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लेटलतीफ मानसून की दगाबाजी, सुखाड़ की कगार पर झारखंड

देश के कुछ राज्यों में लोग जहां बाढ़ की मार झेल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ राज्यों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई है. झारखंड में अबतक औसत से कम बारिश हुई है. जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.

सुखाड़ की कगार पर झारखंड
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Published : Aug 2, 2019, 9:14 PM IST

रांची: राज्य में मानसून की दगाबाजी के बाद किसानों को अब अकाली का डर सताने लगा है. झारखंड में पिछले बार भी 9 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था. जिससे किसान काफी परेशान हुए थे.

देखें पूरी खबर

झारखंड सरकार ने 15 अगस्त तक का डेडलाइन रखा है, अगर इस बीच अच्छी बारिश नहीं होती है तो कुछ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाएगा, जबकि कुछ जिलों में धान रोपाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. राज्य में इस बार मानसून ने 15 दिन की देरी से प्रवेश किया है, जिसके कारण मानसून कमजोर पड़ गया.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड केंद्रीय छात्र मोर्चा के अध्यक्ष बने पूर्व विधायक अमित कुमार, शिबू सोरेन ने दिया निर्देश

राज्य में मानसून की देरी से पहुंचने का फसलों पर खासा असर दिख सकता है. प्रदेश में मानसून 20 जून को प्रवेश किया है. हाल के दिनों में बारिश तो हो रही है, लेकिन इतनी कम बारिश होने से फसलों को फायदा नहीं हो रहा है. राज्य में मानसून का जो स्थिति है वो किसानों के लिए निराशाजनक है.

झारखंड में 1 जून से 29 जुलाई के बीच में 61.1बारिश हुई है

  • पिछले वर्ष धान की रोपाई1 जून से 29 जुलाई के बीच 25% हुई थी, लेकिन इस बार मात्र 21% धान की रोपाई हो पायी है, यानी पूरी 4% की कमी देखने को मिल रही है.
  • पिछले वर्ष मक्का की बुआई 1 जून से 29 जुलाई के बीच 69% हुई थी, लेकिन इस बार 74% तक हुई है.
  • पिछले वर्ष दलहन फसल की बुआई 1 जून से 29 जुलाई के बीच 42% हुई थी, जो इस बार 50% हो गई है.

सबसे कम बारिश होने वाले जिले

  • खूंटी
  • गुमला
  • रामगढ़
  • बोकारो
  • दुमका

इन जिले में इस बार पिछले वर्ष की तुलना सबसे कम बारिश हुई है. जुलाई महीने की शुरुआती दिनों में बारिश ने किसानों के मन में एक आस जगाई थी. जिसके बाद किसानों ने खेतों में बिचड़ा का छिड़काव तो कर दिया, लेकिन रोपाई के समय मानसून ने किसानों के साथ पूरी तरह से दगा कर दिया है. जिसके कारण झारखंड में धान की रोपाई काफी पीछे हो गई है. हालांकि, अगस्त तक धान की रोपाई होती है.

प्रगतिशील किसान श्यामसुंदर बेदिया की माने तो 15 जुलाई तक धान की रोपाई पूरी हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस बार फिर से सुखाड़ की स्थिति हो जाएगी. श्यामसुंदर बेदिया ने सरकार इस विषय पर जल्दी विचार करने का अनुरोध किया है.

सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए स्थानीय विधायक जीतू चरण राम ने कहा कि सुखाड़ का आंकलन सेटेलाइट के जरिए किया जाता है. सेटेलाइट के जरिए ग्रीनरी एरिया को कैप्चर कर लिया जाता है, जिसके कारण लगता है कि खेती हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है.

विधायक जीतू चरण राम ने कहा कि इस बार राज्य के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से गुजारिश की गई है कि सूखा का आंकलन करने के लिए अधिकारी किसानों के खेत तक पहुंचे. तभी सुखाड़ का सही आंकलन हो पाएगा.

रांची: राज्य में मानसून की दगाबाजी के बाद किसानों को अब अकाली का डर सताने लगा है. झारखंड में पिछले बार भी 9 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था. जिससे किसान काफी परेशान हुए थे.

देखें पूरी खबर

झारखंड सरकार ने 15 अगस्त तक का डेडलाइन रखा है, अगर इस बीच अच्छी बारिश नहीं होती है तो कुछ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाएगा, जबकि कुछ जिलों में धान रोपाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. राज्य में इस बार मानसून ने 15 दिन की देरी से प्रवेश किया है, जिसके कारण मानसून कमजोर पड़ गया.

इसे भी पढ़ें:- झारखंड केंद्रीय छात्र मोर्चा के अध्यक्ष बने पूर्व विधायक अमित कुमार, शिबू सोरेन ने दिया निर्देश

राज्य में मानसून की देरी से पहुंचने का फसलों पर खासा असर दिख सकता है. प्रदेश में मानसून 20 जून को प्रवेश किया है. हाल के दिनों में बारिश तो हो रही है, लेकिन इतनी कम बारिश होने से फसलों को फायदा नहीं हो रहा है. राज्य में मानसून का जो स्थिति है वो किसानों के लिए निराशाजनक है.

झारखंड में 1 जून से 29 जुलाई के बीच में 61.1बारिश हुई है

  • पिछले वर्ष धान की रोपाई1 जून से 29 जुलाई के बीच 25% हुई थी, लेकिन इस बार मात्र 21% धान की रोपाई हो पायी है, यानी पूरी 4% की कमी देखने को मिल रही है.
  • पिछले वर्ष मक्का की बुआई 1 जून से 29 जुलाई के बीच 69% हुई थी, लेकिन इस बार 74% तक हुई है.
  • पिछले वर्ष दलहन फसल की बुआई 1 जून से 29 जुलाई के बीच 42% हुई थी, जो इस बार 50% हो गई है.

सबसे कम बारिश होने वाले जिले

  • खूंटी
  • गुमला
  • रामगढ़
  • बोकारो
  • दुमका

इन जिले में इस बार पिछले वर्ष की तुलना सबसे कम बारिश हुई है. जुलाई महीने की शुरुआती दिनों में बारिश ने किसानों के मन में एक आस जगाई थी. जिसके बाद किसानों ने खेतों में बिचड़ा का छिड़काव तो कर दिया, लेकिन रोपाई के समय मानसून ने किसानों के साथ पूरी तरह से दगा कर दिया है. जिसके कारण झारखंड में धान की रोपाई काफी पीछे हो गई है. हालांकि, अगस्त तक धान की रोपाई होती है.

प्रगतिशील किसान श्यामसुंदर बेदिया की माने तो 15 जुलाई तक धान की रोपाई पूरी हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस बार फिर से सुखाड़ की स्थिति हो जाएगी. श्यामसुंदर बेदिया ने सरकार इस विषय पर जल्दी विचार करने का अनुरोध किया है.

सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए स्थानीय विधायक जीतू चरण राम ने कहा कि सुखाड़ का आंकलन सेटेलाइट के जरिए किया जाता है. सेटेलाइट के जरिए ग्रीनरी एरिया को कैप्चर कर लिया जाता है, जिसके कारण लगता है कि खेती हुई है, लेकिन ऐसा नहीं है.

विधायक जीतू चरण राम ने कहा कि इस बार राज्य के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से गुजारिश की गई है कि सूखा का आंकलन करने के लिए अधिकारी किसानों के खेत तक पहुंचे. तभी सुखाड़ का सही आंकलन हो पाएगा.

Intro:रांची
बाइट-- श्यामसुंदर बेदिया प्रगतिशील किसान
बाइट--- स्थानीय विधायक जीतू चरण राम

मॉनसून के दगाबाजी के बाद किसानों को अकाल का डर सताने लगा है पिछले बार भी झारखंड के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था जून में 9 जिलों को पूरी तरह से सुखा ग्रसित की श्रेणी में रखा गया था इस बार राज्य सरकार ने 15 अगस्त तक का डेडलाइन रखा है अगर इस बीच अच्छी बारिश होती है तो धान के रोपाई में कोई खास असर नहीं पड़ेगा. हर की यह स्थिति झारखंड में इसलिए बनी हुई है कि इस बार मानसून 15 दिन लेट से झारखंड में प्रवेश किया.जिसके बाद वह फिर मॉनसून कमजोर पड़ गया। जिसका असर अगले फसल में भी साफ देखने को मिल सकता है मानसून अपने निर्धारित तारीख 20 जून से झारखंड में प्रवेश कर गया था लेकिन उसके बाद मॉनसून कमजोर पड़ने करण पहले एक पखवाड़े तक इसमें अच्छी प्रगति नजर नहीं आई। हाल के दिनों में बारिश तो हो रही है लेकिन रुक रुक के ऐसे में किसानों की माने तो बारिश सही से नहीं होती है तो धान के फसल में काफी प्रभाव पड़ेगा. इस बार भी झारखंड सुखाड़ के चपेट में आ जाएगा


Body:आंकड़े की बात करें तो अभी तक राज्य में सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है अगस्त तक बारिश होती है खेती होने की संभावना जताई जा रही है

झारखंड में 1 जून से 29 जुलाई के बीच में 61.1बारिश हुई है

धान की रोपाई.....पिछले वर्ष 1 जून से 29 जुलाई के बीच 25% रूपा हुआ था लेकिन इस बार मात्र 21% धान का रोपाई हो पाया है यानी पूरी 4% की कमी देखने को मिल रहा है


मक्का को बुबाई.... पिछले वर्ष 1 जून से 29 जुलाई के बीच 69% कब हुआ था लेकिन इस बार 74% को भी है

दलहन फसल की बुआई.... पिछले वर्ष 1 जून से 29 जुलाई के बीच 42% हुई थी इस बार 50% हो गई है

खरीफ की फसल की रोपाई की बात करें तो इस बार धान की रोपाई में काफी कमी देखने को मिला है जिसका मुख्य कारण मॉनसून कि देरी है,


सबसे कम बारिश होने वाले जिले,
खूंटी गुमला रामगढ़ बोकारो और दुमका



जिले में इस बार पिछले वर्ष की तुलना सबसे कम बारिश हुई है। जुलाई महीने की शुरुआती दिनों में बारिश ने किसानों के मन में एक आस जगाई जिसके बाद किसानों ने खेतों में बिचड़ा का छिड़काव तो कर दिया लेकिन रोपाई के समय मॉनसून ने किसानों के साथ पूरी तरह से दगा कर दिया है जिसके कारण झारखंड में धान की रोपाई काफी पीछे हो गई है हालांकि अगस्त तक धान की रोपाई होते रहती है प्रगतिशील किसान श्यामसुंदर बेदिया की माने तो 15 जुलाई तक धान की रोपाई पूरा हो जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। अब सुखाड़ की स्थिति से कोई नहीं बचा सकता है। इस बार धान की खेती होना असंभव लग रहा है इसलिए सरकार इस विषय पर जल्दी विचार करें


Conclusion:सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए स्थानीय विधायक जीतू चरण राम ने कहा कि सुखार का आकलन सेटेलाइट के जरिए किया जाता है जिसके कारण सेटेलाइट के जरिए ग्रीनरी एरिया को कैप्चर कर लिया जाता और जिसके कारण लगता है कि खेती हुई है लेकिन ऐसा नहीं है यही कारण है कि पिछले वर्ष झारखंड के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित तो कर दिया गया लेकिन उस जिले में आने वाले कई प्रखंडों सुखा के चपेट में आने के बावजूद सूखाग्रस्त घोषित करने से बाहर रखा गया था उन्होंने कहा कि इस बार राज्य के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से गुजारिश की गई है सूखा का आकलन करने के लिए अधिकारी किसानों के खेत तक पहुंचे तभी जाकर सुखार का सही आकलन हो पाएगा। हालांकि राज्य सरकार सूखाग्रस्त घोषित करने को लेकर 15 तारीख का डेट लाइन रखा है
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