रांची: नेता प्रतिपक्ष को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. जिसमें विधानसभा के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर कोर्ट में उपस्थित होंगे. सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित अवमानना याचिका समेत राज्य के 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों के रिक्त पदों को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि एक सप्ताह के अंदर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विरोधी दल के नेता के चुनाव का मसला हल करें. अन्यथा विधानसभा के सचिव को अगली सुनवाई के दिन सशरीर हाजिर होना होगा.गौरतलब है कि न्यायालय में विधानसभा की ओर से दाखिल जवाब में सूचना आयुक्तों के मनोनयन नहीं होने के पीछे प्रतिपक्ष के नेता के नहीं रहने के कारण कई वैधानिक संस्थाओं में नियुक्ति नहीं हो पाने की वजह बताते हुए दल बदल का मामला विधानसभा स्पीकर के न्यायाधिकरण में अभी तक लंबित पड़ा होना बताया था.
विधानसभा की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल किया गया जवाब: गुरुवार को इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. इन सबके बीच झारखंड विधानसभा की ओर से हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा गया है कि 18 मई को दल बदल से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई स्पीकर न्यायाधिकरण में निर्धारित की गई है. उसके निर्णय आने तक कोर्ट से समय की मांग की गई है. विधानसभा की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान न्यायालय के आदेश के अनुसार विधानसभा के प्रभारी सचिव उपस्थित होंगे. संभावना यह है कि इस मामले की सुनवाई 11 बजे होगी.
18 मई को होगी प्रदीप यादव और बंधु तिर्की दल बदल मामले की सुनवाई: विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के दल-बदल मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण में 18 मई को सुनवाई निर्धारित की गई है. प्रदीप यादव और बंधु तिर्की झारखंड विकास मोर्चा के चुनाव चिन्ह पर 2019 के विधानसभा में निर्वाचित होने के बाद कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. इसी मामले में बीजेपी नेताओं की ओर से दोनों के खिलाफ शिकायत की गई थी. वहीं बाबूलाल मरांडी पर लगे दल-बदल के आरोप मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण के द्वारा अगस्त 2022 में सुनवाई पूरी हो चुकी है. इसके बाद पिछले आठ महीने से न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रखा है. मरांडी के खिलाफ साल 2020 में दल-बदल का मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में आया था. बहरहाल, हाईकोर्ट के सख्त रूख के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही कोई समाधान निकल जाएगा.