रांची: झारखंड के वामदल कोल इंडिया बोर्ड के उस वैकल्पिक प्रस्ताव का विरोध करेंगे, जिसमें रैयतों को जमीन के बदले केवल मुआवजा दिए जाने की बात कही गई है. कोल इंडिया का यह प्रस्ताव सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को खत्म करने की चल रही साजिश की एक दूरगामी योजना है, जिसके अतंर्गत खनन का खर्च कम करने के लिए कोयला खदानों में आउट सोर्सिंग की प्रक्रिया का दायरा बढ़ाया जाएगा.
कोयला मजदूरों का नहीं है कहीं भी जिक्र
वर्तमान मे इसे 'एम्युटी स्कीम' कहा जा रहा है, जिसके तहत एमडीओ माडल (माइंस डेवलपर ऑपरेटिंग सिस्टम) होगा, जिसमें कोयला के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कोयला मजदूरों का कहीं भी जिक्र नहीं है. यानी समस्त उत्पादन प्रक्रिया की आउटसोर्सिंग कमर्शियल माइनिंग को ध्यान मे रख कर हुई. इस योजना की नींव इसी साल फरवरी महीने में कोल इंडिया के बड़े अधिकारियों और भाजपा की केंद्रीय दो मंत्रियों की उपस्थिति में गुजरात में हुए कथित 'चिन्तन शिविर' में रखी गई. मंत्रियों ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कोल इंडिया में भी गुजरात मॉडल लागू करें, जिसके आधार पर ही 25 अगस्त को कोल इंडिया के बोर्ड ने रैयत विरोधी इस प्रकार का निर्णय लिया है. उक्त बातें भाकपा के राज्य सचिव और पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही.
14 अक्टूबर को राजभवन के समक्ष विरोध प्रदर्शन
इस दौरान मेहता ने कहा कि वामदल कोल इंडिया बोर्ड के इस प्रस्ताव को अविलंब वापस लेने की मांग करते हुए आगामी 25 सितंबर को झारखंड के सभी जिले, अनुमंडल, मुख्यालय और 14 अक्टूबर को राजभवन के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगे. इसका निर्णय रविवार को भाकपा राज्य कार्यालय में हुईं. वामदलों की संयुक्त बैठक में फैसला लिया गया, जिसकी अध्यक्षता सीपीएम के राज्य सचिवमंडल सदस्य प्रकाश विप्लव ने की. बैठक में भाकपा के राज्य सचिव और पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, भाकपा (माले) के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, मासस के सुशांत मुखर्जी, सीपीआई से केडी सिंह, महेंद्र पाठक, अजय सिंह, शंभु कुमार, सीपीएम के विरेंद्र कुमार और माले के मोहन दत्ता शामिल थे.