रांची: अपनी मांगों के समर्थन में झारखंड राज्य आजीविका कैडर संघ राजभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं (Jharkhand State Livelihood Cadre Association Strike). बुधवार को 24वें दिन आजीविका कैडर संघ का आंदोलन जारी रहा. धरना पर बैठे आंदोलनकारियों ने इस दौरान सरकार और जेएसएलपीएस के वरीय पदाधिकारी के विरोध में जमकर नारेबाजी की.
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मौके पर आंदोलनकारी सुरेश कुमार सिंह ने कहा कि आज 24 दिन से राज्यभर के पीआरपी और बीएपी सामूहिक अवकाश पर हैं. इसके बाबजूद सरकार की ओर से कोई सुध नहीं ली जा रही है. आज पूरे प्रदेश में महिला क्षमता वर्धन हेतु प्रशिक्षण, नए सखी मंडल का गठन, ग्राम गरीबी उन्मूलन परियोजना के तहत ग्रामीणों का योजना निर्माण, महिला संगठन का अंकेक्षण, आधार सीडिंग और बैंक लिंकेज आदि महत्वपूर्ण कार्य करने का काम, यही पीआरपी और बीएपी के लोग करते आ रहे हैं, लेकिन इन्हें जो कुछ भी दैनिक भत्ता दिया जाता है, वह व्यक्तिगत खाता से हटाकर एक साजिश के तहत थर्ड पार्टी पेंमेंट के रूप में दिया जाता है.
मांगें मानी जाने तक आंदोलन रहेगा जारी: आजीविका कैडर संघ ने मांगे पूरी होने तक आंदोलन (Livelihood Cadre Association Strike in Ranchi) जारी रखने का फैसला लिया है. धरना पर बैठी रांची की करुणा का मानना है कि राज्य भर में करीब 1200 पीआरपी और बीएपी हैं, जिसमें 800 महिलाएं हैं, जिसमें विधवा एवं अन्य अत्यंत गरीब एकल परिवार के लोग हैं. सरकार द्वारा प्रतिदिन इन्हें 500 रुपया दिया जाता है, जो आज की तारीख में बहुत ही कम है. ऐसे में सरकार के द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जाने के बावजूद भी दैनिक भत्ता में वृद्धि नहीं की गई और ऊपर से जो एचआर पॉलिसी पहले से निर्धारित थी, उसे बदलने का काम किया गया. ऐसे में राज्य भर के करीब 1200 पीआरपी और बीएपी का भविष्य अंधेरे में है. संघ का कहना है कि यह प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांग पूरा ना हो जाए.
आश्वासन के बाद भी कार्रवाई नहीं: संघ ने कहा कि वरीय पदाधिकारी द्वारा संघ को केवल आज तक आश्वासन मिलता आ रहा है. पिछले अगस्त माह में रांची में विरोध प्रदर्शन के दौरान विभाग द्वारा पत्र जारी कर 1 माह का समय सीमा देते हुए मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया गया, जिसमें कार्यशाला का आयोजन भी किया गया. कार्यशाला में लिए गये निर्णय के संबंध में संघ के प्रतिनिधि द्वारा कई बार पत्र भी लिखा गया, लेकिन अब तक आगे की कारवाई नहीं हुई.
क्या हैं मांगें: कैडर संघ के प्रदेश सचिव मुस्तकीम रज्जा ने कहा 2014 से लेकर आज तक जेएसएलपीएस में ग्राम स्तर पर गरीब महिलाओं के साथ जुड़कर छोटे-छोटे संगठन और बड़े संगठन का निर्माण कर उन्हें संगठित कर प्रशिक्षण देकर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आदि हरेक दृष्टिकोण से सशक्त करने का कार्य करते आ रहे हैं. साथ ही केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को धरातल में उतारने का कार्य करते आ रहे हैं. हमारे पॉलिसी के अनुसार हमारा वेतन व्यक्तिगत खाते पर भुगतान करना है. बीमा सेवा का लाभ आदि मिलना चाहिए था, मगर हमलोगों को इससे वंचित रखा गया है. साल 2020 से अचानक सिस्टम में बदलाव किया गया और प्रत्येक कर्मियों का मासिक वेतन में 2000 कटौती करते हुए महिला संगठन के माध्यम से मानदेय भुगतान किया जा रहा है. इस प्रक्रिया के तहत हमें वेतन मिलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. संघ ने पॉलिसी के अनुसार पूर्व की भांति वेतन व्यक्तिगत खाते में भुगतान करने, महंगाई भत्ता के अनुसार वेतन में वृद्धि, एक निश्चित समय पर वेतन तथा एचआर पॉलिसी से सभी को जोड़ने की मांग की है.