रांची: कोरोना की पहली लहर के दौरान इम्यूनो बूस्टर रसगुल्ला बनाकर चर्चा में आने वाले रांची के कमल अग्रवाल इस बार सर्दी खांसी में लाभकारी और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चॉकलेट बना कर सुर्खियों में हैं. रांची के अलावा भी राज्य के कई शहरों में कमल अग्रवाल के बनाए हुए चॉकलेट पहुंच गये हैं, जिसे लोग बेहद पसंद कर रहे हैं.
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कैसे आया इम्यूनो बूस्टर चॉकलेट बनाने का आइडिया
झारखंड कैटरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि कोरोना की पहली लहर में उन्होंने इम्यूनो बूस्टर रसगुल्ला बनाया था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया, अब कोरोना की दूसरी लहर चल रही है, कई लोग गले में खरास से परेशान हैं. वहीं कोविड की तीसरी लहर की भी आने की चेतावनी है और इस लहर में सबसे अधिक बच्चों के प्रभावित होने की संभावना है, ज्यादातर बच्चे काढ़ा नहीं पीते हैं, क्योंकि काढ़ा बहुत कड़वा होता है, वैसे बच्चों को चॉकलेट काफी पसंद है और यह चॉकलेट इम्यूनो बूस्टर के रूप में काफी फायदेमंद है.
कोकोनट मिल्क की नेचुरल मिठास से भरी है चॉकलेट
कमल अग्रवाल ने बताया कि इम्यूनो बूस्टर चॉकलेट में काली मिर्च, हल्दी, मुलेठी, सोंठ, तुलसी पत्ती, आंवला पाउडर के अलावा काजू, बादाम और पिस्ता का भी उपयोग किया गया है, चॉकलेट बनाने में चीनी का उपयोग नहीं किया गया है, इसे कोकोनट मिल्क के साथ बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इस चॉकलेट को वैसे बुजुर्ग भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो डायबिटीज के मरीज हैं.
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क्या कहते हैं ग्राहक
इम्यूनो बूस्टर चॉकलेट का हर दिन इस्तेमाल करने वाले हर्ष बताते हैं कि वो पहले कमल अग्रवाल का रसगुल्ला इस्तेमाल करते थे, अब चॉकलेट इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने चॉकलेट की तारीफ करते हुए कहा कि इसका स्वाद अल्टीमेट है और इस चॉकलेट को बच्चे भी बड़े चाव से खाते हैं.