ETV Bharat / state

Jharkhand Right to Education: कागज में सिमटा 'शिक्षा का अधिकार' कानून, आरक्षण के बाद भी नहीं मिल रहा वंचितों को लाभ

शिक्षा का अधिकार के तहत गरीब और वंचित विद्यार्थियों के लिए निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत सीट रिजर्व है. इसके बाद इसका लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है.

Jharkhand Right to Education
कागज में सिमटा 'शिक्षा का अधिकार' कानून
author img

By

Published : Aug 17, 2023, 2:13 PM IST

देखें पूरी खबर

रांची: राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून कागज पर सिमट कर रह गया है. हालात ऐसे हैं कि हर वर्ष निजी विद्यालयों में आरटीई कोटे के अंतर्गत निर्धारित सीटों पर नामांकन में बड़े पैमाने पर गोलमाल होता है. इस बार शिक्षा विभाग की सख्ती की वजह से परिस्थितियां थोड़ी बदली जरूर हैं. अब इसके साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं.

ये भी पढ़ें: हजारीबागः निजी स्कूलों में RTE की अनदेखी, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा 25% आरक्षण का लाभ

इस बार कोटे के लिए निर्धारित सीटों पर नामांकन ही नहीं हो पाए हैं. ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि आखिरकार वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में नामांकन क्यों नहीं ले पा रहे हैं.

पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने क्या कहा: झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार राय का मानना है कि शिक्षा विभाग और निजी स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चे नामांकन से ही वंचित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ऐसे सभी स्कूलों के नाम को सार्वजनिक करे झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन उन विद्यालयों के सामने कैंप लगाकर नामांकन कराने का काम करेगा.

मामले में शिक्षाविद मोहन सिंह ने क्या कहा: आरटीई के तहत निजी स्कूलों में अभिवंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन नहीं होने के पीछे की वजह बताते हुए जाने-माने शिक्षाविद मोहन सिंह कहते हैं कि इसके पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण हैं. जिसके कारण निजी स्कूल में नामांकन के बाद आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक बस फी के साथ-साथ अन्य सुविधा मुहैया कराने में विफल हो जाते हैं.

इसके अलावा प्रमुख कारण यह भी है कि राज्य सरकार के द्वारा सरकारी विद्यालयों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन भत्ता और पोषाहार जैसी योजना के लाभ से वंचित होने की एक वजह है. इस कारण से अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ना उचित समझते हैं.

आकड़ों से समझिए पूरी प्रक्रिया और नियम:

  1. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत अभिवंचित समूह एवं कमजोर वर्ग को निजी विद्यालय में प्रवेश कक्षा के 25% स्थानों पर नामांकन का है प्रावधान
  2. अभिवंचित समूह-अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग,अल्पसंख्यक समुदाय, 40% से अधिक निशक्त बच्चे एवं अनाथ बच्चे, वैसे परिवार जिनकी सभी स्रोतों से वार्षिक आय 72000 से कम हो के कमजोर वर्ग के बच्चे इसके तहत नामांकित हो सकते हैं.
  3. निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) ग के तहत निजी स्कूलों के प्रवेश कक्षा में 25% सीटें हैं आरक्षित
  4. आरटीई के तहत उन बच्चों का नामांकन होगा जो उस निजी स्कूल के अधिकतम 5 किलोमीटर के अंदर रहते हों.
  5. रांची सहित राज्य के अधिकांश जिलों में आरटीई के तहत अभिवंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए निर्धारित कोटा में 60% में नामांकन नहीं हो सका है.
  6. राजधानी रांची के 52 निजी स्कूलों में अधिकांश सीटें हैं खाली, जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने सूचना सार्वजनिक कर अभिभावक से बच्चों का नामांकन करने का किया है अपील.

बोकारो मॉडल पर मिलेगा नामांकन: शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालय के नर्सरी/ एलकेजी में अभिवंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत सीटों पर नामांकन नहीं होने की बात को शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने स्वीकार की है. शिक्षा सचिव ने कहा कि कुछ जिलों में इस कोटे में नामांकन नहीं होने की शिकायतें आ रही हैं. जिसे दूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने बोकारो मॉडल पर पूरे राज्य भर में ऑनलाइन आरटीई के तहत निर्धारित कोटे पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. अगले शैक्षणिक सत्र से इसकी शुरुआत कर दी जाएगी. जिसके तहत ऑनलाइन स्कूल एवं नामांकन की स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकेगी.

बच्चे कर रहे नामांकन का इंतजार: गौरतलब है कि एक तरफ निजी विद्यालयों में बच्चों के नामांकन के लिए मारामारी है. वहीं दूसरी ओर आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर नामांकन के लिए बच्चे नहीं मिल रहे हैं. शैक्षणिक सत्र के पांच महीने बीतने को हैं, इसके बाबजूद शिक्षा विभाग इन आरक्षित सीटों पर बच्चों के नामांकन का इंतजार कर रहा है.

देखें पूरी खबर

रांची: राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून कागज पर सिमट कर रह गया है. हालात ऐसे हैं कि हर वर्ष निजी विद्यालयों में आरटीई कोटे के अंतर्गत निर्धारित सीटों पर नामांकन में बड़े पैमाने पर गोलमाल होता है. इस बार शिक्षा विभाग की सख्ती की वजह से परिस्थितियां थोड़ी बदली जरूर हैं. अब इसके साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं.

ये भी पढ़ें: हजारीबागः निजी स्कूलों में RTE की अनदेखी, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा 25% आरक्षण का लाभ

इस बार कोटे के लिए निर्धारित सीटों पर नामांकन ही नहीं हो पाए हैं. ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि आखिरकार वंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चे निजी स्कूलों में नामांकन क्यों नहीं ले पा रहे हैं.

पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ने क्या कहा: झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार राय का मानना है कि शिक्षा विभाग और निजी स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चे नामांकन से ही वंचित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ऐसे सभी स्कूलों के नाम को सार्वजनिक करे झारखंड पेरेंट्स एसोसिएशन उन विद्यालयों के सामने कैंप लगाकर नामांकन कराने का काम करेगा.

मामले में शिक्षाविद मोहन सिंह ने क्या कहा: आरटीई के तहत निजी स्कूलों में अभिवंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन नहीं होने के पीछे की वजह बताते हुए जाने-माने शिक्षाविद मोहन सिंह कहते हैं कि इसके पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण हैं. जिसके कारण निजी स्कूल में नामांकन के बाद आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक बस फी के साथ-साथ अन्य सुविधा मुहैया कराने में विफल हो जाते हैं.

इसके अलावा प्रमुख कारण यह भी है कि राज्य सरकार के द्वारा सरकारी विद्यालयों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, प्रोत्साहन भत्ता और पोषाहार जैसी योजना के लाभ से वंचित होने की एक वजह है. इस कारण से अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में ही पढ़ना उचित समझते हैं.

आकड़ों से समझिए पूरी प्रक्रिया और नियम:

  1. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत अभिवंचित समूह एवं कमजोर वर्ग को निजी विद्यालय में प्रवेश कक्षा के 25% स्थानों पर नामांकन का है प्रावधान
  2. अभिवंचित समूह-अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग,अल्पसंख्यक समुदाय, 40% से अधिक निशक्त बच्चे एवं अनाथ बच्चे, वैसे परिवार जिनकी सभी स्रोतों से वार्षिक आय 72000 से कम हो के कमजोर वर्ग के बच्चे इसके तहत नामांकित हो सकते हैं.
  3. निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) ग के तहत निजी स्कूलों के प्रवेश कक्षा में 25% सीटें हैं आरक्षित
  4. आरटीई के तहत उन बच्चों का नामांकन होगा जो उस निजी स्कूल के अधिकतम 5 किलोमीटर के अंदर रहते हों.
  5. रांची सहित राज्य के अधिकांश जिलों में आरटीई के तहत अभिवंचित समूह और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए निर्धारित कोटा में 60% में नामांकन नहीं हो सका है.
  6. राजधानी रांची के 52 निजी स्कूलों में अधिकांश सीटें हैं खाली, जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने सूचना सार्वजनिक कर अभिभावक से बच्चों का नामांकन करने का किया है अपील.

बोकारो मॉडल पर मिलेगा नामांकन: शिक्षा के अधिकार के तहत निजी विद्यालय के नर्सरी/ एलकेजी में अभिवंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत सीटों पर नामांकन नहीं होने की बात को शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने स्वीकार की है. शिक्षा सचिव ने कहा कि कुछ जिलों में इस कोटे में नामांकन नहीं होने की शिकायतें आ रही हैं. जिसे दूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने बोकारो मॉडल पर पूरे राज्य भर में ऑनलाइन आरटीई के तहत निर्धारित कोटे पर नामांकन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है. अगले शैक्षणिक सत्र से इसकी शुरुआत कर दी जाएगी. जिसके तहत ऑनलाइन स्कूल एवं नामांकन की स्थिति के बारे में लोगों को जानकारी मिल सकेगी.

बच्चे कर रहे नामांकन का इंतजार: गौरतलब है कि एक तरफ निजी विद्यालयों में बच्चों के नामांकन के लिए मारामारी है. वहीं दूसरी ओर आरटीई के तहत आरक्षित 25 प्रतिशत सीटों पर नामांकन के लिए बच्चे नहीं मिल रहे हैं. शैक्षणिक सत्र के पांच महीने बीतने को हैं, इसके बाबजूद शिक्षा विभाग इन आरक्षित सीटों पर बच्चों के नामांकन का इंतजार कर रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.