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पुलिस मुख्यालय के रडार पर जमीन माफिया, अपराधी-माफिया गठजोड़ पर नकेल कसने की कवायद

झारखंड में जमीन माफिया और अपराधियों के बीच गठजोड़ को पुलिस सख्ती से निबटने की तैयारी में है. इसके लिए पुलिस मुख्यालय सभी जिले के एसपी को सख्त निर्देश दिए हैं.

land mafia on radar of Jharkhand police
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Published : Jul 28, 2023, 5:11 PM IST

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रांची: माकपा नेता सह जमीन कारोबारी सुभाष मुंडा की हत्या के बाद भू माफियाओं को लेकर पुलिस मुख्यालय की नजर टेढ़ी हो चली है. पुलिस मुख्यालय के तरफ से राज्य के वैसे तमाम जिले जहां जमीन को लेकर अक्सर खून खराबा और मारपीट घटनाएं सामने आती रहती हैं, उन जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भू माफिया पर सख्ती से निबटने के आदेश जारी किए गए हैं. पुलिस मुख्यालय ने भू माफिया और अपराधियों के गठजोड़ को नेस्तनाबूद करने का टास्क दिया है.

ये भी पढ़ें: रांची: भू-माफिया और सरकारी बाबूओं की मिलीभगत से झारखंड में जमीन का काला खेल, पढ़ें ये रिपोर्ट

राजधानी रांची सहित राज्य के दूसरे जिलों में जमीन के विवाद को लेकर बढ़ रहे खून खराबे की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने अब जमीन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है. जमीन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए थाना स्तर से जमीन माफियाओं की सूची तैयार की जा रही है, जिसके बाद उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी. पुलिस वैसे जमीन माफिया जिनपर जघन्य अपराधिक मामला दर्ज हैं उन्हें जिलाबदर करने की तैयारी में है. जबकि जिनके खिलाफ छोटे मामले दर्ज होंगे उनके खिलाफ थाना हाजिरी की कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस मुख्यालय ने रांची, धनबाद, पलामू, जमशेदपुर और बोकारो जैसे जिलों क्यों ऐसे तमाम भूमाफिया जो अपराधियों के साथ गठजोड़ कर जमीन पर कब्जे का खेल खेलते हैं और खून खराबा करवाते हैं सब की लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिए हैं. पुलिस मुख्यालय के द्वारा जमीन माफियाओं के इशारे पर आतंक फैलाने वाले अपराधियों पर भी कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया. जरूरत पड़ने पर उन पर विभिन्न धाराओं में कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है.

एक वर्ष के भीतर जेल से छूटे कारोबरियों का डेटा हो रहा तैयार: पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर दो साल के अंदर जमीन कारोबार के संबंध में किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने वाले या अंजाम दिलवाने वाले माफिया और अपराधी दोनो की लिस्ट तैयार की जा रही है. इसके साथ साथ वैसे मामले जिसमें अपराधी जेल गए थे और अब वे जेल से बाहर निकल आए हैं उन अपराधियों का पूरा डाटा तैयार हो रहा है. इस कवायद की मुख्य वजह यही है कि जमीन विवाद को लेकर होने वाली घटनाओं पर रोक लगाई जा सके. जेल से बाहर आए माफिया की थाना हाजिरी की कार्रवाई नियमित तौर पर करने का निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही वैसे अपराधी जिनके जेल से बाहर आने पर आपराधिक घटनाएं होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, उनपर सीसीए लगाने का प्रस्ताव समर्पित किया जाए.

शातिर अपराधियों पर नजर: झारखंड बनने के बाद राजधानी रांची सहित कई बड़े शहरों की जमीन की कीमत काफी बढ़ी है, जैसे-जैसे जमीन की कीमत आसमान छूने लगी वैसे-वैसे ही इस धंधे में अपराधियों का आगमन भी शुरू हो गया. जमीन माफिया बड़े अपराधियों के बल पर जमीन पर कब्जा करवाते हैं. यही वजह है कि अब पुलिस वैसे सभी बड़े अपराधियों पर भी नजर रख रही है जिनका जमीन कारोबारियों से रिश्ता है.

अंचल-रजिष्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी से होता विवाद: जमीन विवाद के मामलों का बढ़ने का कारण अंचल और रजिस्ट्री कार्यालय है, यहां की रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर हेराफेरी की वजह से एक जमीन के अलग-अलग दावेदार सामने आते हैं. जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड भी अब सुरक्षित नहीं है. उनमें छेड़छाड़ संभव है. नेशनल इन्फॉरमेटिक्स एजेंसी (एनआईसी) द्वारा संचालित झारभूमि सॉफ्टवेयर का सिक्योरिटी ऑडिट पिछले 10 साल से नहीं किया गया है. इसका लाभ भू-माफिया उठा रहे हैं. अंचलाधिकारियों द्वारा म्यूटेशन रद्द कर देने के बाद भी करेक्शन स्लिप कट जाती है, खातियानी रैयतों के नाम दर्ज जमाबंदी बिना म्यूटेशन के ही दूसरे के नाम पर दर्ज हो जा रही है. हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. ईडी जैसी राष्ट्रीय एजेंसी भी जमीन घोटालों से जुड़े कई मामलों की तफ्तीश कर रही है.

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रांची: माकपा नेता सह जमीन कारोबारी सुभाष मुंडा की हत्या के बाद भू माफियाओं को लेकर पुलिस मुख्यालय की नजर टेढ़ी हो चली है. पुलिस मुख्यालय के तरफ से राज्य के वैसे तमाम जिले जहां जमीन को लेकर अक्सर खून खराबा और मारपीट घटनाएं सामने आती रहती हैं, उन जिलों के पुलिस अधीक्षकों को भू माफिया पर सख्ती से निबटने के आदेश जारी किए गए हैं. पुलिस मुख्यालय ने भू माफिया और अपराधियों के गठजोड़ को नेस्तनाबूद करने का टास्क दिया है.

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राजधानी रांची सहित राज्य के दूसरे जिलों में जमीन के विवाद को लेकर बढ़ रहे खून खराबे की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने अब जमीन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है. जमीन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए थाना स्तर से जमीन माफियाओं की सूची तैयार की जा रही है, जिसके बाद उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई की जाएगी. पुलिस वैसे जमीन माफिया जिनपर जघन्य अपराधिक मामला दर्ज हैं उन्हें जिलाबदर करने की तैयारी में है. जबकि जिनके खिलाफ छोटे मामले दर्ज होंगे उनके खिलाफ थाना हाजिरी की कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस मुख्यालय ने रांची, धनबाद, पलामू, जमशेदपुर और बोकारो जैसे जिलों क्यों ऐसे तमाम भूमाफिया जो अपराधियों के साथ गठजोड़ कर जमीन पर कब्जे का खेल खेलते हैं और खून खराबा करवाते हैं सब की लिस्ट तैयार करने का निर्देश दिए हैं. पुलिस मुख्यालय के द्वारा जमीन माफियाओं के इशारे पर आतंक फैलाने वाले अपराधियों पर भी कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया गया. जरूरत पड़ने पर उन पर विभिन्न धाराओं में कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है.

एक वर्ष के भीतर जेल से छूटे कारोबरियों का डेटा हो रहा तैयार: पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर दो साल के अंदर जमीन कारोबार के संबंध में किसी भी तरह की घटना को अंजाम देने वाले या अंजाम दिलवाने वाले माफिया और अपराधी दोनो की लिस्ट तैयार की जा रही है. इसके साथ साथ वैसे मामले जिसमें अपराधी जेल गए थे और अब वे जेल से बाहर निकल आए हैं उन अपराधियों का पूरा डाटा तैयार हो रहा है. इस कवायद की मुख्य वजह यही है कि जमीन विवाद को लेकर होने वाली घटनाओं पर रोक लगाई जा सके. जेल से बाहर आए माफिया की थाना हाजिरी की कार्रवाई नियमित तौर पर करने का निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही वैसे अपराधी जिनके जेल से बाहर आने पर आपराधिक घटनाएं होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, उनपर सीसीए लगाने का प्रस्ताव समर्पित किया जाए.

शातिर अपराधियों पर नजर: झारखंड बनने के बाद राजधानी रांची सहित कई बड़े शहरों की जमीन की कीमत काफी बढ़ी है, जैसे-जैसे जमीन की कीमत आसमान छूने लगी वैसे-वैसे ही इस धंधे में अपराधियों का आगमन भी शुरू हो गया. जमीन माफिया बड़े अपराधियों के बल पर जमीन पर कब्जा करवाते हैं. यही वजह है कि अब पुलिस वैसे सभी बड़े अपराधियों पर भी नजर रख रही है जिनका जमीन कारोबारियों से रिश्ता है.

अंचल-रजिष्ट्री कार्यालय में गड़बड़ी से होता विवाद: जमीन विवाद के मामलों का बढ़ने का कारण अंचल और रजिस्ट्री कार्यालय है, यहां की रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर हेराफेरी की वजह से एक जमीन के अलग-अलग दावेदार सामने आते हैं. जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड भी अब सुरक्षित नहीं है. उनमें छेड़छाड़ संभव है. नेशनल इन्फॉरमेटिक्स एजेंसी (एनआईसी) द्वारा संचालित झारभूमि सॉफ्टवेयर का सिक्योरिटी ऑडिट पिछले 10 साल से नहीं किया गया है. इसका लाभ भू-माफिया उठा रहे हैं. अंचलाधिकारियों द्वारा म्यूटेशन रद्द कर देने के बाद भी करेक्शन स्लिप कट जाती है, खातियानी रैयतों के नाम दर्ज जमाबंदी बिना म्यूटेशन के ही दूसरे के नाम पर दर्ज हो जा रही है. हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. ईडी जैसी राष्ट्रीय एजेंसी भी जमीन घोटालों से जुड़े कई मामलों की तफ्तीश कर रही है.

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