की मुहीम में एचईसी क्षेत्र में रहने वाले कारोबारी, स्थानीय और रैयती भी साथ देने में लग गये हैं. इसी को लेकर सोमवार को एचईसी के कर्मचारी और पदाधिकारियों के साथ सैकड़ों की संख्या में स्थानीय, व्यवसायी और ग्रामीण गोल चक्कर से लेकर एचईसी के मुख्यालय गेट तक रैली में शामिल हुए.
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मुख्यालय गेट के सामने एचईसी के निदेशक एमके सक्सेना की विदाई पर कर्मचारियों ने आक्रोश जाहिर करते हुए उनके पुतले को आग के हवाले किया. आक्रोशित कर्मचारियों ने कहा कि पिछले 2 महीने से एचईसी के इंजीनियर सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं (Demonstration of HEC Ranchi employees), लेकिन कारखाने और मंत्रालय में बैठे अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही. एचईसी के कर्मचारियों ने कहा कि 'राज्य सरकार, केंद्र सरकार और भारी उद्योग मंत्रालय से बार-बार अपने प्रदर्शन के माध्यम से हक के वेतन की मांग कर रहे हैं. सरकार यदि हमारे हक के वेतन की मांग को जल्द से जल्द नहीं मानती है तो आने वाले समय में सभी कर्मचारी अपने प्रदर्शन को और भी उग्र करेंगे ताकि प्रबंधन की कान तक हमारी समस्या पहुंच सके.'
विरोध प्रदर्शन में समर्थन देने पहुंचे समाजसेवी विकास कुमार ने बताया कि एचईसी कर्मचारियों की यह हालत देखकर उन्हें काफी दर्द होता है क्योंकि एचईसी एक ऐसी कंपनी है जिसे लोग मातृ उद्योग के नाम से भी जानते थे. इसी उद्योग से दूसरे उद्योग के काम संचालित होते थे, लेकिन आज एचईसी जैसे बड़े कारखाने बंद हो रहे हैं और सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है जो निश्चित रूप से दुर्भाग्य की बात है. उन्होंने कहा कि एचईसी कर्मचारियों के इस प्रदर्शन में उनका समर्थन है और कारखाने को बचाने के लिये आने वाले समय में भी इसी प्रकार समर्थन रहेगा.
एचईसी के कर्मचारियों को पिछले दस महीने से और पदाधिकारियों को एक साल से वेतन नहीं मिला है. जिसके बाद कर्मचारी और पदाधिकारियों ने एचईसी मुख्यालय के सामने विभिन्न तरीके से विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया जो कि पिछले दो महीने से बदस्तूर जारी है. HEC कर्मचारियों की मांग है कि एचईसी को फिर से चालू किया जाए. एचईसी में पिछले एक साल से ज्यादा समय से स्थायी सीएमडी नहीं हैं, सबसे पहले स्थायी सीएमडी नियुक्त किया जाए और फिर उसके बाद एचईसी को मिलने वाले काम को सुचारू रूप से शुरू किया जाए. अपनी मांग और कारखाने को बचाने को लेकर एचईसी में काम करने वाले मजदूर यूनियन और रांची के सांसद संजय सेठ की तरफ से कुछ दिन पहले भारी उद्योग मंत्रालय में भी चर्चा की गई थी, जिसके बाद भारी उद्योग मंत्रालय से आश्वासन मिला था कि आने वाले समय में एचईसी के जीर्णोद्धार पर विचार किया जाएगा.
राजधानी रांची के धुर्वा इलाके में रहने वाले ज्यादातर कर्मचारी एचईसी में कार्यरत हैं. धुर्वा इलाके में बने होटल, दुकान, राशन की दुकान और अन्य व्यापार सभी एचईसी में काम करने वाले कर्मचारियों के भरोसे चलते हैं. ऐसे में अगर एचईसी बंद हो जाता तो सिर्फ एचईसी के कर्मचारियों को नहीं बल्कि आसपास कारोबार करने वाले व्यापारियों की भी समस्या बढ़ जाएगी. इसी को देखते हुए सोमवार को एचईसी के कर्मचारियों के साथ स्थानीय लोगों ने भी विरोध प्रदर्शन में साथ दिया और अपनी आवाज दिल्ली तक पहुंचाने में बुलंद की. अब देखने वाली बात होगी इस विरोध प्रदर्शन के बाद प्रबंधन और सरकार एचईसी के कर्मचारियों की मांग पर कितना गंभीर होते हैं.