रांची: हिंदी पट्टी के तीन महत्वपूर्ण राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद INDIA गठबंधन दलों में कांग्रेस अकेले पड़ती दिख रही है. जदयू के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी कांग्रेस की तीन राज्यों में हार को सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की हार करार दिया है. झामुमो नेता ने कहा कि अगर लोकप्रिय नेता सीएम हेमंत सोरेन चुनावी सभाएं करते तो निश्चित रूप से परिणाम बेहतर होते.
एंटी इनकंबेंसी और सांगठनिक कमी की वजह से हुई हारः जेएमएम के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि किसी भी चुनाव हार की कई वजहें होती हैं. तीन राज्यों में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार हुई है. इसकी वजहें कांग्रेस की सांगठनिक तौर पर कुछ कमियां रही होंगी. उन्होंने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एंटी इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) भी रही होगी, लेकिन तीन प्रदेशों की विधानसभा चुनाव में हार सिर्फ कांग्रेस की हार है. अभी तक चुनावी मैदान में INDIA महागठबंधन नहीं उतरा है.
छत्तीसगढ़ और एमपी में हेमंत का चुनावी दौरा होता तो परिस्थितियां दूसरी होती-जेएमएम: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि अगर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में उनके नेता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुनावी सभाएं होती तो आज परिणाम दूसरा होता. उन्होंने कहा कि आज की तारीख में देश का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा उनके कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन हैं.
जीत के बाद छुप जाती हैं गलतियां, हार के बाद सही फैसले पर भी उठते हैं सवाल- कांग्रेस: तीन प्रदेशों में कांग्रेस की भाजपा के हाथों हुई करारी हार के बाद सहयोगी झामुमो के नेता मनोज पांडेय के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए JPCC के महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि किसके कहां जाकर चुनावी सभा करने का, क्या नतीजा होता यह अब काल्पनिक बातें हैं. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से पार्टी की तीन राज्यों में हार हुई है और जल्द ही इसकी समीक्षा भी होगी, ताकि अपनी गलतियों को सुधार कर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किया जा सके.
कांग्रेस ने सहयोगी दलों का नहीं लिया सहयोगः झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि अगर कांग्रेस की ओर से मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ या राजस्थान में चुनावी सभा करने का निमंत्रण मिलेगा तो हेमंत सोरेन जरूर वहां जाएंगे, लेकिन कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेस ने किसी भी सहयोगी दल के नेताओं का सहयोग नहीं लिया. अब झामुमो कांग्रेस की करारी हार पर कह रहा है कि अगर हेमंत सोरेन की चुनावी सभाएं होती तो छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के चुनावी नतीजे दूसरे होते.
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