रांचीः झारखंड में बोर्ड- निगम के खाली पदों को भरने की कवायद एक पहेली बनकर रह गई है. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद एक बार फिर बोर्ड निगम इन दिनों सुर्खियों में है. ऐसे में बोर्ड निगम के मलाईदार पदों को पाने की आस लगाए सत्तारूढ़ दलों के निराश हो रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक बार फिर उम्मीद जगी है. लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार इसको लेकर गंभीर ही नहीं हैं.
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नेता- कार्यकर्ताओं को इंतजारः बता दें कि हर बार सत्तारूढ़ दलों के बड़े नेताओं के द्वारा आश्वासन की झड़ी लगा दी जाती है, लेकिन कब पूरा होगा यह किसी को भी पता नहीं है. कांग्रेस में ऐसे दो दर्जन से अधिक नेता और कार्यकर्ता लंबे समय से उम्मीद लगा बैठे हैं कि बोर्ड निगम के खाली पदों पर उन्हें जरूर सेवा देने का मौका मिलेगा. इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के कार्यकर्ताओं की मानसिक स्थिति है. प्रतीक्षा करते करते इन कार्यकर्ताओं धैर्य अब खोने लगा है.
पद मिलने की आसः बोर्ड निगम में स्थान पाने की आस लगाए कांग्रेस नेता जगदीश साहू कहते हैं कि जो कार्यकर्ता 30-40वर्षों से पार्टी के लिए काम करते रहे और पिछले चुनाव में पूरी ताकत के साथ चुनाव जीताने का काम किया, उनकी अपेक्षा तो जरुर बोर्ड निगम में जगह मिलने को लेकर रहेगी ही. कांग्रेस कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार लाल कहते हैं कि पार्टी के लिए जिसने इतना त्याग किया उन्हें एक बोर्ड और निगम में स्थान मिलने में अपनी ही सरकार में देरी हो रही है. मुख्यमंत्री को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेना चाहिए जिससे कार्यकर्ता हतोत्साहित होने के बजाय उत्साह पूर्वक काम कर सके.
एक बार आश्वासन मिला कार्यकर्ताओं कोः बोर्ड निगम के खाली पदों को भरने के लिए एक बार फिर सत्तारूढ़ दलों के बड़े नेताओं का आश्वासन मिला है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे का मानना है कि मई महीने में बोर्ड निगम के खाली पदों को भरने का काम हो जाएगा. इसको लेकर मुख्यमंत्री गंभीर हैं और कार्यकर्ताओं को निराश होने की आवश्यकता नहीं है. इसी तरह कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ता निराश नहीं होते हैं बल्कि अपनी भावना से समय-समय पर पार्टी के आला नेताओं को अवगत कराते रहते हैं.
उन्होंने कहा है कि जल्द ही समर्पित कार्यकर्ताओं को बोर्ड निगम के खाली पदों में स्थान मिलेगा. कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ दलों के अंदर बोर्ड- निगम पर सहमति बन गई है. हाउसिंग बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, खनिज विकास निगम, महिला आयोग, खादी बोर्ड सहित विभिन्न बोर्ड निगम के खाली पदों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता-नेताओं को मनोनीत किया जाएगा. मगर कब और कैसे इस पर कोई जवाब नहीं मिलता.
टूट रही उम्मीदः बहरहाल बार-बार आश्वासन पाकर बोर्ड निगम में जगह पाने की आस लगाए बैठे इन कार्यकर्ताओं की उम्मीद अब टूटने लगी है. इन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अपनी ही सरकार में उन्हें इस कदर उपेक्षित क्यों किया जा रहा है. ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि इनकी नाराजगी बढ़ने से पहले पार्टी के बड़े नेताओं को इसे गंभीरता से लेकर पहल करे, जिससे इनका मनोबल गिरने के बजाय उपर उठा रहे.