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चुनाव आते ही जातिगत समीकरण होने लगे सेट, कुशवाहा समाज ने भी दिखाई ताकत - कुशवाहा समाज

Kushwaha society held meeting in Ranchi. झारखंड में चुनावों से पहले सभी संगठन भी अपनी ताकत दिखाने लगे हैं. इसी क्रम में कुशवाहा समाज ने बैठक की और आगामी चुनाव में अपना प्रतिनिधि उतारने की बात कही.

Kushwaha society held meeting in Ranchi
Kushwaha society held meeting in Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 4, 2024, 5:36 PM IST

Updated : Jan 4, 2024, 5:45 PM IST

कुशवाहा महसभा के अध्यक्ष राजू महतो का बयान

रांची: झारखंड में चुनाव से पहले कई संगठन अपने जन आधार को साबित करने में जुटे हुए हैं. झारखंड में कुशवाहा समाज ने एकजुटता दिखाते हुए आगामी चुनाव में हुंकार भरने की बात कही है. चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए झारखंड प्रदेश कुशवाहा समाज महासभा की तरफ बैठक की गई. जिसमें यह तय किया गया है कि आने वाले चुनाव में कुशवाहा समाज अपनी घनी आबादी वाले क्षेत्र से जनप्रतिनिधि खड़ा करेगा और चुनाव में जीत प्राप्त करेगा. इसके बाद सदन में अपने हक की मांग करेगा.

बैठक में झारखंड कुशवाहा महासभा के अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कुशवाहा समाज के लोगों की अपेक्षा की जा रही है. सत्ता में बैठे लोग कुशवाहा समाज के लोगों को नजरअंदाज कर रहे हैं. आज की तारीख में झारखंड में रहने वाले कोइरी, काछी, शाक्य, सैनी, मौर्य, दांगी, माली, मुरई, बनाफर, मुरार जैसी जाति खुद को कुशवाहा से अलग मानती है. जबकि ये सभी जातियां कुशवाहा के घटक जाति हैं. यदि यह सभी जातियां एक हो जाएं तो आने वाले समय में झारखंड के चुनाव में यह अपने शक्ति प्रदर्शन कर सकते हैं.

कुशवाहा समाज महासभा के अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि आज की बैठक में चार बिंदुओं पर चर्चा की गई. पहली मांग यह है कि पिछड़ी जाति के अनुसूचित-1 में कुशवाहा समाज की शामिल किया जाए. वहीं, बैठक के माध्यम से कुशवाहा समाज की दूसरी मांग यह है कि पिछड़ी जाति को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर आरक्षण दें. बैठक में कुशवाहा समाज ने तीसरी मांग करते हुए सरकार से अपील की है कि विकास का आधार कृषि को बनाया जाए. बैठक के समापन के बाद राजू महतो ने कहा कि जब तक कुशवाहा समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक इस समाज का विकास होना संभव नहीं है.

बैठक में कार्यकर्ताओं को यह दिशा निर्देश दिया गया है कि जिन-जिन लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है उन क्षेत्रों में लोगों से जाकर मिले और उनकी समस्याओं को जाने. हजारीबाग, चतरा, कोडरमा जैसे लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. इसीलिए इस बार कुशवाहा मतदाता अपने मत का प्रयोग तभी करेंगे जब सरकार उन्हें उनके विकास के लिए आश्वस्त करेगी.

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बैठक में झारखंड कुशवाहा महासभा के अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कुशवाहा समाज के लोगों की अपेक्षा की जा रही है. सत्ता में बैठे लोग कुशवाहा समाज के लोगों को नजरअंदाज कर रहे हैं. आज की तारीख में झारखंड में रहने वाले कोइरी, काछी, शाक्य, सैनी, मौर्य, दांगी, माली, मुरई, बनाफर, मुरार जैसी जाति खुद को कुशवाहा से अलग मानती है. जबकि ये सभी जातियां कुशवाहा के घटक जाति हैं. यदि यह सभी जातियां एक हो जाएं तो आने वाले समय में झारखंड के चुनाव में यह अपने शक्ति प्रदर्शन कर सकते हैं.

कुशवाहा समाज महासभा के अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि आज की बैठक में चार बिंदुओं पर चर्चा की गई. पहली मांग यह है कि पिछड़ी जाति के अनुसूचित-1 में कुशवाहा समाज की शामिल किया जाए. वहीं, बैठक के माध्यम से कुशवाहा समाज की दूसरी मांग यह है कि पिछड़ी जाति को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर आरक्षण दें. बैठक में कुशवाहा समाज ने तीसरी मांग करते हुए सरकार से अपील की है कि विकास का आधार कृषि को बनाया जाए. बैठक के समापन के बाद राजू महतो ने कहा कि जब तक कुशवाहा समाज एकजुट नहीं होगा, तब तक इस समाज का विकास होना संभव नहीं है.

बैठक में कार्यकर्ताओं को यह दिशा निर्देश दिया गया है कि जिन-जिन लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है उन क्षेत्रों में लोगों से जाकर मिले और उनकी समस्याओं को जाने. हजारीबाग, चतरा, कोडरमा जैसे लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज के मतदाता निर्णायक माने जाते हैं. इसीलिए इस बार कुशवाहा मतदाता अपने मत का प्रयोग तभी करेंगे जब सरकार उन्हें उनके विकास के लिए आश्वस्त करेगी.

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Last Updated : Jan 4, 2024, 5:45 PM IST
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