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झारखंड राज्य स्थापना विशेषः जानिए, 22 साल में झारखंड में शिक्षा का क्या है स्तर - झारखंड शिक्षा विभाग

झारखंड में शिक्षा का स्तर सुधारने और लोगों को साक्षर बनाने के प्रयास होते रहे हैं. झारखंड राज्य स्थापना से पहले और बाद के वर्षों में काफी तेजी से सुधार भी हुआ है. लेकिन आज भी शत प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य से जहां राज्य पीछे है. वहीं सरकारी स्कूलों से बच्चों का ड्रॉप आउट को रोकना बड़ी चुनौती है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, 22 साल में झारखंड में शिक्षा के स्तर का क्या हाल (Know level of education in Jharkhand in 22 years) है.

Know level of education in Jharkhand in 22 years
रांची
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Published : Nov 4, 2022, 12:38 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 1:04 PM IST

रांचीः किसी भी राज्य या देश के विकास में शिक्षा का अहम योगदान है. यही वजह है कि शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने के लिए सतत प्रयास होते रहे हैं. नई शिक्षा नीति को उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं. अगर झारखंड की करें तो राज्य गठन से पहले और बाद में साक्षरता अभियान चलता रहा, जिसके तहत लोगों के बीच शिक्षा की लौ जलाने की कोशिश होती रही. मगर जिस तेजी से इसके परिणाम आने चाहिए थे, वो देखने को नहीं (Know level of education in Jharkhand in 22 years) मिला.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand Foundation Day 2021: जानिए, उच्च शिक्षा की दिशा में कितनी पूरी हुई लोगों की उम्मीदें?

समय के साथ बदल रहे शैक्षणिक माहौल के आगे कहीं ना कहीं सरकार द्वारा प्रदत्त व्यवस्थाएं स्कूल कॉलेजों में खानापूर्ति बनकर अपने मूल उद्देश्य से भटकता चला गया. यही वजह है कि निजी विद्यालयों का झारखंड में तेजी से प्रचलन शुरू हुआ, जिसके आगे सरकारी विद्यालय आज भी अस्तित्व बचाकर रखने के लिए संघर्ष कर रही है. आज भी इन सरकारी स्कूलों से बड़ी संख्या में बच्चों का ड्रॉप आउट (condition of education in jharkhand) होता है, जो सरकार के लिए इन्हें रोकना बड़ी चुनौती है.

क्या कहते हैं आंकड़ेः झारखंड शिक्षा विभाग (Jharkhand Education Department) के आंकड़ों के अनुसार राज्य स्थापना वर्ष यानी 2000 में राज्य में 16022 सरकारी स्कूल थे. वहीं 2020 में इनकी संख्या दोगुनी से अधिक यानी 35442 हो गए. समय के साथ सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती चली गई. वर्ष 2000 में करीब 27 लाख झारखंड के बच्चे सरकारी स्कूलों में नामांकित थे, वहीं 2020 में इनकी संख्या 45 लाख पर पहुंच गई. राज्य गठन के बाद खुलने वाले स्कूलों पर नजर दौरायें तो 2009-10 में 300, 2010-11 में 285, 2011-12 में 294, 2013-14 में 121, 2016-17 में 189 सरकारी स्कूल खोले गए. इसके अलावा 203 कस्तूरबा स्कूल, 89 मॉडल स्कूल, 57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय खुले हैं. इसके साथ 576 हाई स्कूल को प्लस टू विद्यालय में अपडेट किया गया है.

2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्यः झारखंड में साक्षरता का दर की बात करें तो प्रदेश में महिला साक्षरता दर प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2001 में झारखंड की कुल साक्षरता दर 53.50 फीसदी थी जबकि पुरुषों का साक्षरता दर 67.3 प्रतिशत और महिलाओं का 38.8 था. वर्ष 2011 में झारखंड की कुल साक्षरता दर में 12.8 फीसदी की बढ़ती हुई, साक्षरता बढ़कर 66.4 फीसदी हो गयी. इस दौरान पुरुषों की साक्षरता में 9.50 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर में 16.50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2018 की बात करें तो राज्य की साक्षरता दर 73.20 से था जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 81 प्रतिशत और महिलाओं की 66.20 फीसदी थी.

वर्तमान समय में राज्य में साक्षरता दर 73 फीसदी अनुमानित है. केंद्र के आह्वान पर 2030 तक शत प्रतिशत साक्षरता का अलग निर्धारित किया गया है. जिसके तहत नव भारत साक्षर अभियान की शुरुआत की गई है, जिसमें 15 या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को साक्षर बनाया जाएगा. नव भारत साक्षर अभियान में महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है. इसके साथ ही वैसे जिला जहां महिला साक्षरता दर 60 फ़ीसदी से कम है, उन जिलों को प्राथमिकता के आधार पर साक्षर करने की तैयारी शिक्षा विभाग की है.

रांचीः किसी भी राज्य या देश के विकास में शिक्षा का अहम योगदान है. यही वजह है कि शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने के लिए सतत प्रयास होते रहे हैं. नई शिक्षा नीति को उदाहरण के तौर पर हम देख सकते हैं. अगर झारखंड की करें तो राज्य गठन से पहले और बाद में साक्षरता अभियान चलता रहा, जिसके तहत लोगों के बीच शिक्षा की लौ जलाने की कोशिश होती रही. मगर जिस तेजी से इसके परिणाम आने चाहिए थे, वो देखने को नहीं (Know level of education in Jharkhand in 22 years) मिला.

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समय के साथ बदल रहे शैक्षणिक माहौल के आगे कहीं ना कहीं सरकार द्वारा प्रदत्त व्यवस्थाएं स्कूल कॉलेजों में खानापूर्ति बनकर अपने मूल उद्देश्य से भटकता चला गया. यही वजह है कि निजी विद्यालयों का झारखंड में तेजी से प्रचलन शुरू हुआ, जिसके आगे सरकारी विद्यालय आज भी अस्तित्व बचाकर रखने के लिए संघर्ष कर रही है. आज भी इन सरकारी स्कूलों से बड़ी संख्या में बच्चों का ड्रॉप आउट (condition of education in jharkhand) होता है, जो सरकार के लिए इन्हें रोकना बड़ी चुनौती है.

क्या कहते हैं आंकड़ेः झारखंड शिक्षा विभाग (Jharkhand Education Department) के आंकड़ों के अनुसार राज्य स्थापना वर्ष यानी 2000 में राज्य में 16022 सरकारी स्कूल थे. वहीं 2020 में इनकी संख्या दोगुनी से अधिक यानी 35442 हो गए. समय के साथ सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती चली गई. वर्ष 2000 में करीब 27 लाख झारखंड के बच्चे सरकारी स्कूलों में नामांकित थे, वहीं 2020 में इनकी संख्या 45 लाख पर पहुंच गई. राज्य गठन के बाद खुलने वाले स्कूलों पर नजर दौरायें तो 2009-10 में 300, 2010-11 में 285, 2011-12 में 294, 2013-14 में 121, 2016-17 में 189 सरकारी स्कूल खोले गए. इसके अलावा 203 कस्तूरबा स्कूल, 89 मॉडल स्कूल, 57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय खुले हैं. इसके साथ 576 हाई स्कूल को प्लस टू विद्यालय में अपडेट किया गया है.

2030 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्यः झारखंड में साक्षरता का दर की बात करें तो प्रदेश में महिला साक्षरता दर प्रतिशत पुरुषों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2001 में झारखंड की कुल साक्षरता दर 53.50 फीसदी थी जबकि पुरुषों का साक्षरता दर 67.3 प्रतिशत और महिलाओं का 38.8 था. वर्ष 2011 में झारखंड की कुल साक्षरता दर में 12.8 फीसदी की बढ़ती हुई, साक्षरता बढ़कर 66.4 फीसदी हो गयी. इस दौरान पुरुषों की साक्षरता में 9.50 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर में 16.50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2018 की बात करें तो राज्य की साक्षरता दर 73.20 से था जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 81 प्रतिशत और महिलाओं की 66.20 फीसदी थी.

वर्तमान समय में राज्य में साक्षरता दर 73 फीसदी अनुमानित है. केंद्र के आह्वान पर 2030 तक शत प्रतिशत साक्षरता का अलग निर्धारित किया गया है. जिसके तहत नव भारत साक्षर अभियान की शुरुआत की गई है, जिसमें 15 या उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों को साक्षर बनाया जाएगा. नव भारत साक्षर अभियान में महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई है. इसके साथ ही वैसे जिला जहां महिला साक्षरता दर 60 फ़ीसदी से कम है, उन जिलों को प्राथमिकता के आधार पर साक्षर करने की तैयारी शिक्षा विभाग की है.

Last Updated : Nov 4, 2022, 1:04 PM IST
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