रांची: राज्य भर के 14 हजार से अधिक कृषक मित्र इन दिनों आंदोलनरत हैं. राज्य और केंद्र सरकार की कृषि योजनाओं को लागू करने में मदद के लिए बहाल किये गये कृषक मित्र अब सरकार से अपनी सेवा नियमित करने समेत कई मांग कर रहे हैं. राज्य के सत्ताधारी दलों के मंत्रियों और विधायकों के क्षेत्रीय आवासों पर धरना और उपवास के बाद भी उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो कृषक मित्रों ने अपना आंदोलन राजधानी की ओर स्थानांतरित कर दिया है.
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इस आंदोलन को जारी रखते हुए कृषक मित्रों ने अपनी मांगों को लेकर डोरंडा में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के सरकारी आवास का घेराव किया और हेमंत सोरेन सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया. मंत्री मिथिलेश ठाकुर के आवास का घेराव करने के बाद पेयजल स्वच्छता मंत्री ने कृषक मित्रों के प्रतिनिधिमंडल से बात की. इस दौरान उन्होंने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली अपनी सरकार की तारीफ की और कहा कि संवेदनशील सरकार में किसी को आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं है. क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सबके लिए कुछ न कुछ जरूर किया है.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कृषक मित्रों की समस्याओं से पूरी तरह परिचित हैं. मंत्री ने आंदोलनरत किसान मित्रों से आग्रह किया कि जिस उम्मीद के साथ सरकार ने उन्हें बहाल किया है, उन उम्मीदों पर खरा उतरने में जुट जाएं. सही समय आने पर कृषक मित्रों की मांग भी पूरी की जायेगी.
राजकोष की स्थिति का दिया हवाला: अपने आवास का घेराव करने पहुंचे राज्य के 14 हजार से अधिक कृषक मित्रों को समझाने के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री ने कवि वृंद के दोहे का सार "जितना चादर हो उतना ही पैर फैलाना चाहिए" और राजकोष की स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि मुख्यमंत्री बहुत संवेदनशील हैं, वे कृषक मित्रों की समस्याओं और मांगों से अवगत हैं. उनकी इच्छा भी है कि राज्य के लोगों का जीवन स्तर कैसे ऊंचा उठाया जाये. कर्मचारी अनुबंध आधारित या प्रोत्साहन आधारित हों, सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. लेकिन मामला इस बात पर आकर अटक जाता है कि सरकार को अपने खजाने और उपलब्ध संसाधनों को भी देखना पड़ता है. ऐसे में कृषक मित्रों से उनकी अपील है कि वे आंदोलन स्थगित कर अपने काम पर लग जाएं. अपनी जिम्मेदारियां निभाएं और बाकी काम सरकार पर छोड़ दें.