रांचीः झारखंड में अब आधिकारिक रूप से जोहार शब्द का उपयोग अभिवादन के लिए किया जाएगा. इस बाबत विभागीय पत्र जारी कर दिया गया है. सरकार के प्रधान सचिव द्वारा सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, प्रमंडलीय आयुक्त, विभागाध्यक्ष और सभी उपायुक्त को भेजे गए पत्र में विस्तार से निर्देश जारी किए गए हैं.
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विभागीय पत्र में झारखंड की पहचान जनजातीय बाहुल्य राज्य होने का कारण बताते हुए सरकारी कार्यक्रमों में जोहार शब्द का इस्तेमाल अभिवादन में करने को कहा गया है. सरकार के द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि झारखंड राज्य की संस्कृति में जोहार बोलकर अभिवादन किए जाने की परंपरा है, जो इस राज्य की विशिष्ट संस्कृति एवं समृद्ध परंपरा को प्रतिबिंबित करता है. राज्य सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों एवं सरकारी समारोहों में अभिवादन हेतु जोहार शब्द उपयोग करने का निर्णय लिया है.
अब सरकारी कार्यक्रम में नहीं होगा पुष्प गुच्छ से स्वागतः हेमंत सरकार के आने के बाद झारखंड में सरकारी कार्यक्रम में अतिथियों को पुष्पगुच्छ देने की परंपरा को खत्म करने की घोषणा की गई थी. इसकी शुरुआत सरकार के कई कार्यक्रमों के दौरान खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने करते हुए पदाधिकारियों से इसे अमल में लाने को कहा था. अब यह सरकारी रिकॉर्ड में आ चुका है और राज्य सरकार ने 25-7-2019 को जारी पत्रांक 946 को संशोधित करते हुए सभी प्रकार के राजकीय कार्यक्रमों या सरकारी समारोहों में गणमान्य अतिथियों के स्वागत के लिए पुष्पगुच्छ/ अकेला पुष्प का उपयोग नहीं करने का फैसला लिया गया है. पुष्पगुच्छ के स्थान पर सरकारी कार्यक्रमों में पौधा/ पुस्तक/ शॉल, मोमेंटो देकर स्वागत किया जा सकता है.
सरकार के इस निर्णय के पीछे का मकसद है कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ राज्य में बौद्धिक विकास हो. पौधा भेंट करने से इसी बहाने वृक्षारोपण को बल मिलेगा और लोगों में पेड़ पौधे लगाने के प्रति जागरुकता बढ़ेगी. इसी तरह से पुस्तक भेंट करने से बौद्धिक विकास के साथ-साथ लोग गौरवान्वित महसूस करेंगे. सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में सभी सरकारी कार्यक्रमों और समारोह में इसे देखने को मिलेगा. सरकार के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह के द्वारा जारी निर्देश में सभी विभागीय सचिव और उपायुक्तों को इन निर्देशों को दृढ़ता पूर्वक पालन करने को कहा गया है.