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झामुमो का आरोप: भाजपा के इशारे पर संवैधानिक प्रक्रिया पूरा किए बिना राजभवन ने लौटाए तीन विधेयक, संदेशों के साथ विधानसभा सचिवालय भेजने की मांग

जेएमएम ने आरोप लगाया है कि भाजपा के इशारे पर संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा किये बिना राजभवन ने तीन महत्वपूर्ण विधेयक लौटाया है. विधानसभा सचिवालय को अपने संदेश के साथ विधेयक लौटाने का आग्रह किया है.

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Published : Jul 28, 2023, 10:16 PM IST

JMM allegation on Raj Bhavan
JMM allegation on Raj Bhavan

रांची: झारखंड विधानसभा से पारित और राजभवन से लौटा दिए गए तीन विधेयक को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा आरोप तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस और राजभवन सचिवालय पर लगाया है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने तत्कालीन राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा के इशारे पर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

ये भी पढ़ें- विधानसभा के पटल पर हिन्दी में सरकार रखेगी विधेयक, जानिए इसके पीछे का राज, क्या यह संवैधानिक रुप से है सही


सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि विधानसभा से पारित विधेयक जब सहमति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है. राज्यपाल की कोई असहमति होती है तो उस विधेयक को राज्यपाल को अपने संदेश के साथ विधानसभा को लौटाना होता है. झामुमो नेता ने आरोप लगाया कि तत्कालीन राज्यपाल ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, मॉब लिंचिंग निरोधक विधेयक और ओबीसी को 27% आरक्षण देने संबंधित विधेयक को भाजपा के इशारे पर अपने संदेश के साथ विधानसभा को नहीं लौटाया.

राजभवन ने झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग को इसकी जानकारी दी जो झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्यसंचालन नियमावली के नियम 98-1 का उल्लंघन है. झामुमो नेता ने कहा कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 का भी उल्लंघन है. झामुमो नेता ने कहा कि किसी भी राज्यपाल का किसी पार्टी विशेष से लगाव हो सकता है जैसा कि पूर्व और वर्तमान राज्यपाल का भाजपा से है. लेकिन संवैधानिक पद पर बैठने के बाद संवैधानिक मूल्य सबसे बड़ी हो जाती है.

ये भी पढ़ें- राजभवन ने जैन यूनिवर्सिटी बिल लौटाया तो दुर्गा सोरेन यूनिवर्सिटी को क्यों दी मंजूरी, झारखंड में क्यों आई है निजी विवि की बाढ़? जांच में कहां है पेंच

अपने संदेश के साथ विधानसभा भेजें महामहिम: वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा CNT संशोधन संबंधी विधानसभा से पारित विधेयक को राजभवन से लौटाने वाला पत्र जारी करते हुए झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने विधानसभा सचिवालय को जो पत्र भेजा है. उनमें उन्होंने अपना संदेश भी दिया है कि क्यों इसे वह वापस लौटा रहीं हैं. लेकिन राज्यपाल रमेश बैस ने विधानसभा से पारित तीन महत्वपूर्ण विधेयक को लौटा तो दिए पर इसकी सूचना कार्मिक को दी न कि विधानसभा सचिवालय को, जबकि नियम कहता है कि विधानसभा के पटल पर आ जाने के बाद विधेयक विधानसभा की संपत्ति हो जाती है.

सुप्रियो भट्टाचार्या ने राज्यपाल से अपील की है कि वह तत्काल अपने संदेश के साथ 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, ओबीसी को 27% आरक्षण विधेयक और मॉब लिंचिंग को रोकने से संबंधित विधेयक विधानसभा सचिवालय अपने संदेश के साथ भेजें ताकि उसे फिर से पारित कराकर राजभवन भेजा जा सके. झामुमो नेता ने कहा कि सरकार की इच्छा तीनों विधेयक को फिर से विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजने की है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब राजभवन लौटाए गए विधेयक को विधानसभा सचिवालय अपने संदेश के साथ भेजे. झामुमो नेता के अनुसार राजभवन ने विधेयकों को विधानसभा सचिवालय की जगह कार्मिक विभाग को लौटाया है जो नियमतः सही नहीं है.

रांची: झारखंड विधानसभा से पारित और राजभवन से लौटा दिए गए तीन विधेयक को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा आरोप तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस और राजभवन सचिवालय पर लगाया है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने तत्कालीन राज्यपाल पर आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा के इशारे पर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

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सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि विधानसभा से पारित विधेयक जब सहमति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है. राज्यपाल की कोई असहमति होती है तो उस विधेयक को राज्यपाल को अपने संदेश के साथ विधानसभा को लौटाना होता है. झामुमो नेता ने आरोप लगाया कि तत्कालीन राज्यपाल ने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, मॉब लिंचिंग निरोधक विधेयक और ओबीसी को 27% आरक्षण देने संबंधित विधेयक को भाजपा के इशारे पर अपने संदेश के साथ विधानसभा को नहीं लौटाया.

राजभवन ने झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग को इसकी जानकारी दी जो झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्यसंचालन नियमावली के नियम 98-1 का उल्लंघन है. झामुमो नेता ने कहा कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 का भी उल्लंघन है. झामुमो नेता ने कहा कि किसी भी राज्यपाल का किसी पार्टी विशेष से लगाव हो सकता है जैसा कि पूर्व और वर्तमान राज्यपाल का भाजपा से है. लेकिन संवैधानिक पद पर बैठने के बाद संवैधानिक मूल्य सबसे बड़ी हो जाती है.

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अपने संदेश के साथ विधानसभा भेजें महामहिम: वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा CNT संशोधन संबंधी विधानसभा से पारित विधेयक को राजभवन से लौटाने वाला पत्र जारी करते हुए झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने विधानसभा सचिवालय को जो पत्र भेजा है. उनमें उन्होंने अपना संदेश भी दिया है कि क्यों इसे वह वापस लौटा रहीं हैं. लेकिन राज्यपाल रमेश बैस ने विधानसभा से पारित तीन महत्वपूर्ण विधेयक को लौटा तो दिए पर इसकी सूचना कार्मिक को दी न कि विधानसभा सचिवालय को, जबकि नियम कहता है कि विधानसभा के पटल पर आ जाने के बाद विधेयक विधानसभा की संपत्ति हो जाती है.

सुप्रियो भट्टाचार्या ने राज्यपाल से अपील की है कि वह तत्काल अपने संदेश के साथ 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक, ओबीसी को 27% आरक्षण विधेयक और मॉब लिंचिंग को रोकने से संबंधित विधेयक विधानसभा सचिवालय अपने संदेश के साथ भेजें ताकि उसे फिर से पारित कराकर राजभवन भेजा जा सके. झामुमो नेता ने कहा कि सरकार की इच्छा तीनों विधेयक को फिर से विधानसभा से पारित कराकर राजभवन भेजने की है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब राजभवन लौटाए गए विधेयक को विधानसभा सचिवालय अपने संदेश के साथ भेजे. झामुमो नेता के अनुसार राजभवन ने विधेयकों को विधानसभा सचिवालय की जगह कार्मिक विभाग को लौटाया है जो नियमतः सही नहीं है.

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