ETV Bharat / state

विधायक सरयू राय और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के बीच जारी खींचतान के पीछे की आखिर क्या है वजह ? क्या कहते हैं जानकार

झारखंड की राजनीति में सरयू बनाम बन्ना गुप्ता के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मामला सरगर्म है. इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की पैनी नजर है. इसमें झारखंड के अफसर और तस्वीर की भूमिका को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. पेश है पूरी रिपोर्ट

FIGHT BETWEEN SARYU AND BANNNA
झारखंड की राजनीति
author img

By

Published : Apr 25, 2022, 8:08 PM IST

Updated : Apr 25, 2022, 9:48 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति में सरयू बनाम बन्ना गुप्ता के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मामला सरगर्म है. कभी करीबी रहे दोनों नेताओं के बीच खींचतान पर राजनीतिक विश्लेषक नजर रखे हुए हैं. साथ ही दोनों करीबियों के बीच गांठ पड़ने, उनके बीच खिंची तलवार और दिलों के बीच दीवार की विश्लेषक अलग-अलग वजह बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें-स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और सरयू राय विवाद पर बोले मंत्री आलमगीर आलम, बिना तथ्य आरोप लगाने से छवि को नुकसान

झारखंड की राजनीति में निर्दलीय विधायक होते हुए भी सरयू राय का कद बहुत बड़ा है. सदन से लेकर सड़क तक भ्रष्टाचार के मुद्दों को तथ्यों के साथ उजागर करना इनकी पहचान रही है. चारा घोटाले को उजागर करने वालों में से एक सरयू राय भी थे. कम शब्दों में ज्यादा प्रभाव डालने की काबिलियत रखने वाले सरयू राय ने झारखंड की राजनीति को साल 2019 के विधानसभा चुनाव के समय एक नई पहचान दी थी. उनका तत्कालीन सीएम और भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी रघुवर दास के साथ का टकराव खूब सुर्खियों में रहा था. नतीजा यह रहा कि वह रघुवर दास जैसे कद्दावर नेता से उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र यानी पूर्वी जमशेदपुर में जा टकराए. इसका व्यापक असर भी हुआ. झारखंड की राजनीति की हवा बदल गई. ईमानदारी बनाम अहंकार की चर्चा होने लगी. नतीजतन न सिर्फ रघुवर दास अपनी सीट गंवा बैठे बल्कि लोगों ने भाजपा को भी नकार दिया.

इधर जेएमएम लीडर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भी सरयू राय का रघुवर दास पर हमला जारी रहा. स्थापना दिवस के मौके पर टॉफी, टी-शर्ट घोटाला या मेनहर्ट घोटाले को वह उठाते रहे. लेकिन रघुवर दास ने कभी भी पर्सनल होकर उन्हें जवाब नहीं दिया. वक्त के साथ दोनों नेताओं के बीच की तल्खी को मीडिया ने भी तवज्जों देना कम कर दिया. लेकिन फिर से विवादों का नया राजनीतिक चेप्टर खुल गया है. इस बार सरयू राय के सामने हैं सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता. 2019 के चुनाव में सरयू राय के पूर्वी जमशेदपुर चले जाने से बन्ना गुप्ता की जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर जीत पहले ही सुनिश्चित हो गई थी. तब दोनों नेताओं में अच्छी साठगांठ थी. अब इस साठगांठ में ऐसी गांठ पड़ गई है जो खुलने का नाम नहीं ले रही है.

अफसर ने खड़ी कर दी दीवारः विवाद शुरू हुआ जमशेदपुर के सिविल सर्जन अरविंद कुमार की बर्खास्तगी को लेकर. सरयू राय का आरोप था कि चिकित्सा प्रभारी रहते हुए अरविंद कुमार ने साल 2005 में बिहार के झंझारपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बात सदन में उठी, तब सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर अरविंद कुमार को बचाने का आरोप लगाया. हालांकि, बाद में अरविंद कुमार बर्खास्त कर दिए गए. यह बन्ना गुप्ता की बड़ी हार थी क्योंकि दोंनो करीबी थे. बन्ना गुप्ता ने भी समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस बर्खास्तगी के बाद सबकुछ सामान्य हो गया. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि सरयू राय और बन्ना गुप्ता में ठन गई.

तस्वीर के पीछे की कहानीः जानकार बताते हैं कि सत्ता में शामिल कांग्रेस के पारसनाथ में हुए मंथन शिविर के दौरान बन्ना गुप्ता ने कहा था कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की वजह से कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो रहा है. इसके बाद खुद कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बन्ना गुप्ता को अयोग्य बताकर घेरा. तब लगा कि सीएम की नाराजगी की गाज बन्ना के मंत्री पद पर गिरनी तय है. इसी बीच बन्ना गुप्ता ने सरयू राय की घोर विरोधी रघुवर दास के साथ गले मिलते एक तस्वीर जारी कर दी, जिसने किसी न किसी रूप में सरयू राय को आहत कर दिया.

यह भी है कारणः जानकार कहते हैं कि यह भी एक कारण था कि सरयू राय ने बन्ना गुप्ता को चित करने के लिए एक के बाद एक कई निशाने साध डाले. फर्क यह रहा कि बन्ना गुप्ता रघुवर दास जैसे नहीं निकले. कोविड प्रोत्साहन राशि की अवैध निकासी मामले के आरोप को कोर्ट लेकर चले गए. अब कुछ दिन में साफ हो जाएगा कि सरयू राय के आरोपों में कितना दम था. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि इस ईमानदारी और बेईमानी की लड़ाई में कहीं न कहीं जमशेदपुर पश्चिमी विस सीट के प्रति सरयू राय का झुकाव भी हो सकता है. क्योंकि सरयू समझते हैं 2019 को दोबारा दोहराना आसान नहीं होगा. इसलिए संभव है कि अपनी परंपरागत सीट पर वापसी के लिए सरयू राय बन्ना गुप्ता को साधने में लगे हों.

रांची: झारखंड की राजनीति में सरयू बनाम बन्ना गुप्ता के बीच आरोप-प्रत्यारोप का मामला सरगर्म है. कभी करीबी रहे दोनों नेताओं के बीच खींचतान पर राजनीतिक विश्लेषक नजर रखे हुए हैं. साथ ही दोनों करीबियों के बीच गांठ पड़ने, उनके बीच खिंची तलवार और दिलों के बीच दीवार की विश्लेषक अलग-अलग वजह बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें-स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और सरयू राय विवाद पर बोले मंत्री आलमगीर आलम, बिना तथ्य आरोप लगाने से छवि को नुकसान

झारखंड की राजनीति में निर्दलीय विधायक होते हुए भी सरयू राय का कद बहुत बड़ा है. सदन से लेकर सड़क तक भ्रष्टाचार के मुद्दों को तथ्यों के साथ उजागर करना इनकी पहचान रही है. चारा घोटाले को उजागर करने वालों में से एक सरयू राय भी थे. कम शब्दों में ज्यादा प्रभाव डालने की काबिलियत रखने वाले सरयू राय ने झारखंड की राजनीति को साल 2019 के विधानसभा चुनाव के समय एक नई पहचान दी थी. उनका तत्कालीन सीएम और भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी रघुवर दास के साथ का टकराव खूब सुर्खियों में रहा था. नतीजा यह रहा कि वह रघुवर दास जैसे कद्दावर नेता से उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र यानी पूर्वी जमशेदपुर में जा टकराए. इसका व्यापक असर भी हुआ. झारखंड की राजनीति की हवा बदल गई. ईमानदारी बनाम अहंकार की चर्चा होने लगी. नतीजतन न सिर्फ रघुवर दास अपनी सीट गंवा बैठे बल्कि लोगों ने भाजपा को भी नकार दिया.

इधर जेएमएम लीडर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भी सरयू राय का रघुवर दास पर हमला जारी रहा. स्थापना दिवस के मौके पर टॉफी, टी-शर्ट घोटाला या मेनहर्ट घोटाले को वह उठाते रहे. लेकिन रघुवर दास ने कभी भी पर्सनल होकर उन्हें जवाब नहीं दिया. वक्त के साथ दोनों नेताओं के बीच की तल्खी को मीडिया ने भी तवज्जों देना कम कर दिया. लेकिन फिर से विवादों का नया राजनीतिक चेप्टर खुल गया है. इस बार सरयू राय के सामने हैं सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता. 2019 के चुनाव में सरयू राय के पूर्वी जमशेदपुर चले जाने से बन्ना गुप्ता की जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर जीत पहले ही सुनिश्चित हो गई थी. तब दोनों नेताओं में अच्छी साठगांठ थी. अब इस साठगांठ में ऐसी गांठ पड़ गई है जो खुलने का नाम नहीं ले रही है.

अफसर ने खड़ी कर दी दीवारः विवाद शुरू हुआ जमशेदपुर के सिविल सर्जन अरविंद कुमार की बर्खास्तगी को लेकर. सरयू राय का आरोप था कि चिकित्सा प्रभारी रहते हुए अरविंद कुमार ने साल 2005 में बिहार के झंझारपुर से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. बात सदन में उठी, तब सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता पर अरविंद कुमार को बचाने का आरोप लगाया. हालांकि, बाद में अरविंद कुमार बर्खास्त कर दिए गए. यह बन्ना गुप्ता की बड़ी हार थी क्योंकि दोंनो करीबी थे. बन्ना गुप्ता ने भी समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस बर्खास्तगी के बाद सबकुछ सामान्य हो गया. अब सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि सरयू राय और बन्ना गुप्ता में ठन गई.

तस्वीर के पीछे की कहानीः जानकार बताते हैं कि सत्ता में शामिल कांग्रेस के पारसनाथ में हुए मंथन शिविर के दौरान बन्ना गुप्ता ने कहा था कि खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की वजह से कांग्रेस का वोट बैंक प्रभावित हो रहा है. इसके बाद खुद कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बन्ना गुप्ता को अयोग्य बताकर घेरा. तब लगा कि सीएम की नाराजगी की गाज बन्ना के मंत्री पद पर गिरनी तय है. इसी बीच बन्ना गुप्ता ने सरयू राय की घोर विरोधी रघुवर दास के साथ गले मिलते एक तस्वीर जारी कर दी, जिसने किसी न किसी रूप में सरयू राय को आहत कर दिया.

यह भी है कारणः जानकार कहते हैं कि यह भी एक कारण था कि सरयू राय ने बन्ना गुप्ता को चित करने के लिए एक के बाद एक कई निशाने साध डाले. फर्क यह रहा कि बन्ना गुप्ता रघुवर दास जैसे नहीं निकले. कोविड प्रोत्साहन राशि की अवैध निकासी मामले के आरोप को कोर्ट लेकर चले गए. अब कुछ दिन में साफ हो जाएगा कि सरयू राय के आरोपों में कितना दम था. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि इस ईमानदारी और बेईमानी की लड़ाई में कहीं न कहीं जमशेदपुर पश्चिमी विस सीट के प्रति सरयू राय का झुकाव भी हो सकता है. क्योंकि सरयू समझते हैं 2019 को दोबारा दोहराना आसान नहीं होगा. इसलिए संभव है कि अपनी परंपरागत सीट पर वापसी के लिए सरयू राय बन्ना गुप्ता को साधने में लगे हों.

Last Updated : Apr 25, 2022, 9:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.