रांची: राजधानी रांची में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के तंत्र के नीचे डोरंडा संयुक्त औषधालय में रखे रखे बुखार की आयुर्वेदिक दवा, सुदर्शन चूर्ण और बच्चों की कई बीमारियों में काम आने वाली दवा बाल चतुर्भरदिका चूर्ण एक्सपायर हो गई (Large quantity of Ayurvedic medicines expired). राज्य के आयुष औषधालय के आयुर्वेदिक विंग का यह हाल तब है, जब पूरे राज्य में महज दो आयुर्वेदिक दवा प्रदान्तक लौह और गोदन्ती भस्म ही उपलब्ध है और ज्यादातर महंगी आयुर्वेदिक दवाएं मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है.
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अस्पतालों में फ्री दवाएं उपलब्ध कराने की अपील: डोरंडा संयुक्त औषधालय में इलाज कराने आयी ऋतु विश्वकर्मा और बेला कच्छप जैसी कई ऐसे मरीज हैं, जिन्हें एक दवा अस्पताल में मिलती है तो बाकी महंगी दवा बाहर से लेना पड़ता है. दोनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से कही है कि सरकार को चाहिए कि वह आयुर्वेदिक दवाओं को भी अस्पतालो में फ्री उपलब्ध कराए.
निदेशालय से मिली थी शॉर्ट एक्सपायर दवा!: रांची संयुक्त औषधालय के मेडिकल अफसर आयुर्वेदिक डॉ साकेत कुमार जहां दवाओं की कमी की बात कहते हैं, वहीं एक्सपायर हो गयी दवाओं को लेकर कहते हैं कि उन्हें विभाग से शार्ट एक्सपायर की दवा ही मिली थी. नतीजा यह हुआ कि 70% दवाएं मरीजों को नहीं दिया जा सका और वह एक्सपायर हो गयी.
कौन है जिम्मेवार: जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदी गई दवाओं के बर्बाद हो जाने का जिम्मेवार कौन? अब सवाल उठता है कि एक ओर जनता के लिए आयुर्वेदिक औषधालयों में निःशुल्क दवाएं उपलब्ध नहीं हैं तो दूसरी ओर हजारों की संख्या में आयुर्वेदिक दवाएं स्टोर और औषधालय में कार्टून में रखे रखे बर्बाद हो गयी (Medicines expired in Doranda Joint Dispensary). इसका जिम्मेवार कौन है? क्या सरकार और विभागीय अधिकारी ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें दंडित करेंगे ताकि भविष्य में इस तरह दवाएं बर्बाद न हो.