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रांची: पूर्ववर्ती सरकार में रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले को लेकर JMM ने साधा BJP पर निशाना - JMM demands investigation on scam in RIMS

रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले के खुलासे के बाद अब जेएमएम ने भी राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं, जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रामचंद्र चंद्रवंशी पर भी निशाना साधा है.

RIMS
रिम्स
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Published : Jun 28, 2020, 9:01 PM IST

रांची: पिछले दिनों रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले के खुलासे के बाद अब जेएमएम ने भी राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेएमएम के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने अपने पत्र के माध्यम से बयान जारी करते हुए कहा है कि पिछले दिनों रिम्स के डेंटल कॉलेज में मात्र 3 उपकरणों की फोकस जांच की गई थी. जिसमें यह पाया गया कि दो लाख में मिलने वाली डेंटल चेयर को 14 लाख रुपये में खरीदा गया है. वहीं, 5 लाख रुपये में मिलने वाली एडवांस डेंटल चेयर को 42 लाख रुपये में खरीदा गया है. वहीं, तीसरे उपकरण मेडिकल वैन जिसकी कीमत 35 लाख रुपए आंकी गई है, उसे डेढ़ करोड़ से भी अधिक रुपये में खरीदा गया है.

LETTER
सुप्रियो भट्टाचार्य की चिट्ठी

ये भी पढ़ें: रांची: पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों का RJD ने किया विरोध, ट्रैक्टर खींचकर किया प्रदर्शन

जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रामचंद्र चंद्रवंशी पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों में रिम्स में ही नहीं बल्कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में लाखों करोड़ों की लूट हुई है. इसी लूट के पैसे से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने अपने नाम पर कई शैक्षणिक संस्थाओं की भव्य इमारतें बनवाई हैं. उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि विगत 5 वर्षों में डबल इंजन की सरकार डबल स्पीड से लाखों करोड़ों रुपए के गबन में व्यस्त रही. मात्र रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले में यदि इस प्रकार की लूट हुई है तो सहज ही समझा जा सकता है कि राज्य के सभी विभागों में तत्कालीन मुख्यमंत्री के संरक्षण में किस प्रकार की लूट मची होगी. सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि सभी तरह की लूट को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने लाया जाएगा और सभी तरह के भ्रष्टाचार की जांच करवाकर जिम्मेदार सभी व्यक्ति पर उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

क्या है मामला

बता दें कि रिम्स डेंटल कॉलेज में उपकरणों की 32 फीसदी अधिक मूल्य पर खरीदारी की गयी. इससे करीब 28 से 30 करोड़ का नुकसान हुआ. एजी की रिपोर्ट की मानें, तो 2014-15 से 2018-19 की अवधि में 196.88 करोड़ रुपये में डेंटल कॉलेज के लिए उपकरण की खरीद की गयी. डेंटल कॉलेज के लिए पांच करोड़ का बजट रिम्स शासी परिषद से स्वीकृत था, लेकिन बजट से कई गुना ज्यादा का सामान खरीदा गया. दोबारा फंड स्वीकृत करा कर मशीन की खरीदारी की गयी. जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को नुकसान हुआ है. निविदाओं के मूल्यांकन नियमों में बदलाव किया गया. वहीं, उपकरणों की कीमतों में वृद्धि की गयी. डीसीआइ द्वारा निर्धारित मापदंड के हिसाब से कॉलेज में 120 उपकरणों की खरीदारी होनी थी, लेकिन 2.09 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर 120 के बदले 351 उपकरण खरीदे गये.

बेसिक और एडवांस डेंटल चेयर की खरीद में 22 करोड़ का नुकसान

एजी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, डेंटल कॉलेज के लिए 110 बेसिक डेंटल चेयर की खरीदारी की गयी. इसका बाजार मूल्य एक से पांच लाख रुपये के बीच है. जबकि प्रति बेसिक डेंटल चेयर 14.28 लाख रुपये की दर से खरीदी गयी. इससे कुल 15.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसी तरह एडवांस डेंटल चेयर, जिसकी कीमत पांच लाख रुपये है, उसे प्रति चेयर 48 लाख रुपये में खरीदा गया. इस कारण सरकार को 6.45 करोड़ का नुकसान हुआ. इस तरह डेंटल चेयर की खरीद में कुल 22 करोड़ का नुकसान हुआ. वहीं, अधिक मूल्य पर खरीदे गये बेसिक डेंटल चेयर व एडवांस डेंटल चेयर एजी टीम के निरीक्षण के दौरान बेकार पड़े मिले.

रांची: पिछले दिनों रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले के खुलासे के बाद अब जेएमएम ने भी राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेएमएम के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने अपने पत्र के माध्यम से बयान जारी करते हुए कहा है कि पिछले दिनों रिम्स के डेंटल कॉलेज में मात्र 3 उपकरणों की फोकस जांच की गई थी. जिसमें यह पाया गया कि दो लाख में मिलने वाली डेंटल चेयर को 14 लाख रुपये में खरीदा गया है. वहीं, 5 लाख रुपये में मिलने वाली एडवांस डेंटल चेयर को 42 लाख रुपये में खरीदा गया है. वहीं, तीसरे उपकरण मेडिकल वैन जिसकी कीमत 35 लाख रुपए आंकी गई है, उसे डेढ़ करोड़ से भी अधिक रुपये में खरीदा गया है.

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सुप्रियो भट्टाचार्य की चिट्ठी

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जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रामचंद्र चंद्रवंशी पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों में रिम्स में ही नहीं बल्कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में लाखों करोड़ों की लूट हुई है. इसी लूट के पैसे से तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने अपने नाम पर कई शैक्षणिक संस्थाओं की भव्य इमारतें बनवाई हैं. उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि विगत 5 वर्षों में डबल इंजन की सरकार डबल स्पीड से लाखों करोड़ों रुपए के गबन में व्यस्त रही. मात्र रिम्स के डेंटल विभाग में हुए घोटाले में यदि इस प्रकार की लूट हुई है तो सहज ही समझा जा सकता है कि राज्य के सभी विभागों में तत्कालीन मुख्यमंत्री के संरक्षण में किस प्रकार की लूट मची होगी. सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि सभी तरह की लूट को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने लाया जाएगा और सभी तरह के भ्रष्टाचार की जांच करवाकर जिम्मेदार सभी व्यक्ति पर उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

क्या है मामला

बता दें कि रिम्स डेंटल कॉलेज में उपकरणों की 32 फीसदी अधिक मूल्य पर खरीदारी की गयी. इससे करीब 28 से 30 करोड़ का नुकसान हुआ. एजी की रिपोर्ट की मानें, तो 2014-15 से 2018-19 की अवधि में 196.88 करोड़ रुपये में डेंटल कॉलेज के लिए उपकरण की खरीद की गयी. डेंटल कॉलेज के लिए पांच करोड़ का बजट रिम्स शासी परिषद से स्वीकृत था, लेकिन बजट से कई गुना ज्यादा का सामान खरीदा गया. दोबारा फंड स्वीकृत करा कर मशीन की खरीदारी की गयी. जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को नुकसान हुआ है. निविदाओं के मूल्यांकन नियमों में बदलाव किया गया. वहीं, उपकरणों की कीमतों में वृद्धि की गयी. डीसीआइ द्वारा निर्धारित मापदंड के हिसाब से कॉलेज में 120 उपकरणों की खरीदारी होनी थी, लेकिन 2.09 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर 120 के बदले 351 उपकरण खरीदे गये.

बेसिक और एडवांस डेंटल चेयर की खरीद में 22 करोड़ का नुकसान

एजी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, डेंटल कॉलेज के लिए 110 बेसिक डेंटल चेयर की खरीदारी की गयी. इसका बाजार मूल्य एक से पांच लाख रुपये के बीच है. जबकि प्रति बेसिक डेंटल चेयर 14.28 लाख रुपये की दर से खरीदी गयी. इससे कुल 15.55 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसी तरह एडवांस डेंटल चेयर, जिसकी कीमत पांच लाख रुपये है, उसे प्रति चेयर 48 लाख रुपये में खरीदा गया. इस कारण सरकार को 6.45 करोड़ का नुकसान हुआ. इस तरह डेंटल चेयर की खरीद में कुल 22 करोड़ का नुकसान हुआ. वहीं, अधिक मूल्य पर खरीदे गये बेसिक डेंटल चेयर व एडवांस डेंटल चेयर एजी टीम के निरीक्षण के दौरान बेकार पड़े मिले.

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