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अलविदा 2023ः हेमंत सरकार के चार साल, चुनौतीपूर्ण रहेगा कार्यकाल का अंतिम वर्ष

Challenges for Hemant government in New Year 2024. चार वर्ष पूरा कर हेमंत सरकार अपने पांचवे साल में प्रवेश करने वाला है. सरकार के कार्यकाल का अंतिम वर्ष बेहद ही चुनौतीपूर्ण रहेगा. क्योंकि साल 2024 चुनावी वर्ष है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, सरकार के सामने कौन-कौन से मुद्दे चुनौती पेश कर सकते हैं.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 26, 2023, 11:46 AM IST

Updated : Dec 31, 2023, 3:21 PM IST

Know which issues will be full of challenges for Hemant government in Jharkhand in New Year 2024
जानिए किन मुद्दों को लेकर झारखंड में हेमंत सरकार के लिए साल 2024 चुनौतियों से भरा होगा

रांचीः अपनी सरकार के कार्यकाल के पांचवें साल में प्रवेश कर रही हेमंत सरकार के लिए आने वाला समय बेहद ही चुनौती भरा रहेगा. चुनावी वर्ष होने की वजह से जहां राजनीतिक हैसियत बनाकर रखना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए पहली प्राथमिकता होगी.

दूसरी ओर सरकारी स्तर पर कई ऐसे फैसले लेने होंगे जो उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था. झारखंड में संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा हो या पारा शिक्षकों का मसला, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप निर्णय लेनी होगा. इसी तरह पारा शिक्षक, पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक, वित्त रहित शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करना सरकार के लिए चुनौती भरा कार्य होगा. ऐसे संविदाकर्मियों की संख्या करीब ढाई लाख है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

दूसरा जो बड़ा मुद्दा है वह सरकारी विभागों के खाली पदों को भरने का, जिसको लेकर युवा लगातार मांग करते रहे हैं. 2019 में जनता से यूपीए नेताओं के द्वारा वादा भी किया गया था. जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने मेनिफेस्टो के जरिए युवाओं को नौकरी का भरोसा भी दिया था. ऐसे में पांचवें साल सरकार को जेपीएससी और जेएसएससी की लंबित परीक्षा को शीघ्र आयोजित करने में तेजी लानी होगी.

तीसरी चुनौती हेमंत सरकार के लिए अबुआ आवास योजना के माध्यम से घर देने की होगी. चालू वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन महीने में दो लाख और वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम छमाही में ढाई लाख आवास देना चुनौती होगा. बता दें कि दूसरी छमाही में विधानसभा चुनाव होगा. ऐसे में साढ़े चार लाख आवास बनाना सरकार के लिए बेहद ही कठिन काम होने वाला है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे जो लगायेगी नैया पारः सबसे पहले 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण बिल, जिसे साल 2022 में विधानसभा से पारित कर राज्यपाल को भेजा गया, जिसे राजभवन ने लौट दिया था. साल 2023 के शीतकालीन सत्र में फिर से इसे पारित कर सरकार ने राजभवन को भेजा है. अगर राजभवन फिर से इसे लौटाती है तो दूसरी बार लौटाए जाने पर मुद्दा बनेगा. सरना धर्म कोड का मुद्दा, जिसे राज्य सरकार ने विधानसभा से पारित कर फैसला केंद्र के पाले में डाला है. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने के फैसले के जरिए सरकारी सेवकों को आकर्षित करने की कोशिश होगी.

इसके अलावा शहरी क्षेत्र में आम लोगों को अपनी निजी जमीन पर पेड़ लगाने पर प्रति वृक्ष पांच यूनिट बिजली फ्री देने का निर्णय सरकार ने लिया है. जिससे मिडिल क्लास को आकर्षित करने का प्रयास होगा. संविदा पर नियुक्त एवं कार्यरत महिलाकर्मियों को मातृत्व अवकाश देने की फैसला, जिससे महिला वर्ग का साथ हेमंत सरकार को मिलने की उम्मीद है. झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 की स्वीकृति, नकल करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा अधिकतम 10 करोड़ तक का जुर्माना का प्रावधान. जिससे शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने की कोशिश की गयी है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

अबुआ आवास योजना के जरिए चालू वित्तीय वर्ष में 2 लाख, 2024-25 में 03 लाख 50 हजार और 2025-26 में 02 लाख 50 हजार पक्का आवास देने का निर्णय सरकार ने लिया है. ऐसे में इन तमाम मुद्दों पर विपक्ष के हमले सरकार पर तेज होंगे. साथ ही सरकार से लेकर गठबंधन चलाना सीएम हेमंत सोरेन के लिए चुनौतियों से भरी होगी.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए आने वाला साल 2024 कई मायनों में अहम होगा. सरकार से लेकर गठबंधन चलाना चुनौतियों से भरा होगा. जानकार अमरनाथ झा कहते हैं कि पहली परीक्षा लोकसभा चुनाव होगीस जिसमें गठबंधन को मजबूती के साथ बनाए रखना चुनौती भरा होगा. लोकसभा चुनाव परिणाम राज्य सरकार के कामकाज को भी प्रभावित करेगा. राजनीतिक असर आगे के विधानसभा चुनाव पर भी देखने को मिलेगा. बहरहाल ईडी के समन से घिरे मुख्यमंत्री हेमंत सरकार द्वारा विपक्ष के आरोप पर लगातार पलटवार जरूर किया जा रहा है मगर यह पलटवार कितना प्रभावी होगा वह तो वक्त ही तय करेगा.

इसे भी पढ़ें- चुनावी मोड में हेमंत सरकार! 29 दिसंबर को पूरा होगा चार साल का कार्यकाल, रांची में आपके द्वार कार्यक्रम का होगा समापन, जानिए कैसा रहा अभियान

इसे भी पढ़ें- हेमंत सरकार के 4 साल: विवादों के बावजूद अटल अडिग रहे हेमंत सोरेन

इसे भी पढ़ें- हेमंत सरकार के 4 साल: सत्ता पक्ष ने कहा- उपलब्धियों भरा रहा कार्यकाल, विपक्ष ने बताया हर मोर्चे पर नाकाम

रांचीः अपनी सरकार के कार्यकाल के पांचवें साल में प्रवेश कर रही हेमंत सरकार के लिए आने वाला समय बेहद ही चुनौती भरा रहेगा. चुनावी वर्ष होने की वजह से जहां राजनीतिक हैसियत बनाकर रखना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए पहली प्राथमिकता होगी.

दूसरी ओर सरकारी स्तर पर कई ऐसे फैसले लेने होंगे जो उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था. झारखंड में संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा हो या पारा शिक्षकों का मसला, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप निर्णय लेनी होगा. इसी तरह पारा शिक्षक, पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक, वित्त रहित शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करना सरकार के लिए चुनौती भरा कार्य होगा. ऐसे संविदाकर्मियों की संख्या करीब ढाई लाख है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

दूसरा जो बड़ा मुद्दा है वह सरकारी विभागों के खाली पदों को भरने का, जिसको लेकर युवा लगातार मांग करते रहे हैं. 2019 में जनता से यूपीए नेताओं के द्वारा वादा भी किया गया था. जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने मेनिफेस्टो के जरिए युवाओं को नौकरी का भरोसा भी दिया था. ऐसे में पांचवें साल सरकार को जेपीएससी और जेएसएससी की लंबित परीक्षा को शीघ्र आयोजित करने में तेजी लानी होगी.

तीसरी चुनौती हेमंत सरकार के लिए अबुआ आवास योजना के माध्यम से घर देने की होगी. चालू वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन महीने में दो लाख और वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम छमाही में ढाई लाख आवास देना चुनौती होगा. बता दें कि दूसरी छमाही में विधानसभा चुनाव होगा. ऐसे में साढ़े चार लाख आवास बनाना सरकार के लिए बेहद ही कठिन काम होने वाला है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे जो लगायेगी नैया पारः सबसे पहले 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण बिल, जिसे साल 2022 में विधानसभा से पारित कर राज्यपाल को भेजा गया, जिसे राजभवन ने लौट दिया था. साल 2023 के शीतकालीन सत्र में फिर से इसे पारित कर सरकार ने राजभवन को भेजा है. अगर राजभवन फिर से इसे लौटाती है तो दूसरी बार लौटाए जाने पर मुद्दा बनेगा. सरना धर्म कोड का मुद्दा, जिसे राज्य सरकार ने विधानसभा से पारित कर फैसला केंद्र के पाले में डाला है. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने के फैसले के जरिए सरकारी सेवकों को आकर्षित करने की कोशिश होगी.

इसके अलावा शहरी क्षेत्र में आम लोगों को अपनी निजी जमीन पर पेड़ लगाने पर प्रति वृक्ष पांच यूनिट बिजली फ्री देने का निर्णय सरकार ने लिया है. जिससे मिडिल क्लास को आकर्षित करने का प्रयास होगा. संविदा पर नियुक्त एवं कार्यरत महिलाकर्मियों को मातृत्व अवकाश देने की फैसला, जिससे महिला वर्ग का साथ हेमंत सरकार को मिलने की उम्मीद है. झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 की स्वीकृति, नकल करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा अधिकतम 10 करोड़ तक का जुर्माना का प्रावधान. जिससे शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने की कोशिश की गयी है.

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हेमंत सरकार की उपलब्धि और भविष्य के मुद्दे

अबुआ आवास योजना के जरिए चालू वित्तीय वर्ष में 2 लाख, 2024-25 में 03 लाख 50 हजार और 2025-26 में 02 लाख 50 हजार पक्का आवास देने का निर्णय सरकार ने लिया है. ऐसे में इन तमाम मुद्दों पर विपक्ष के हमले सरकार पर तेज होंगे. साथ ही सरकार से लेकर गठबंधन चलाना सीएम हेमंत सोरेन के लिए चुनौतियों से भरी होगी.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए आने वाला साल 2024 कई मायनों में अहम होगा. सरकार से लेकर गठबंधन चलाना चुनौतियों से भरा होगा. जानकार अमरनाथ झा कहते हैं कि पहली परीक्षा लोकसभा चुनाव होगीस जिसमें गठबंधन को मजबूती के साथ बनाए रखना चुनौती भरा होगा. लोकसभा चुनाव परिणाम राज्य सरकार के कामकाज को भी प्रभावित करेगा. राजनीतिक असर आगे के विधानसभा चुनाव पर भी देखने को मिलेगा. बहरहाल ईडी के समन से घिरे मुख्यमंत्री हेमंत सरकार द्वारा विपक्ष के आरोप पर लगातार पलटवार जरूर किया जा रहा है मगर यह पलटवार कितना प्रभावी होगा वह तो वक्त ही तय करेगा.

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Last Updated : Dec 31, 2023, 3:21 PM IST
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